पहली बार मां बनने का अनुभव काफी अलग होता है, क्योंकि कुछ चीजों की जानकारी आपको इस अनुभव से गुजरने के बाद ही होती है। और कभी-कभी इस पर गुगल भी आपकी बहुत मदद नहीं कर पाता। नन्हे शिशु का ख्याल रखना किसी चुनौती से कम नहीं है। हर दिन बेबी के बढ़ने के साथ ये चुनौतियां बढ़ती ही जाती हैं।
तो चिंता न करें, क्योंकि जिस समस्या का समाधान गुगल के पास नहीं है, उसका समाधान हमारी मम्मी और नानी-दादी के पास होता है। क्योंकि आज जिन चुनौतियों का सामना आप कर रहीं हैं, वे उनसे बरसों पहले निकल चुकी हैं। ऐसी ही एक समस्या है नैपी रैश (Nappy rash)। जो बेबी की और साथ में आपकी भी नींद हराम कर सकते हैं। अगर आप भी बेबी के नैपी रैश को लेकर चिंतित हैं, तो यहां मां के नुस्खों (Mom says) में जानिए इसे दूर करने के कुछ घरेलू उपाय (Home remedies)।
त्वचा में संक्रमण का डर सबसे ज्यादा 4 से 15 महीने तक रहता है। इस उम्र में बच्चों को रैश होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं खासकर हर समय डायपर पहनने वाले बच्चों में। छोटे बच्चों को डायपर पहनाना आपको थोड़ी सुविधा देता है। लेकिन यही डायपर नन्हे शिशु की त्वचा पर रैश, लालामी और जलन का कारण बन सकता है। समस्या सिर्फ डायपर के साथ ही नहीं हैं। अगर बेबी बहुत देर तक गीले नैपी में रहता है, तो भी नैपी रैश हो सकते हैं।
डायपर को गीलापन सूखने के लिए जब तैयार किया जाता है तो उसमें कई तरह के रसायन शामिल किए जाते हैं। इसके साथ ही उसमें प्लास्टिक भी शामिल की जाती है, जो गीलेपन को महसूस नहीं होने देती। लेकिन उसके कारण हवा पास न होने की वजह से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। डायपर से होने वाले यह रेशैज त्वचा पर लाल दानों की तरह निकलते हैं, जो बच्चों के चिड़चिड़ेपन का कारण बन जाता है।
नन्हे शिशु में डायपर रैश होने के कारण उनके स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ जाता है और वह उनके लिए काफी कष्टदायी होता है। हल्के रैश और जलन से बचाने के लिए आप मेरी मम्मी के बताए इन घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल कर सकती हैं।
यह सदियों पुराना आजमाया हुआ नुस्खा है। नारियल तेल में एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। नारियल का तेल शिशुओं में डायपर से पड़ जाने वाले रैश पर प्रभावी असर डाल सकता है। अपने बच्चे के निचले हिस्से को गर्म पानी से धोएं और एक मुलायम तौलिये का उपयोग करके इसे सुखाएं। इसके बाद, आधा चम्मच नारियल का तेल लें और प्रभावित जगह पर लगाएं।
कॉर्न स्टार्च या मक्की का आटा पूरी तरह नमी को रोकने में सक्षम होता है। यह डायपर रैश से आराम दिलाने में काम आ सकता है। जब भी आप शिशु के गीले डायपर बदलें तो उसके बाद उस हिस्से को अच्छी तरह साफ़ करके सुखा लें और उस पर मक्के का आटा लगाएं। इसे लगाने के बाद कुछ देर सूखने के लिए खुला छोड़ दें और फिर अगला डायपर पहनाएं।
डायपर से होने वाले रैश के कारण खुजली और जलन की समस्या हो जाती है, जिससे आराम दिलाने में ओटमील मदद कर सकता है। इसके लिए आपको बस ओटमील को पीसकर एक बारीक आटा तैयार करना है और बच्चे के नहाने के पानी में मिलाकर बच्चे के रैश वाले हिस्से को धोना है।
आयुर्वेद में त्वचा के उपचार के लिए एलोवेरा जेल को अहम स्थान दिया गया है। डायपर से होने वाले रैश के इलाज के लिए भी एलोवेरा का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए जलन वाले हिस्से में खुजली को मिटाने के लिए एलोवेरा जेल लगाएं। इसमें मौजूद एंटी फंगल संक्रमण को बढ़ने से रोकते हैं।
दही का उपयोग बिलकुल वैसे ही करना है जैसे त्वचा पर किसी क्रीम का इस्तेमाल किया जाता है। दही सूजन और जलन में राहत देने के लिए उपयोगी है। दही की एक मोटी परत रैश प्रभावित जगह पर लगाएं और कुछ ही दिनों में रैशेज गायब हो जाएंगे। हालांकि ध्यान रहे कि दही बिल्कुल सादा होना चाहिए। उसमें कोई अन्य चीज न मिली हो और उसका टेंपरेचर सामान्य हो।
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