इन्फ्लेमेशन संक्रमण या चोट से लड़ने के लिए शरीर का एक प्रभावी मैकेनिज्म है। लेकिन कभी-कभी, यह तंत्र ट्रैक से बाहर हो जाता है और आपके शरीर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है, जिससे गठिया जैसे ऑटोइम्यून डिसऑर्डर विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में एक उचित एंटी इन्फ्लेमेटरी डाइट आपकी मदद कर सकती है। इसमें एंटी इन्फ्लेमेटरी हर्ब्स से बेहतर भला और क्या हो सकता है? मेरी दादी को जब घुटनों या जोड़ाें में दर्द होता है, तो मम्मी अकसर अपनी रसोई में रखी सामग्रियों का ही इस्तेमाल (How to reduce joint and knee pain) करती हैं। वे मानती हैं कि औषधीय गुणों वाली ये हर्ब्स हानिरहित हैं।
हेल्थशॉट्स ने घुटने की सूजन और दर्द के लिए अच्छी जड़ी-बूटियों का पता लगाने के लिए पीडी हिंदुजा हॉस्पिटल और एमआरसी, माहिम, मुंबई के हेड ऑफ डिपार्टमेंट – डाइटरी सर्विसेज, स्वीडल ट्रिनिडाडे, से संपर्क किया।
जोड़ों और घुटनों की सूजन या दर्द जैसी समस्याओं को एंटी इन्फ्लेमेटरी जड़ी बूटियों के सेवन से कम किया जा सकता है। वहीं यह गठिया के खतरे को भी कम करने में मदद करता है।
त्रिनिदादे कहते हैं, “घुटने का दर्द किसी भी उम्र में अलग-अलग कारणों से आपको अपनी चपेट में ले सकता है। इन कारणों में शामिल है गलत मुद्रा में बैठना, अधिक काम करना, तनाव, शरीर का अधिक वजन होना या गठिया की समस्या।”
उन्होंने आगे कहा, “इसका उपचार पूरी तरह दर्द के कारण पर निर्भर करता है। जड़ी-बूटियां भले ही पूरी तरह दर्द से निजात पाने में आक्रामक मदद न दें, लेकिन लंबे समय तक इसका इस्तेमाल दर्द और सूजन को कम करने में फायदेमंद हो सकता है।
हल्दी एक जड़ी बूटी है जिसमें करक्यूमिन पाई जाती है, जो न केवल आपके फूड्स को ग्लो देता है, बल्कि इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टी घुटने के दर्द और सूजन को कम करने में मदद करते हैं।
इतना ही नहीं इसमें मौजूद एंटीसेप्टिक, एंटीबैक्टीरियल, एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटी एलर्जीक इफेक्ट इसकी गुणवत्ता को और ज्यादा बढ़ा देते हैं। इसलिए इस हर्ब को वर्षों से इस्तेमाल किया जा रहा है। वहीं हल्दी त्वचा, लिवर और पाचन तंत्र के लिए भी लाभदायक होते हैं। इन्फ्लेमेशन और सूजन की स्थिति से बचने के लिए इसे अपने नियमित आहार में शामिल करें।
आपके तनावपूर्ण दिन के बाद अदरक की चाय का एक गर्म प्याला आपको रिफ्रेश कर देता है। वहीं त्रिनिदादे कहते हैं, “अदरक में मौजूद एंटी इन्फ्लेमेटरी इफ़ेक्ट जोड़ों में हुए मामूली दर्द और सूजन को प्रभावी ढंग से दूर करने में मदद करता है, और आपको तरोताजा रखता है।”
स्वास्थ्य लाभों और चिकित्सीय क्षमताओं के कारण, पारंपरिक रूप से इस जड़ी बूटी का इस्तेमाल आयुर्वेद और होम्योपैथी जैसे औषधीय विज्ञानों में सालों से होता चला आ रहा है। इसकी शानदार एंटीऑक्सिडेंट और एंटी इन्फ्लेमेटरी प्रॉपर्टी आपकी कई सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं मैं फायदेमंद हो सकती हैं।
यदि सूजन की वजह से आपके घुटनों में दर्द रहता है तो ऐसे में युकलिप्टुस का तेल आपकी मदद कर सकता है। इसे सीधे अपनी त्वचा पर लगये और मालिश करें। यह दर्द से ध्यान हटाने के लिए आपके शरीर को गर्म और ठंडा सेंसेशन देता है। त्रिनिदाद कहते हैं, “अरोमाथेरेपी में टैनिन होते हैं, युकलिप्टुस ऑयल की बूंदों को पानी मे मिलाकर प्रभावित क्षेत्रों को भिगोने से हल्के दर्द / सूजन से राहत मिल सकती है।”
वहीं रुमेटॉइड गठिया और पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित व्यक्ति दर्द से राहत पाने के लिए मेडिकल स्टोर्स में मौजूद युकलिप्टुस ऑयल से युक्त प्रोडक्ट का इस्तेमाल करते हैं।
दालचीनी भारतीय व्यंजनों का एक अभिन्न अंग है और सालो से आयुर्वेद में इसका उपयोग हृदय की स्थिति और उच्च रक्तचाप को संतुलित रखने में होता चला आ रहा है। वहीं दालचीनी में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीडायबिटिक और एंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टी पाई जाती हैं, यह सभी प्रॉपर्टी आपके घुटनों की सेहत को बनाये रखने के लिए काफी जरूरी होती हैं।
आप इसे दही, पनीर, या अन्य खाद्य पदार्थों में मिला कर अपने आहार में शामिल के सकती हैं। इसके साथ ही दालचीनी की चाय और इसे व्यंजनों में मसाले के तौर पर इस्तेमाल करना भी एक बेहतर विकल्प रहेगा।
एलोवेरा जेल में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। इसलिए इसका इस्तेमाल सूजन से ग्रसित जगह पर किया जा सकता है। यह केवल घुटनों के इलाज में ही नहीं बल्कि डायबिटीज और अस्थमा जैसी समस्याओं का भी एक प्रभावी घरेलू उपचार होता है।
इंडियन जर्नल ऑफ डर्मेटोलॉजी के अनुसार, एलोवेरा विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन ई और विटामिन बी 12 का एक अच्छा स्रोत है। ऐसे में इसका नियमित इस्तेमाल आपके लिए कई रूपों में फायदेमंद हो सकता है। clear mucus from throat
ऊपर बताए गए सभी जड़ी बूटियों में एंटी इन्फ्लेमेटरी प्रॉपर्टी पाई जाती है। जो जोड़ों में हुए हल्के सूजन और दर्द को नियंत्रित रखने में मदद करती है। हालांकि, ड्रग थेरेपी को इन जड़ी बूटियों से रिप्लेस नहीं किया जा सकता, क्योंकि समस्या बढ़ने पर ड्रग थेरेपी बहुत जरूरी हो जाती है। इसके साथ ही किसी भी प्रकार की जड़ी बूटी को इस्तेमाल करने से पहले एक्सपोर्ट की राय बहुत जरूरी है।
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