गठिया, जोड़ों के दर्द में कई तरह की जड़ी-बूटियां राहत दिलाती हैं। जड़ी-बूटियों से तैयार लेप, एसेंशियल ऑयल, अर्क भी इन रोगों से राहत दिलाते हैं। हाल में जिस हर्ब से गठिया का इलाज तेजी से दोबारा प्रचलित हुआ है, वह है गाउटवीड। होम्योपैथ और यूनानी दवाओं में इसका खूब प्रयोग किया जाता है। कई रिसर्च भी बताते हैं कि गठिया और जोड़ों के दर्द (Goutweed for joint pain) से राहत दिलाता है गाउटवीड। आजकल मेरी मम्मी दादी को जोड़ों के दर्द से राहत दिलाने के लिए इसी का इस्तेमाल कर रहीं हैं। मैंने एक्सपर्ट से इस बारे में जाना कि आखिर यह क्या है और कैसे काम करती है।
गाउटवीड हर्ब सालों भर जमीन पर छितराया हुआ मिल सकता है। यह ग्राउंड एल्डर (ground elder) के नाम से भी जाना जाता है। यह अंबैलिफर्स (Umbellifers) परिवार से ताल्लुक रखता है। इसका साइंटिफिक नाम एजोपोडियम पोडाग्ररिया (Aegopodium podagraria) है। इस पौधे को पनपने के लिए बहुत तेज धूप नहीं चाहिए। यह उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में खूब पाया जाता है। फोक मेडिसिन में इसके पत्तों, फूलों, जड़ों का इस्तेमाल रूमेटॉयड आर्थराइटिस, अर्थराइटिस के इलाज में किया जाता रहा है। इनके अलावा, किडनी स्टोंस, गाउट, बवासीर आदि के इलाज में भी इसका प्रयोग किया जाता रहा है।
डिपार्टमेंट ऑफ ह्यूमन न्यूट्रीशन ऐंड मेटाबोलोमिक्स, पोमेरेनियन मेडिकल यूनिवर्सिटी में वर्ष 2019 में हुए शोध के अनुसार, इसमें पॅलीएसिटलीन्स कंपाउंड, पॉलीफिनॉल और कूमेरिंस पाया जाता है। इस वजह से इसमें एंटी इन्फलामेट्री और एंटी माइक्रोबियल प्रॉपर्टी पाया जाता है। इसलिए इसके एक्सट्रैक्ट का इस्तेमाल गाउट, मेटाबॉलिक डिजीज और टाइप 2 डायबिटीज के इलाज में भी किया जाता है।
गाउट भी आर्थराइटिस का ही एक प्रकार है, जिसमें जोड़ों में दर्द के साथ सूजन की भी समस्या हो जाती है। ब्लड टिशूज में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाने के कारण यह होता है। यूरिक एसिड जब जोड़ों में जमा हो जाता है, तो यह गठिया जैसा प्रॉब्लम देने लगता है। इसे ही गाउट कहा जाता है।
खराब खान-पान के साथ-साथ यह आनुवंशिक कारणों से भी हो सकता है। खाद्य पदार्थों में प्यूरिन पाया जाता है। प्यूरिन के टूटने से यूरिक एसिड बनता है। यह एसिड खून के रास्ते हमारे किडनी तक पहुंच जाता है। जब यह किडनी से बाहर नहीं निकल पाता है, तो यह शरीर में जमा होने लगता है और इससे जोड़ों और हड्डियों में दर्द होने लगता है। गाउट वीड का प्रयोग यूनानी चिकित्सा और होम्योपैथ में खूब किया जाता रहा है।
नेचुरौपैथ चिकित्सक आशीष नेगी बताते हैं
1साइटिका, ज्वाइंट्स पेन, गाउट आदि होने पर सूजन वाले हिस्सों पर इसके पत्तों का सेंक लिया जाता है।
2 गाउट वीड के जड़ों और पत्तियों को साथ में उबालकर कमर पर हॉट रैप के रूप में अप्लाई किया जाता है।
3 इसके अर्क रूप को लेने पर यह डाययूरेटिक का काम कर सकता है।
4 गाउटवीड की सूखी पत्तियों की चाय लेने पर गाउट, किडनी, मेटाबॉलिज्म की परेशानी ठीक हो जाती है।
5 जलने और कीड़ा काटने के स्थान पर इनके पत्तों के रस को लगाने पर तुरंत राहत मिलती है।
गाउटवीड के उपयोग से पहले किसी होम्योपैथ डॉक्टर से सलाह लेनी जरूरी है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि ये जड़ी-बूटी फायदेमंद हैं, लेकिन चिकित्सक की सलाह के बिना इन्हें लेना नुकसानदेह भी साबित हो सकता है। इस हर्ब की पहचान करना मुश्किल है। इस हर्ब से मिलते-जुलते और भी पौधे होते हैं, जो इनकी तरह दिखते हैं, लेकिन वे गाउटवीड नहीं होते हैं। इसलिए जांच-परख कर चिकित्सक की सलाह के बाद इनका इस्तेमाल किया जाए।
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