तेज़ धूप में अधिक समय बिताने और शरीर में बढ़ने वाले हार्मोनल बदलाव पिगमेंटेशन का कारण सातिब होते हैं इससे त्वचा के रंग में बदलाव आने लगता है और चेहरे पर काले धब्बे नज़र आते हैं। अधिकतर लोग तरह तरह की क्रीम और केमिकल पील का इस्तेमाल करते हैं। अगर आप केमिकल युक्त प्रोडक्ट्स को अवॉइड करके त्वचा के स्वास्थ्य को बेहतर बनाना चाहती हैं, तो घरेलू नुस्खे इसमें आपकी मदद कर सकते हैं। जानते हैं किन टिप्स की मदद से स्किन पर बढ़ने वाली पिगमेंटेशन (Skin pigmentation) से मिल सकती है मुक्ति।
यूं तो कई कारणों से त्वचा के रंग में बदलाव आने लगता है। मगर धूप में अधिक समय तक रहने से मेलेनिन का प्रभाव बढ़ने लगता है। ये मेलानोसाइट्स नामक विशेष त्वचा कोशिकाओं से तैयार एक पिगमेंट, जिनका ओरएक्टिव होना त्वचा के रंग को प्रभावित करता है। कॉस्मेटिक और एस्थेटिक सर्जन डॉ श्वेता मिश्रा कहती हैं कि जब ये त्वचा कोशिकाएं बहुत अधिक सक्रिय हो जाती हैं, तो वे बहुत अधिक मेलेनिन का उत्पादन करती हैं, जिससे चेहरे पर काले धब्बे बढ़ जाते हैं, जिन्हें पिग्मेंटेशन (Skin pigmentation) कहा जाता है। ये दाग आमतौर पर माथे, नाक, चिन और गालों पर नज़र आने लगते हैं।
फोटोडर्मेटोलॉजी, फोटोइम्यूनोलॉजी और फोटोमेडिसिन जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार लंबे समय तक यूवी रेज़ के संपर्क में रहने से त्वचा सुरक्षात्मक प्रतिक्रिया के रूप में अधिक मेलेनिन का उत्पादन करने लगती है। समय के साथ इससे सनस्पॉट, झाइयां और असमान स्किन टोन बढ़ने लगती है। वहीं उम्र के साथ त्वचा की पुनर्जीवित करने की क्षमता धीमी हो जाती है, जिससे पिगमेंटेशन का सामना करना पड़ता है। ये ज्यादातर सूरज के संपर्क में आने वाले क्षेत्रों जैसे चेहरे, हाथों और गर्दन पर दिखाई देती हैं।
एलोवेरा जेल में एलोसीन कंपाउडर पाया जाता है, जिससे मेलेनिन के स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है। क्लिनिकल एंड एक्सपेरीमेंटल डर्मेटोलॉजी की रिपोर्ट के अनुसार एक शोध में एलोसीन का इस्तेमाल करने से 34 प्रतिशत लोगों में पिगमेंटेशन की समस्या हल हो गई। दरअसल, शुद्ध एलोवेरा जेल का नियमित उपयोग काले धब्बों को कम करने और आपकी त्वचा को आराम देने में मदद करता है। पौधे से सीधे जेल का उपयोग करें या उच्च गुणवत्ता वाला स्टोर से खरीदा हुआ जेल खरीदें।
आलू में कैटेकोलेज़ नामक तत्व भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो त्वचा की रंगत को हल्का करने के लिए जाना जाने वाला एक एंजाइम है। इससे चेहरे पर बढ़ने वाली पिगमेंटेशन को कम किया जा सकता है। इसके लिए कच्चे आलू का एक टुकड़ा लेकर चेहरे पर रगड़ें या फिर कॉटन बॉल से आलू का रस लगाएँ।
विटामिन सी से भरपूर नींबू का रस त्वचा के ग्लो और रंगत को बरकरार रखता बनाता है। साथ ही स्किन की नमी को रिस्टोर करने में भी मदद मिलती है। चेहरे पर लगाने के लिए नींबू के रस और शहद को बराबर मात्रा में मिलाएँ और पिगमेंट वाले क्षेत्रों पर लगाएँ। 15 मिनट के बाद चेहरे को धोकर क्लीन कर लें।
एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर हल्दी स्किन को कई तरह से फायइा पहुंचाती है। द जर्नल ऑफ़ द अमेरिकन एकेडमी ऑफ़ डर्मेटोलॉजी की रिपोर्ट के अनुसार हल्दी के अर्क वाले फॉर्मूलेशन ने चार सप्ताह में हाइपरपिग्मेंटेड स्पॉट्स को 14ण्16 प्रतिशत तक कम कर दिया। दूध के साथ हल्दी मिलाकर लगाने से त्वचा को धीरे.धीरे एक्सफोलिएट और चमकदार बनाने में मदद मिलती है। हल्दी पाउडर को दूध के साथ मिलाकर पेस्ट बनाएँ और इसे अपने चेहरे पर लगाएँ।
दही में लैक्टिक एसिड होता है, जो मृत त्वचा कोशिकाओं को हटाता है। वहीं ओटमील स्किन को स्मूद बनाती है। दही और बारीक पिसे हुए ओटमील को मिलाकर पेस्ट बना लें। इसे चेहरे पर लगाएं और 20 मिनट तक लगा रहने दें फिर धो लें। इससे स्किन के टैक्सचर में सुधार आने लगता है।
एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर ग्रीन टी से स्किन पर फ्री रेडिकल्स का प्रभाव कम होने लगता है।, जिससे हाइपरपिग्मेंटेशन को कम करने में मदद करती है। टी बैग्स को चेहरे पर रखने या फिर कॉटन की मदद से चाय को चेहरे पर लगाने से फायदा मिलता है।
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