सबसे तेजी से बढ़ती लाइफस्टाइल डिजीज में शामिल है डायबिटीज। यानी जीवन भर की समस्या और खानपान पर रोक। शरीर में ब्लड शुगर लेवल अचानक से बढ़ जाना और अचानक से कम हो जाना किसी खतरे से कम नहीं है। आज बदलती जीवनशैली के कारण दुनिया भर में डायबिटीज एक आम रोग बन गया है। इस बीमारी का कोई सटीक इलाज नहीं है, जिससे इस बीमारी को जड़ से खत्म किया जा सके। पर क्या आप जानती हैं कि आयुर्वेद में कुछ ऐसी हर्ब्स हैं जो इसे कंट्रोल कर सकती हैं। आइए जानते हैं उन्हीं हर्ब्स के बार में।
बीते कुछ सालों से आयुर्वेदिक चिकित्सा ने भी लोगों का भरोसा जीता है। लोग आयुर्वेदिक औषधि को अपना रहे हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है, कि क्या टाइप टू डायबिटीज के को काबू में करने के लिए कोई आयुर्वेदिक औषधि उपलब्ध है? जी हां! लेकिन उससे पहले डायबिटीज के बारे में जानना और समझना बहुत जरूरी है।
डायबिटीज एक शारीरिक स्थिति है, जो शरीर की इंसुलिन बनाने की प्रक्रिया में बाधा डालती है। जिसके कारण हमारा खानपान चयापचय को प्रभावित करने लगता है। जिससे हमारे खून में मौजूद शुगर लेवल बढ़ने लगता है।
विश्व स्वास्थ संगठन (WHO) के अनुसार डायबिटीज दुनिया की सबसे आम समस्याओं में से एक है। इसका प्रबंधन बेहद मुश्किल काम है, लेकिन बिल्कुल भी असंभव नहीं। डायबिटीज को अपनी जीवनशैली में थोड़े बदलाव के साथ काबू में किया जा सकता है। जब दवाइयों की बात आती है, तो आयुर्वेद में ऐसी कई हर्ब्स हैं, जो डायबिटीज को कंट्रोल करने में आपकी मदद कर सकती हैं।
आयुर्वेद में डायबिटीज को मधुमेह के नाम से जाना जाती है। डायबिटीज को लेकर इस्तेमाल की जाने वाली हर्ब्स के सेवन से पहले आयुर्वेद में डाइट को लेकर सावधानी बरतने की बात की जाती है। जब तक स्वस्थ खानपान नहीं होगा, तब तक कोई भी आयुर्वेदिक औषधि काम नहीं करेगी। आयुर्वेदिक उपचार के एक भाग में चीनी और कार्बोहाइड्रेट्स के अधिक सेवन से बचने का सुझाव दिया जाता है।
आयुर्वेद में हर बीमारी का इलाज 3 दोषों के आधार पर किया जाता है। जिसमें मधुमेह यानी डायबिटीज एक चयापचय कफ प्रकार का विकार है। इस स्थिति में पाचन अग्नि की कम कार्यप्रणाली हमारे खून में शर्करा बढ़ा देती है।
दालचीनी, हां वही मसाला जो आपके किचन में मौजूद है। यह आपकी टाइप टू डायबिटीज को कंट्रोल करने में सहायता कर सकती है। असल में यह एक पेड़ की छाल है। और सदियों से आयुर्वेदिक उपचार में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है।
एनसीबीआई पर 2010 में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, दालचीनी, शर्करा, इंसुलिन और इंसुलिन संवेदनशीलता, रक्त में लिपिड या वसा, एंटीऑक्सीडेंट, रक्तचाप, दुबला शरीर द्रव्यमान और पाचन के लिए फायदेमंद है। इसके बाद साल 2019 में की गई एक स्टडी में यह बात सामने आई है कि यह टाइप टू डायबिटीज को कंट्रोल करने में भी दालचीनी मददगार है।
मेथी के बीज आपकी टाइप टू डायबिटीज को कंट्रोल करने में मददगार है। मेथी के बीज में फाइबर और रसायन होते हैं, जो कार्बोहाइड्रेट्स और शुगर के पचने को धीमा करने में मदद करते हैं। एनसीबीआई पर मौजूद एक अन्य स्टडी के अनुसार ऐसे परिणाम निकल कर सामने आए हैं कि टाइप टू डायबिटीज की शुरुआत में देरी और रोकथाम में यह बीज मदद कर सकते हैं।
2015 में प्रकाशित एक 3 साल की जांच के निष्कर्षों में कहा गया है कि मेथी के पाउडर का सेवन करते समय प्रीडायबिटीज वाले लोगों को टाइप 2 मधुमेह का जोखिम कम हो गया।
सदाबहार एक फूल का पेड़ है, जिसे आयुर्वेद में जड़ी-बूटी के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। ज्यादातर इसका इस्तेमाल मलेरिया, गले में खराश और अन्य स्वास्थ्य स्थितियों में किया जाता है लेकिन डायबिटीज को काबू करने में भी यह काफी असरदार है। इस पौधे को पेरिविंकल के नाम से जाना जाता है और यह भारत में आसानी से उपलब्ध है।
जामुन आपकी डायबिटीज को कंट्रोल करने में मददगार है। हालांकि यह हर सीजन में उपलब्ध नहीं होता। ऐसे में इसके बीज आपके काम आ सकते हैं। आयुर्वेदिक दवाओं में जामुन का पाउडर मौजूद है। आप चाहें तो जामुन के बीजों को सुखाकर खुद भी इसे तैयार कर सकती हैं। जामुन के बीजों में यह क्षमता होती है कि इंसुलिन के स्राव को उत्तेजित करें और मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए उत्कृष्ट बने।
यह भी एक आयुर्वेदिक औषधि है, जो ब्लड शुगर लेवल को मेंटेन करने में सक्षम है। दरअसल विजयसार में एंटी-हाइपरलिपिडेमिक पाए जाते हैं, जो शरीर के लिए काफी फायदेमंद है। यह डायबिटीज के लक्षणों जैसे बार-बार पेशाब आना, अधिक खाना और अंगों में जलन को भी कम करता है।
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