भारत विविधताओं का देश है। यहां कुछ दूरी पर बोली बदलती है, तो कुछ और दूरी पर व्यंजन। बिहार के लिट्टी-चोखा से लेकर पंजाब की मक्के की रोटी और सरसों का साग तक, दक्षिण भारत के इडली, डोसा से लेकर राजस्थान की दाल-बाटी और चूरमा तक, हमारे देश में अलग-अलग तरह के रंग, स्वाद और खुशबूओं वाले व्यंजन मौजूद हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही पहाड़ी व्यंजन के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके कारण हिमाचली स्वाद के दीवाने बढ़ते जा रहे हैं। जी हां, हम बात कर रहे हैं हिमाचल प्रदेश के सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाले स्नैक्स सिड्डू के बारे में। आप इन्हें हिमाचली डपलिंग्स भी समझ सकते हैं। पर यह हर तरह से मोमोज या डपलिंग्स से ज्यादा स्वादिष्ट और हेल्दी हैं।
फरमेंटिड सुपरफूड जैसे कोम्बुचा, किमची, केफिर और प्रोबायोटिक दही स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभ प्रदान करते हैं। हिमाचल प्रदेश का एक अनोखा फरमेंटिड स्टीम्ड बन, सिड्डू , को हम इस सूची में डाल सकते है।
सिड्डू हिमाचल प्रदेश का काफी फेमस व्यंजन और यह शरीर को गर्म रखने और ऊर्जा के लिए इसे हिमाचल में सर्दियों के दौरान शुद्ध घी के साथ खाया जाता है। लोग इसे ताज़ी पुदीने की चटनी या दाल के साथ खाना पसंद करते हैं। इस पारंपरिक गेहूं के आटे को फरमेंट करके पहाड़ी क्षेत्रों जैसे कुल्लू, मनाली, शिमला, मंडी और रोहड़ू में विशेष अवसरों या उत्सव कार्यक्रमों के दौरान बानाया जाता है।
सिड्डू को गेंहू के आटे से बनाया जाता है साथ ही आप इसमें मीठा या नमकीन कुछ भी स्टफ कर सकतें है। कई लोग इसमें ड्राई फ्रूट, मसाले, या दाल को स्टफ करते हैं। इसे गुड़ और घी के साथ खाया जाता है। कई जगाहों पर ये हरी चटनी के साथ भी परोसा जाता है। इसे मौसम और मसालों का उपलब्धता के हिसाब से बनाया जाता है।
सिड्डू को जिस तरह से तैयार किया जाता है इसमें कई तरह के पोषक तत्व आ जाते है जिसके कारण इसे एक हेल्दी फूड कहा जाता है। सिद्दू आमतौर पर पूरे गेहूं के आटे से बनाया जाता है, जिसमें फाइबर, विटामिन और खनिज होते हैं। यदि इसमें नट्स या पनीर जैसी सामग्री मिलाई जाती है, तो इसमें प्रोटीन, हेल्दी फैट और कैल्शियम भी आ जाता है।
एक सिड्डू खाने से आप पहाड़ों में पूरे दिन उर्जावान रह सकते है। ये आटे से बने होने के कारण फाइबर से भरपूर होता है। जो पाचन में सहायता कर सकता है और नियमित मल त्याग मे मदद करके आपके सहायता करके गट हेल्थ को अच्छा रख सकता है।
आटे में कर्बोहाइड्रेट और स्टफिंग में इस्तेमाल होने वाले ड्रई फ्रूट या दाल प्रोटीन का अच्छा स्रोत है। ये आप में तृप्ती की भावना को पैदा करती है और आपको लंबे समय तक भूख लगने से भी रोकती है।
आटे के लिए
आटा 500 ग्राम
खमीर 1.5 चम्मच
चीनी 1 चम्मच
नमक 1 चम्मच
घी 1-2 चम्मच
थोड़ा गुनगुना पानी
स्टफिंग के लिए आपको चाहिए
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कस्टमाइज़ करेंखसखस आधा कप (भिगोया हुआ)
आधा कप अखरोट (भिगोया हुआ)
आधा कप बादाम (भीगे हुए)
मिर्च के टुकड़े 1 बड़ा चम्मच
2 बड़े चम्मच भुना जीरा-धनिया पाउडर
नमक स्वादानुसार
एक चुटकी हल्दी पाउडर
कुछ ताज़ी कटी हुई पुदीना और धनिया की पत्तियां
स्टेप 1
एक कटोरे में आटा, खमीर, नमक, चीनी और घी लें और उन्हें एक साथ मिलाएं। अब इसमें गुनगुना पानी डालें और इससे नरम आटा गूंथ लें। एक बार में सारा पानी न डालें। धीरे धीरे पानी डालें।
स्टेप 2
आटे के ऊपर थोड़ा सा घी लगाएं और इसे गीले कपड़े से ढक दें। इसे 1.5 से 2 घंटे तक ऐसे ही रहने दें। आप घी के स्थान पर कोई और वेजिटेबल ऑयल का उपयोग कर सकते हैं। लेकिन घी लगाना एक पारंपरिक तरिका है।
स्टेप 3
अब सिड्डू के लिए स्टफिंग को तैयार करना शुरू कर दें। खसखस, अखरोट और बादाम को अलग-अलग पीसकर मुलायम पेस्ट बना लीजिए।
स्टेप 4
पेस्ट को एक मिक्सिंग बाउल में डालें और बाकी सामग्री भी इसमें मिला दें। सब कुछ एक साथ मिलाएं और सिड्डू के लिए स्टफिंग तैयार है।
स्टेप 5
एक बार जब आटा अच्छे से फूल जाए उसके बाद बन्स को भाप में पकाने के लिए स्टीमर/मोमो-मेकर तैयार कर लें। स्टीमर पर थोड़ा सा घी लगा लें, ताकि बन्स तले से चिपके नहीं।
स्टेप 6
आटे की छोटी-छोटी लोइयां बनाएं और बीच में स्टफिंग डालें। आप चाहें तो इसे गुजिया जैसा आकार भी दे सकते हैं नहीं तो इसे गोल भी रख सकते है।
स्टेप 7
बन्स को 15-20 मिनट तक भाप में पकाएं और आपका गर्म और स्वादिष्ट सिद्धु परोसने के लिए तैयार है।
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