मोटापा यानी कि ओबेसिटी एक सबसे कॉमन लाइफस्टाइल डिसऑर्डर बन चुका है। मोटापे की वजह से तमाम अन्य लाइफस्टाइल डिसऑर्डर जैसे कि डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, हार्मोनल इंबैलेंस आदि का खतरा बढ़ता जा रहा है। बढ़ते मोटापे की वजह से वेट लॉस काफी ट्रेंडिंग हो चुका है। लोग अलग-अलग तरीके से वजन को नियंत्रित रखने की कोशिश कर रहे हैं। जब बात वेट लॉस डाइट की आती है, तो लोगों के मन में कई तरह के सवाल होते हैं। खासकर एक सवाल सबसे ज्यादा कॉमन है, की वेट लॉस डाइट में रोटी या सब्जी कैसे शामिल करें! यदि आपके मन में भी यह सवाल है, तो आज हम आपके लिए इसका जवाब लेकर आए हैं (Roti vs Rice for weight loss)।
मणिपाल हास्पिटल, गाज़ियाबाद में हेड ऑफ न्यूट्रीशन और डाइटेटिक्स डॉ अदिति शर्मा ने वेट लॉस के लिए रोटी और चावल में कंफ्यूज रहने वाले लोगों के लिए कुछ जरूरी जानकारी दी है। तो चलिए बिना देर किए जानते हैं, आखिर वेट लॉस में रोटी और चावल में से किसे शामिल करना चाहिए और कौन अधिक प्रभावी साबित हो सकता है (Roti vs Rice for weight loss)।
वेट लॉस को सफल बनाने के लिए सबसे पहले आपको अपनी डाइट में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा को कम करना होता है और प्रोटीन की मात्रा को बढ़ाना होता है। परंतु भारत जैसे देश में ज्यादातर खाद्य पदार्थों में जैसे कि चावल और रोटी कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होते हैं। यदि आप इन सभी पर नियंत्रण लगा दे, तो पोषक तत्व प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है। इसलिए वेट लॉस डाइट प्लान करते वक्त सही खाद्य पदार्थ चुनना कठिन हो सकता है।
चपाती यानी की रोटी को गेहूं के आटे से बनाया जाता है। इसलिए इनमें चावल की तुलना में अधिक पोषक तत्व होते हैं। चावल में रोटी की तुलना में फास्फोरस और मैग्नीशियम की कम मात्रा पाई जाती है। वहीं चावल की तुलना में रोटी का कैलोरी काउंट भी कम होता है। इसके अतिरिक्त गेहूं की रोटी और चावल दोनों में फोलेट और आयरन की एक सामान्य मात्रा होती है।
जब बात वेट लॉस की आती है तो रोटी एक हेल्दी विकल्प साबित हो सकती है। विशेष रूप से उन लोगों के लिए जिन्हें मोटापे के साथ-साथ डायबिटीज भी है। क्योंकि डायबिटीज के मरीजों के लिए चावल खाना उचित नहीं होता। चावल में सिंपल कार्ड मौजूद होते हैं, जो आसानी से पच जाते हैं। साथ ही साथ ब्लड में ग्लूकोस रिलीज करते हैं, जिसकी वजह से ब्लड शुगर स्पाइक हो सकता है।
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रोटी का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, साथ ही साथ इसमें कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट पाए जाते हैं, जिन्हें पचाने में समय लगता है। इस प्रकार आप लंबे समय तक संतुष्ट रहती हैं और आपको बार-बार भूख नहीं लगती। इससे कैलोरी इनटेक सीमित हो जाता है।
इतना ही नहीं कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट ब्लड शुगर को भी सामान्य रहने में मदद करते हैं, क्योंकि ब्लड शुगर स्पाइक भी मोटापे को बढ़ावा दे सकता है। इसके अलावा रोटी में पर्याप्त मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जो आपके आंतों की सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं।
रोटी और चावल दोनों के अपने अपने स्वास्थ्य लाभ है। चावल और दाल के कॉन्बिनेशन में कई सारे अमीनो एसिड और पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन मौजूद होता है, जो आम तौर पर प्लांट बेस्ड डायट में मिसिंग होते हैं।
वहीं दूसरी ओर रागी, ज्वार, बाजर और बार्ली आदि के आटे से बनी चपाती में कैल्शियम, फास्फोरस और जिंक जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो इन्हें वेट लॉस के लिए एक बेहतरीन विकल्प बनाते हैं।
यह दोनों ही सुरक्षित विकल्प हैं, परंतु आपको इन्हें अपनी सेहत को ध्यान में रखते हुए चुनने की सलाह दी जाती है। यदि किसी को डायबिटीज है, तो उनके लिए साफ तौर पर चपाती अधिक सुरक्षित विकल्प है। वहीं यदि किसी को पाचन संबंधी समस्याएं हैं, तो उनके लिए चपाती पचना कठिन हो सकता है। इसलिए उनके लिए चावल एक आसान और सुरक्षित विकल्प हो सकता है।
अपनी डाइट में चपाती और चावल को शामिल करते वक्त इनकी मात्रा का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। वेट लॉस के लिए इन दोनों में से किसी भी विकल्प का अधिक सेवन उचित नहीं है, इसलिए इन सीमित मात्रा में ही लें।
यदि आपको डायबिटीज नहीं है तो इन्हें रोजाना खाने से बेहतर है, आप हफ्ते में 3 दिन चावल और 3 दिन रोटी का सेवन करें। एक बार में एक छोटी कटोरी चावल लें। वहीं एक समय में 2 से 3 चपाती से अधिक न लें।
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