दही स्वास्थ्य के लिए काफी गुणकारी है और दही का सेवन भारत के लगभग हर घर में किया जाता है। हालांकि सर्दियों के मौसम में कुछ लोग दही खाना छोड़ देते हैं। जबकि मौसम बदलने के साथ ही न केवल दही, बल्कि दही से बनने वाले व्यंजन भी दैनिक आहार में जुड़ने लगते हैं। अगर आपने भी आजकल दही खाना शुरू कर दिया है, तो हम उन जरूरी तथ्यों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो दही को आपके लिए और भी हेल्दी (best way to eat Dahi or curd) बना सकते हैं।
ज्यादातर लोग दही खाते तो हैं, लेकिन इसके सेवन का सही समय क्या है, किसके साथ खाना चाहिए या दही को कैसे जमाना है, इससे अनजान होते हैं। इसलिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं दही से जुड़े कुछ जरूरी तथ्य।
दही को हम अपने प्रतिदिन के आहार में शामिल करते हैं, दही को जमाने के लिए हल्के गर्म दूध में खट्टा या नींबू का रस डाला जाता है। दही को जमने में 6 से 7 घंटे का समय लग सकता है। मौसम के अनुसार समय में परिवर्तन हो सकता है।
वहीं, योगर्ट को बनाने के लिए आर्टिफिशियल फर्मेंटेशन प्रोसेस किया जाता है। योगर्ट में फ्लेवर एड करने के लिए फलों को मिलाया जाता है। योगर्ट आपको कई फ्लेवर में मिल जाएगी। यही चीजें दही और योगर्ट को अलग बनाती है।
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दही को पचाने में ज्यादा उर्जा की खपत होती है इसलिए इसे दिन में खाने का सुझाव दिया जाता है। रात में खाना खाने के बाद हम अक्सर सोने चले जाते है इसलिए पाचन प्रक्रिया धीमी हो जाती है। रात को दही खाने से शरीर में सूजन को बढ़ावा मिल सकता है। रात में दही खाने से पित्त बढ़ता है, जो आपके शरीर में सूजन बढ़ाने का काम कर सकता है। यदि आपके शरीर में चोट लगी है या पहले से कोई सूजन है तो दही इस समस्या को और ज्यादा बढ़ा सकता है।
असल में मिट्टी के बर्तन का तापमान प्राकृतिक तौर पर ही कंट्रोल होता है। दही के जमने के लिए प्राकृतिक तापमान की जरूरत होती है। ज्यादा ठंड और गर्म दोनों ही तापमान में दही में मौजूद गुड बैक्टीरिया को प्रभावित कर सकते है। गुड बैक्टीरिया अगर संतुलित न हो तो ये आपकी सेहत को खराब कर सकते है। घर में मिट्टी के बर्तन में जमी दही खाने से सर्दी और जुकाम नही होते है लेकिन बाजार की दही से हो जाते है।
दही के सेवन से इम्युनिटी को बढ़ाया जा सकता है। दही में लैक्टिक एसिड मौजूद होता है और यह एक प्रोबायोटिक भी है। दही के अच्छे बैक्टीरिया गट हेल्थ के लिए काफी अच्छे है और संक्रमण फैलाने वाले सूक्ष्मजीवों को भी
शरीर से दूर रखते है।
दही में मौजूद मैग्नीशियम, पोटैशियम और कैल्शियम हाई ब्लड प्रेशर को कम करते है। दही हाइपरटेंशन को कम करती है और कोलेस्ट्रॉल को भी संतुलित करती है। हार्ट को स्वस्थ रखने के लिए आपको दही का सेवन जरूर करना चाहिए।
एजिंग से साथ फाइनलाइन और रिंकल जैसी समस्या बहुत आम है। लेकिन कई लोगों में यह समस्या काफी पहले आनी शुरू हो जाती है। दही का इस्तेमाल स्किन की इलास्टिसिटी को बढ़ाता है। जिस वजह से स्किन की मांसपेशियां टाइट होती है, फाइनलाइन और रिंकल को कम करती है।
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आयुर्वेद के अनुसार मछली और दही को साथ खाने की सलह नहीं दी जाती है क्योंकि इससे आपकी सेहत पर गलत असर पड़ सकता है। मछली की तासीर को गर्म तासीर वाला माना जाता है वहीं दही की तासीर ठंडी होती है अगर दोनों का सेवन एक साथ किया गया तो यह कई स्वास्थ समस्याएं पैदा कर सकती है।
दही के साथ पकोड़े और परांठे जैसी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इनके सेवन साथ करने से पाचन बहुत मुशकिल हो जाता है। दही तली हुई चिकनी चीजों को पचा नही पाती है जिससे खाने को पचाने में बाधा आती है।
अक्सर लोग घर में दही के साथ रायता बनाते हैं जिसमें प्याज मिला दिया जाता हैं. यह आपके रायते का स्वाद तो बाहर से बढ़ा देता है लेकिन स्वास्थ्य की दृष्टी से बहुत नुकसानदायक है। आयुर्वेद के मुताबिक,दोनों की तासीर गर्म है और दोनो का एक साथ सेवन एलर्जी का कारण बन सकता है. ऐसा करने पर शरीर पर दाग, एक्सिमा, सोरायसिस, गैस, एसिडिटी हो सकती है।
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