8 आदतें जो हर मां को अपने बच्चे को जरूर सिखानी चाहिए ताकि वो बन सके बेहतर इंसान
अंदर क्या है
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वैसे तो अच्छी आदतें या अच्छा इंसान बनने के लिए उम्र का कोई एक विशेष पड़ाव तो आरक्षित नहीं है कि इस उम्र में ही अच्छी आदतें सीखी जा सकती हैं लेकिन कुछ आदतें अगर बचपन से ही बच्चे को सिखाई जाएं तो वो उसके साथ उम्र भर रहती हैं और वो बेहतर इंसान बन सकता है। इसके कई कारण हैं। साइकोलॉजी कहती है कि छोटे बच्चों में ब्रेन अभी डेवलप ही कर रहा होता है, ऐसे में उन्हें जो भी सिखाया या बताया जाए, वो परमानेंट उनके दिमाग में छप सकता है और फिर उम्र भर वो उसे मानते हैं। आज हम ऐसी ही कुछ आदतों (moral education) के बारे में बात करने वाले हैं जो हर मां को अपने बच्चे को सिखाना चाहिए ताकि वो एक अच्छा और बेहतर इंसान बने
8 आदतें जो बनाएंगी आपके बच्चे को बेहतर (moral education to your child)
1. छोटी छोटी अच्छी आदतें (moral education)
जेन्टलमैन बनने के लिए कोई रॉकेट साइंस नहीं पढ़नी होती। कुछ छोटी छोटी आदतें हैं जिन्हें आप बच्चों को सीखा कर उन्हें एक बेहतर इंसान बना सकती हैं। इन आदतों में से सबसे कॉमन है, अपने से किसी सीनियर, महिला या बुजुर्ग के लिए दरवाजे खोल देना।कार के दरवाजे खोलना, ट्रेवल करते वक्त अगर कोई महिला या बुजुर्ग खड़ी दिखे तो उसके लिए सीट ऑफर करना। किसी को सड़क पार करने में मदद कर देना। ये आदतें (moral education) बहुत छोटी सी हैं लेकिन ऐसा करके बच्चे एक बेहतर इंसान बन पाते हैं।
2. सबको सम्मान देना (moral education)
अच्छी आदतों (moral education) के साथ यह भी सिखाना जरूरी है कि बच्चे सबके फैसलों का सम्मान करें। उदाहरण के लिए बच्चों को ये बताएं कि अगर आप किसी को मदद ऑफर कर रहे हैं और वो इनकार कर दे रहा है तो इसे स्वीकार करें और बिना किसी आपत्ति के छोड़ दें। यह जरूरी नहीं कि सब आपसे मदद लेने में सहज ही हों। इसलिए दूसरों के फैसले का सम्मान सीखना बहुत जरूरी है।
3. ज़िम्मेदारी लेना
बच्चों को यह (moral education) सिखाना बहुत जरूरी है कि वो अपने हर ऐक्शन की जिम्मेदारी ले। काम कई बार ग़लत या सही परिणाम दे सकते हैं लेकिन जरूरी है कि बच्चा उसे ओन करे। ऐसा तभी होगा जब आप उसे बजाय रिजल्ट के काम की कदर करना सिखाएंगी।
अगर बच्चे से कोई गलती हो तो उन्हें यह सिखाएं कि ग़लती सही करने का तरीका खुद स्वीकार करना और फिर उसमें सुधार करना है। जब बच्चों की आदत जिम्मेदारी स्वीकार करने की होगी तभी वो ज्यादा मेच्योर और आत्मनिर्भर बनेंगे। इससे उनकी फैसले लेने की क्षमता भी अच्छी होगी।
4. कमजोरी जाहिर करना
अमूमन समाज में यह दिक्कत है कि ये समझा जाता है कि एक मर्द को कभी कमजोर नहीं दिखना चाहिए लेकिन असल में ताकत कमजोरियों को स्वीकार करने में होती है। बच्चों को यह (moral education) सिखाएं कि अपनी इमोशन्स को व्यक्त करना कोई कमजोरी नहीं है बल्कि यह एक अच्छी बात है।
मर्दानगी के नाम पर कुछ भी ग़लत करने से रोकना मां के तौर पर आपका दायित्व है। उन्हें ये बताएं कि स्त्री या पुरुष, इमोशन्स जाहिर करने में जेंडर मैटर ही नहीं करता। ये आपके बच्चे के न सिर्फ मेंटल हेल्थ के लिए अच्छा है बल्कि उसके रिश्तों के लिए भी ठीक है। किसी भी रिश्ते में लोग ऐसे व्यक्ति को तवज्जो देते हैं जो अपनी कमजोरी और अपने इमोशन्स को ठीक से जाहिर करे न कि उन्हें छिपाए।
5. सुनने की आदत और शिष्टता से असहमति
सुनने की आदत किसी भी व्यक्ति के अच्छे गुणों में से एक है। अच्छा वक्ता बनने के लिए अच्छा श्रोता होना जरूरी है। अपनी राय देने की बजाय दूसरों की बातें सुनने की आदत बच्चों में इसलिए भी डालनी जरूरी है। इसके बाद अगर आप असहमत हैं तो कायदे से अपनी राय रखें। बच्चों में ये आदत (moral education) उन्हें और बेहतर इंसान बनाएगी जिसकी वजह से लोग भी उन्हें पसंद करेंगे। बच्चों को बार बार बताएं कि असहमति की पहली और आखिरी शर्त शिष्टाचार है। अगर आप शिष्टता से अपनी असहमति रखते हैं तो कोई भी आपकी बात सुनने को तैयार रहेगा।
6. ताकत से ज्यादा अच्छा आचरण जरूरी (moral education)
यह सिखाना भी बेहद ज़रूरी है कि प्रेम और दया की ताकत किसी भी शारीरिक बल से कहीं अधिक होती है। बहादुरी यह समझने में है कि किसी भी समस्या को हल करने का तरीका सिर्फ शारीरिक ताकत से नहीं बल्कि समझदारी और प्रेम से होता है।
अपने बच्चे को यह (moral education) सिखाएं कि सबसे बेहतर समाधान प्रेम से ही निकलते हैं। इससे वह किसी भी मौके पर आपा खोने जैसी आदतों से बचेगा।
7. दूसरों को पहले रखना
अच्छा इंसान होने का मतलब यह है कि आप खुद को सबसे पहले नहीं रखते बल्कि दूसरों की ज़रूरतों को अपनी ज़रूरतों से पहले रखते हैं। हालांकि इस वक्त दुनिया का ढर्रा बिल्कुल इसके उलट है लेकिन अगर आप बच्चे को एक अच्छा इंसान बनाना चाहती हैं तो यह (moral education) बच्चों को सिखाना जरूरी है कि हर कोई खुद से ज्यादा दूसरों की भलाई के लिए काम करे तभी एक बेहतर दुनिया बन सकती है। लेकिन इसके साथ यह भी बताना जरूरी है कि दूसरों की चिंता करने में खुद का ख्याल रखना नहीं भूलना है।
8. जरूरत भर और सलीके से बोलना
अक्सर हम सोचते हैं कि जितना ज़्यादा बोले उतना ही ताकतवर दिखते हैं लेकिन ताकत कभी-कभी चुप रहकर भी दिखाई जा सकती है। अच्छे इंसान के लक्षणों में से एक यह भी है कि आप संयमित रहिए और हर बात पर प्रतिक्रिया न दें। ये (moral education) आदत बच्चों को सिखानी जरूरी है। बच्चों को यह बताना जरूरी है कि बार बार बोलना और लगातार बोलने से आपको कोई सीरियस नहीं लेगा।
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