मां बनना सबसे सुखद अनुभूति है। पर इसके साथ ही महिलाओं के जीवन में कई बदलाव आ जाते हैं। उनके डेली रुटीन से लेकर डाइट तक, हर चीज में बेबी की जरूरतें शामिल हो जाती हैं। बेबी पूरी तरह अपनी मां के स्तन के दूध पर निर्भर होता है। ऐसे में मां जो भी खाती है, उसका असर बेबी की सेहत पर भी पड़ता है। यही वजह है कि हमारी दादी-नानी बरसों से स्तनपान कराने वाली मांओं को कुछ चीजों के सेवन से परहेज की सलाह (lactating mother should avoid some food) देती आई हैं। आइए जानते हैं कि एक्सपर्ट इस बारे में क्या कहते हैं।
मेरी मम्मी कहती हैं कि स्तनपान कराने वाली माएं हर खाद्य पदार्थ को नहीं खा सकती हैं। उन्हें ऐसा भोजन लेना होगा, जिससे मां के साथ-साथ बच्चे को भी आवश्यक पोषक तत्व मिल सके। साथ ही वह बच्चे के पेट पर भारी न हों। लेक्टेटिंग मदर्स को कुछ फूड्स का सेवन नहीं करना चाहिए। ये फूड्स बच्चे के स्वास्थ्य पर असर डाल सकते हैं।
वर्ष 2020 में न्यूट्रीएंट्स जर्नल में शोधकर्ता करोलिना कार्ज़, इजाबेला लेहमैन और बारबरा क्रोलक ने मां द्वारा खाए जाने वाले फूड्स का बच्चे की सेहत पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन किया। इसमें पोलैंड की स्तनपान कराने वाली 1000 से अधिक माताओं ने भाग लिया। प्रतिभागियों ने अपने आहार में चॉकलेट, सुशी, फलियां और डेयरी प्रोडक्ट को शामिल किया। वहीं कुछ प्रतिभागियों ने देरी से पचने वाले गरिष्ठ भोजन, गैस बनाने वाली दालों को अपने आहार से बाहर कर दिया।
जिन मांओं ने कुछ खाद्य पदार्थों को अपने आहार से बाहर किया था, उनमें से आधी माताओं के बच्चे का स्वास्थ्य ठीक रहा। उनके बच्चों की पाचन प्रक्रिया सही रही। वहीं जिन माओं ने गैस बनाने वाले और गरिष्ठ भोजन का सेवन जारी रखा, उनके बच्चों में स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां देखी गई।
भले ही कुछ खाद्य पदार्थों की कमी से मां के पोषण पर असर पड़ा। शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष निकाला कि लेकटेटिंग मदर्स को अपने भोजन का चुनाव करते समय कुछ बातों को ध्यान में रखना होगा। स्तनपान कराने वाली मांओं को ऐसा भोजन लेना होगा, जिससे मां के साथ-साथ बच्चे को भी आवश्यक पोषक तत्व मिल सके।
ब्रिटिश जर्नल ऑफ़ न्यूट्रिशन के शोध आलेख के अनुसार, चॉकलेट में एक प्रमुख कंपाउंड होता है थियोब्रोमाइन। इसका प्रभाव कैफीन के बराबर होता है। यदि कोई महिला स्तनपान कराती है, तो चॉकलेट की मात्रा कम कर देनी चाहिए। दरअसल चॉकलेट आपकी नींद को प्रभावित करता है।
दूध के माध्यम से थियोब्रोमाइन बच्चे के शरीर में भी चला जाता है। यदि चॉकलेट के सेवन से आपके साथ-साथ बच्चा भी चिड़चिड़ा हो रहा है, तो इससे दूर रहना ही बेहतर है।
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कस्टमाइज़ करेंहार्वर्ड हेल्थ के अनुसार, यदि आप बच्चे को स्तनपान करा रही हैं, तो मूंगफली खाने से बचें। संभव है कि बच्चे को मूंगफली से एलर्जी हो। मूँगफली के एलर्जिक प्रोटीन स्तन के दूध में जा सकते हैं। वहां से बच्चे तक पहुंच सकता है। एलर्जी 1-6 घंटों के भीतर दूध में जा सकती है। बच्चे को घरघराहट, पित्ती या चकत्ते की समस्या हो सकती है।
ब्रिटिश जर्नल ऑफ़ न्यूट्रिशन के शोध आलेख के अनुसार, खट्टे फल यानी सिटरस फ्रूट विटामिन सी का स्रोत है। पर इसमें मौजूद एसिड गैस बना सकते हैं। बच्चे के पेट में जलन पैदा हो सकती है। बच्चे का गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट पूरी तरह विकसित नहीं होता है। इसलिए उन्हें पेट दर्द, उलटी,मतली, रैशेज जैसी परेशानी हो सकती है। विटामिन सी की पूर्ति के लिए स्तनपान कराने वाली महिलाएं संतरा, नींबू, अंगूर की बजाय अनानास, पपीता और आम को शामिल कर सकती हैं।
न्यूट्रीएंट्स जर्नल में हुए शोध के अनुसार, सी फ़ूड फायदेमंद होता है। लेकिन इसमें हाई मरकरी मौजूद हो सकती है। यह स्तन के दूध के माध्यम से बच्चे के शरीर में चला जायेगा। कई शोध यह साबित कर चुके हैं कि मां के दूध में मौजूद हाई मरकरी बच्चे के नर्वस सिस्टम के विकास को प्रभावित कर सकता है। सी फिश के अलावा डिब्बाबंद ट्यूना भी बहुत कम मात्र में खाना चाहिए। हाई मरकरी वाली मछली से पूरी तरह बचना चाहिए।
न्यूट्रीएंट्स जर्नल में हुए शोध के अनुसार, कॉफ़ी का कैफीन स्तन के दूध के माध्यम से बच्चे के शरीर तक जा सकता है। बच्चे कैफीन को पचा नहीं पाते हैं। अतिरिक्त कैफीन के कारण उन्हें पेट में जलन हो सकती है। नींद खराब हो सकती है। वे रोने-चिल्लाने लग सकते हैं।
कैफीन की ज्यादा मात्रा आयरन लेवल को कम कर सकता है। इस तरह बच्चे में हीमोग्लोबिन लेवल भी कम हो सकता है। 1-2 कप कैफीन से अधिक सेवन नहीं करें। इनके अलावा, ब्रोकोली, लहसुन, स्पाइसी फ़ूड मां को नहीं खाना चाहिए।
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