गर्भावस्था एक ऐसा समय है जो न सिर्फ होने वाली मां के लिए खास है, बल्कि उनसे जुड़े सभी लोगों के लिए उत्सव के समान है। यही कारण है कि हमारी संस्कृति में बच्चे के आने से पहले और बाद में ढेरों रस्में होती हैं। गर्भावस्था में एक चीज जो आपको बिना मांगे मिलती है वह है सलाह!
घर की सभी महिलाएं आपको अपने अपने अनुभव के अनुसार सलाह देती हैं और आप कंफ्यूज हो जाती हैं कि क्या मानें और क्या नहीं। ऐसे में सबसे सही तरीका है कि उन सुझावों के पीछे के वैज्ञानिक प्रमाण या आधार ढूंढना। लेकिन प्रेगनेंसी में इतनी मेहनत आपको करने की जरूरत नहीं, क्योंकि आपके लिए यह मेहनत हम कर देंगे।
हम आपको बताने जा रहे हैं कि क्यों आपकी सास या आपकी मम्मी आपको देती हैं चांदी के चम्मच, कटोरी या गिलास के इस्तेमाल की सलाह।
जब बच्चे को उसका पहला सॉलिड भोजन दिया जाता है, जो अमूमन अन्नप्राशन के बाद ही होता है। तब बेबी को फीड करने के लिए चांदी के कटोरी चम्मच इस्तेमाल किये जाते हैं। यहां तक कि घर के बड़े बच्चे को चांदी के बर्तन ही गिफ्ट करते हैं। शायद आपकी मां या सासू मां को ना पता हो कि उनकी इस सलाह के पीछे वैज्ञानिक दृष्टिकोण है, लेकिन आपको जानकारी होनी चाहिए।
आखिरकार यह आपके बच्चे के स्वास्थ्य का सवाल है।
जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन एंड फूड साइंस में प्रकाशित शोध के अनुसार चांदी अन्य मेटल की तरह वातावरण में मौजूद ऑक्सीजन या अन्य गैसेस से रियेक्ट नहीं करती। यही कारण है कि बैक्टीरिया, फंगस इस पर इकट्ठा नहीं हो पाते। प्लास्टिक, स्टील या एलुमिनियम के बर्तनों के साथ ऐसा नहीं होता।
अगर आप बच्चे को प्लास्टिक के बर्तन में खिलाती हैं, तो आपको उसे हर बार पानी में उबाल कर बैक्टीरिया को मारना होगा। लेकिन चांदी के साथ आपको ये करने की जरूरत नहीं है। आप बस साबुन और पानी से भी चांदी के बर्तन को साफ कर सकती हैं। बस कोशिश करें यह बर्तन बहुत नक्काशीदार ना हो, ताकि डिज़ाइन के बीच खाना न फंसे।
जैसा कि आप जानती हैं चांदी आसानी से रियेक्ट नहीं करती। यही कारण है कि इसका प्रयोग अन्य धातुओं से बेहतर है। हालांकि वैज्ञानिकों का मानना है कि प्योर चांदी सुरक्षित नहीं होती, लेकिन बर्तन बनाने के लिए चांदी में अन्य मेटल मिलाए जाते हैं। चांदी का ऑक्सीडेशन नहीं होता इसलिए यह बच्चों के खाने को सुरक्षित रखती है।
अमेरिका की नेशनल हेल्थ लाइब्रेरी के शोध पेपर के अनुसार चांदी न सिर्फ एंटीबैक्टीरियल गुण से भरपूर होती है, बल्कि यह बच्चे के भोजन में भी एन्टी बैक्टीरियल प्रॉपर्टी मिला देता है। इससे बच्चा बैक्टीरिया से होने वाले इंफेक्शन से सुरक्षित रहता है। और उसका इम्यून सिस्टम भी मजबूत होता है।
पुराने समय में राजा महाराजा चांदी के बर्तनों में ही खाते थे। इतना ही नहीं, इसमें खाना स्टोर किया जाता था। खाने के साथ-साथ वाइन रखने के लिए भी चांदी के बर्तनों का उपयोग होता था। ऐसा इसलिए क्योंकि चांदी खाने में माइक्रोब्स पनपने नहीं देती। इससे न खाने में आपस में कोई रिएक्शन होता है, न खाने और बर्तन के बीच। यही कारण है कि चांदी के बर्तन खाना लम्बे समय तक फ्रेश रहता है।
चांदी के बर्तन में अंडे नहीं दिए जाने चाहिए।
बर्तन को धोने के बाद साफ कपड़े से पोंछ कर रखें।
ध्यान रखें कि साबुन पूरी तरह साफ हो जाएं। अगर साबुन रह गया तो यह बच्चे के लिए खतरनाक हो सकता है।
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