जब भी तेज लू चलती है या दोपहर के समय मम्मी को कहीं बाहर निकलना हो, तो वे अपना दुपट्टा सिर पर अच्छी तरह लपेट लेती हैं। कभी-कभी तो उनका लुका ‘डाकू हसीना’ जैसा हो जाता है। हां, सचमुच। गर्मी के मौसम में स्कूटी से कॉलेज और दफ्तर जाने वाली बहुत सारी लड़कियां भी ऐसी ही लगती हैं। पर लुक पर न जाएं, क्योंकि उनकी ये आदत उनकी स्किन को टैनिंग से बचाने के साथ ही, उन्हें हीट स्ट्रोक से बचाने में भी मदद करती है। यही वजह है कि ज्यादातर विशेषज्ञ भी दोपहर की गर्मी में सिर ढक कर बाहर निकलने की सलाह देते हैं। आइए जानें, गर्मी में क्यों जरूरी है सिर ढक कर चलना।
सिर हमारे शरीर का सबसे अहम और सवेंदनशील हिस्सा है। यही वह हिस्सा है जो सबसे पहले सूरज की यूवी किरणों के संपर्क में आता है। वातावरण में मौजूद हानिकारक माइक्रोब्स, प्रदूषक, धूल कण, मिट्टी समेत तेज धूप का सामना इसे सबसे पहले करना पड़ता है। वहीं इस पर मौजूद बाल धूप और गर्मी हो या फिर धूल के कण, सभी को देर तक होल्ड करके रखते हैं। इसलिए सिर को इन सभी पर्यावरणीय कारकों से बचाना सबसे ज्यादा जरूरी है। अकसर मम्मी मुझे यही तर्क देती हैं।
जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है, इसका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर असर दिखने लगा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार (WHO) बढ़ती गर्मी का असर वैश्विक स्तर पर दिखाई देने लगा है। खासतौर से एशियाई और अफ्रीकी देशों में जहां तामपान औसत से बहुत ज्यादा हो जाता है, वहां लोग इसके कारण बीमार पड़ सकते हैं। डब्ल्यूएचओ, के अनुसार बच्चे और युवा आबादी बढ़ती गर्मी के कारण सबसे ज्यादा प्रभावित होती है, क्योंकि यही वे लोग हैं, जो स्कूल, कॉलेज और कार्यालय आदि जाते हैं।
बढ़ती गर्मी के कारण शरीर का ऊर्जा स्तक कम होने लगता है। साथ ही इससे हीट स्ट्रोक, हीट क्रैम्प्स, सन एक्सपोजर, हाइपरथर्मियां और डिहाइड्रेशन जैसी समस्याएं होने लगती हैं। खुद को लगातार हाइड्रेट रखने के अलावा एक काम जो आप कर सकती हैं, वह है अपने सिर को ढक कर चलना।
यूनाइटेड स्टेट इनवायरमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी के अनुसार यूवी रेडिएशन के संपर्क में आने से सिर्फ सिर को ही नहीं, बल्कि इसके साथ आपकी आंखों, पलकों, होंठों, कानों के बाहरी किनारों और त्वचा पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।
एजेंसी ने अमेरिका के हालात का जिक्र करते हुए बताया है कि रेडिएशन की वजह से गर्म देशों की आबादी में मोतियाबिंद के मामले बढ़ रहे हैं। वहीं कई लोग स्किन कैंसर जैसी समस्या का सामना कर रहे हैं। दरअसल इसकी चपेट में 15 से 29 साल तक के लोग ज्यादा आते हैं। वहीं बच्चे, छोटी उम्र में ही यूवी रेज के संपर्क में आने के कारण स्किन कैंसर जैसे मामलों के ज्यादा जोखिम में आ रहे हैं।
डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ रिंकी कपूर चेतावनी देती हैं, कि लगातार धूप के सीधे संपर्क में आने से आप अर्ली एजिंग की भी शिकार हो सकती हैं। यह खतरनाक किरणें त्वचा की नमी और लचीलापन सोख लेती हैं, जिससे उन पर झुर्रियां और फाइन लाइंस नजर आने लगती हैं। ये एजिंग के संकेत हैं और आप उम्र से पहले बूढ़ी दिखने लगती हैं।
इसलिए सुरक्षा के रूप में जब भी बाहर निकलें, त्वचा पर सनस्क्रीन लगाने के साथ ही छाता लेना न भूलें। आप काॅटन क्लॉथ से भी अपने सिर, कानों और चेहरे को अच्छी तरह कवर कर सकती हैं।
डिफेंस एंड वेटरन ब्रेन इंजरी सेंटर अमेरिका में सैन्य कर्मियों के मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए काम करता है। इसके द्वारा की गई एक रिसर्च में सैन्य कर्मियों को गर्मी से मुकाबला करने और अपने सिर को किसी भी तरह के जोखिम से बचाने के लिए उसे कवर करने की सलाह दी गई। सेंटर की रिसर्च में यह भी सामने आया कि तेज गर्मी में बिना सुरक्षा उपायों के काम करने के दौरान कर्मियों के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
जिससे उनमें आक्रामकता और हिंसक व्यवहार बढ़ने लगता है। इसलिए गर्मी में जहां उन्हें सिर को ढकने के लिए कपड़े की टोपी और हेट की सिफारिश की गई, वहीं जोखिम भरे कामों में कानों तक को कवर करने वाले हेलमेट पहनने का सुझाव दिया गया।
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