मेरी छोटी बहन चाहती थी कि उसकी स्किन दाग-धब्बे रहित और शाइनी हो। इसके लिए वह अपनी लाइफस्टाइल को चेंज करने की बजाय तरह-तरह के ब्यूटी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल अपने चेहरों पर किया करती। एक बार उसने फेस स्किन को एक्सफोलिएट करने के लिए अपने चेहरे पर किसी खास कंपनी के प्रोडक्ट को अप्लाई कर लिया। इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि उसके चेहरे पर ब्लू कलर की पिगमेंटेशन हो गई। काफी इलाज के बाद ही उसकी फेस स्किन ठीक हो पाई। दूसरी तरफ मेरी सहेली वेट लॉस करने की योजना बनाती और दिन भर फास्टिंग रखने के बाद शाम को भर पेट जंक फूड खा लिया करती। ऐसा वह हमेशा करती। शरीर पर ज्यादती का परिणाम यह हुआ कि उसका वजन तो कम नहीं हो पाया, उल्टे उसका डायजेस्टिव सिस्टम खराब हो गया। ऐसे उदाहरणों पर मेरी मम्मी हमेशा संस्कृत का अपना पसंदीदा श्लोक बोलती हैं, ‘अति सर्वत्र वर्जयेत्’। पर क्या है संस्कृत के इस श्लोक का मतलब और इसका हमारी सेहत (side effect of too much experiment) से क्या नाता है? आइए समझने की कोशिश करते हैं।
अति सर्वत्र वर्जयेत्। यह एक संस्कृत का श्लोक है, जो हमें यह समझाने की कोशिश करता है कि जब हम किसी भी चीज की हद पार करते हैं, तो वह नुकसानदायक होता है।
स्किन, हेयर, खानपान को लेकर हमें बहुत अधिक प्रयोग नहीं करना चाहिए। इससे स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। स्किन, हेयर को पर्याप्त पोषण देने के लिए ब्यूटी प्रोडक्ट्स के प्रयोग से वे न सिर्फ स्वस्थ होते हैं, बल्कि देखने में भी सुंदर लगते हैं। पर यदि हम उसे ठीक करने के लिए तरह-तरह के प्रयोग करने लग जाते हैं, तो वे फायदे पहुंचाने की बजाय नुकसान ही करते हैं।
ऐसी स्थिति में हमें अति सर्वत्र वर्जयेत् श्लोक को जरूर याद कर लेना चाहिए। किसी भी चीज की अति करने से हमें क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं, इसके लिए हमने नोएडा इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल सांइसेज के असिस्टेंट प्रोफेसर व एमडी मेडिसिन डॉ. सुमोल रत्न से बात की। उन्होंने इससे शरीर को होने वाले कई नुकसान से हमें अवगत कराया।
डॉ. सुमोल बताते हैं, “यदि नेचुरल ब्यूटी प्रोडक्ट का इस्तेमाल किया जाता है, तो इसके साइड इफेक्ट्स न होने की संभावना 75 प्रतिशत से भी अधिक होती है। वहीं केमिकल युक्त प्रोडक्ट्स का जब इस्तेमाल आप करती हैं, तो स्किन पर गलत प्रभाव पड़ने की आशंका का प्रतिशत 50-50 हो सकता है।
इन ब्यूटी प्रोडक्ट्स का स्किन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, खासकर जब स्किनकेयर प्रोडक्ट्स में बहुत अधिक एक्टिव एलिमेंट्स माैजूद हों। इसलिए नए प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करने से पहले एलर्जी की जांच करना बेहद जरूरी है। सीधे चेहरे पर अप्लाई करने से पहले हाथ की स्किन पर लगाकर एलर्जी की जांच कर लें’।
यदि वेट लॉस प्रोग्राम में आपको दिन भर फास्टिंग करने को कहा जाता है और फिर शाम में अधिक भोजन करने की सलाह दी जाती है, तो यह सही नहीं है। अधिक देर तक भूखे रहने पर भी मेटाबॉलिक रेट स्लो हो जाता है और वजन बढ़ता है।
आप कभी-कभार जंक फूड खाती हैं, तो इसका बहुत अधिक असर नहीं पड़ता है। लेकिन फाइबर से भरपूर आहार लेने की बजाय आप नियमित रूप से जंक फूड खाती हैं, तो ओबेसिटी, हार्ट डिजीज और टाइप 2 मधुमेह, लिवर प्रॉब्लम और कुछ मामलों में कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों का भी खतरा बढ़ सकता है।
कई बार हम भोजन के बर्बाद होने के डर से या स्वादिष्ट भोजन देखकर या फिर स्ट्रेस के कारण भी शरीर की क्षमता से अधिक मात्रा में भोजन खा लेते हैं। अत्यधिक भोजन नींद, वजन के साथ-साथ शरीर के दूसरे अंगों पर भी बुरा प्रभाव डालता है। हमारे मस्तिष्क को पेट तक संकेत भेजने में लगभग 20 मिनट का समय लगता है। इसके बाद पता चलता है कि पेट भरा हुआ है।
ओवरईटिंग तब होती है जब इस संकेत को समझे बिना आगे खाना जारी रखा जाता है। अधिक खाने से वजन बढ़ सकता है। इससे कैंसर का खतरा भी बढ़ सकता है। ओवरईटिंग शरीर को कई तरह से प्रभावित करती है।
ऑफिस की एक कुलीग को बाल कलर करने का बहुत शौक था। वे अक्सर बालों पर कई अलग तरह के कलर का प्रयोग करतीं। बालों के ऊपर प्रोडक्ट्स के अत्यधिक प्रयोग से उनके बाल रूखे और बेजान हो गए। वे झड़ने और टूटने भी लगे।
डॉ. सुमोल के अनुसार, बालों पर हेयर प्रोडक्ट का अधिक इस्तेमाल बालों को चिपचिपा, कमजोर और रुखा बना सकता है। यह बालों की जड़ों को कमजोर कर देता है। इससे गंजेपन जैसी समस्या भी हो सकती है।
तो गर्ल्स याद रखिए, शरीर को स्वस्थ रखने के लिए हमें संस्कृत के इस श्लाेक का पालन जरूर करना चाहिए।
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