क्या आप घर लौटते ही गट-गट पानी पी जाती हैं? या खाना खाते समय जब बहुत मिर्च लगती है तो गिलास भर कर पानी पी लेती हैं? अगर इन दोनों का जवाब हां है, ताे आप बहुत गलती कर रहीं हैं। क्योंकि जिस तरह खाना खाने का एक सही समय और तरीका होता है, उसी तरह पानी पीने का भी एक सही तरीका और मात्रा होती है। इस बारे में और जानना चाहती हैं तो इसे पढ़ती रहें।
आपने अक्सर अपनी दादी-नानी को कहते सुना होगा कि खड़े होकर पानी नहीं पीना चाहिए, या दौड़ के या चल के आ कर तुरंत पानी नहीं पीना चाहिए, एक सांस में पानी नहीं पीना चाहिए। है ना? इसके लिए वे बहुत सारे कारण गिनाती हैं। पेट फूलने से लेकर घुटनों में दर्द होने तक। पर क्या वाकई ऐसा है? यही जानने के लिए हमने एक एक्सपर्ट से संपर्क किया।
फोर्टिस एस्कॉर्ट अस्पताल फ़रीदाबाद के सीनियर कंसल्टेंट नेफ्रोलॉजी डॉ तेजेंद्र सिंह चौहान पानी पीने के सही तरीके के बारे में विस्तार से बात कर रहे हैं।
डॉ तेजेंद्र बताते हैं,”आपका शरीर लगभग 70% पानी है, और इसे पर्याप्त मात्रा में पानी पीना बेहतर स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं। हमारे शरीर का चलना-फिरना पानी पर निर्भर करता है। यह एक यूनिवर्सल सॉल्वेंट है, जिसमें शरीर की सारी क्रियाएं चलती है। यह शरीर की गंदगी को पेशाब, पसीना तथा पेट के रास्ते से बाहर निकालता है जिससे हमारे शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है।”
वहीं सेंटर ऑफ़ डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के अनुसार पानी आपके शरीर में कई भूमिकाएँ निभाता है, जिसमें इलेक्ट्रोलाइट संतुलन और रक्तचाप बनाए रखना, जोड़ों को चिकनाई देना, शरीर के तापमान को नियंत्रित करना और सेल स्वास्थ्य को बढ़ावा देना शामिल है। बदलते मौसम में पानी की कमी हमें कई स्वास्थ्य जोखिम में डाल सकती है जिसमें, पेट से जुड़ी समस्याएं, थकान,कमजोरी, शामिल है।
आयुर्वेद में सदियों से पानी पीने के सही तरीके पर जोर दिया गया है। बसंत लाड की एक किताब ‘द कम्प्लीट बुक ऑफ आयुर्वेदिक होम रेमेडीज’ में इसके बारे में विस्तार से समझाया गया है। किताब के अनुसार, पानी चेतना की अभिव्यक्ति है। पानी में वह सभी गुण मौजूद हैं जो यह अणुओं को एक साथ लाता है।
यह शरीर में प्लाज्मा, साइटोप्लाज्म, सीरम, लार, नाक स्राव, मस्तिष्कमेरु द्रव, मूत्र और पसीने के रूप में मौजूद होता है। इसलिए पोषण के अवशोषण और हमारे जीवन को बनाए रखने के लिए पानी महत्वपूर्ण है। अगर हमारे शरीर में पानी नहीं रहेगा तो हमारे कोशिकाएं जीवित नहीं रह सकेंगे।
डॉ तेजेंद्र के अनुसार पानी कैसे पीना चाहिए इस दिशा में कोई शोध नहीं हुआ है पर शरीर के मेटाबॉलिज्म के आधार पर यह पाया जाता है कि गिलास में भरकर घुट घुट पानी पीना प्यास को सही ढंग से बुझाता है इसके विपरीत बोतल से सीधा पानी पीना उचित नहीं है। हालांकि नीचे पानी पीने की कुछ तरीकों के बारे में विश्लेषण किया गया है जो आपकी सेहत को बरकरार रखने में सहायता करेंगे।
आयुर्वेद सलाह देता है कि पानी हमेशा बैठ कर ही पीना चाहिए क्योंकि जब आप खड़े होकर पानी का सेवन करते हैं तो पानी सीधे कोलन तक पहुंच जाता है। इस कारण पानी में मौजूद पोषक तत्व अवशोषित नहीं हो पाते। जिसके कारण गठिया जैसे कई रोग हो जाते हैं।
पानी को हमेशा घूंट-घूंट में पीना चाहिए एक साथ पानी पीना आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है। दरअसल हमारा स्लाइवा नेचर में एल्कलाइन होता है। पानी पीने के साथ हमारे मुंह में मौजूद सलाइवा पानी में मिक्स होना चाहिए ताकि वह हमारे पेट में एसिड को स्थिर कर सके। एक साथ पानी पीने के कारण सलाइवा मिक्स नहीं हो पाता है। और पाचन संबंधी समस्याएं हो जाती हैं।
ज्यादा ठंडा पानी पीने से प्यास नहीं बुझती। पीने का पानी हमेशा रूम टेंपरेचर के तापमान पर होना चाहिए। क्योंकि यह आपको ज्यादा बेहतर तरीके से संतुष्ट करता है। ठंडा पानी आपके पाचन के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं होता। आयुर्वेद में कहा गया है कि ठंडा पानी भोजन के बाद पीना आपके लिए जहर काम कर सकता है। क्योंकि यह पाचन रसों को मार देता है।
आयुर्वेद के अनुसार, पेट में 50% भोजन, 25% पानी होना चाहिए। बाकी 25% जगह खाली होनी चाहिए ताकि पाचन की प्रक्रिया बेहतर ढंग से काम कर सके। इसीलिए भरपेट खाने की सलाह नहीं दी जाती। यदि आप खाने से पहले पानी पी लेते हैं और खाने के बाद भी पानी पीते हैं, या खाने के बीच भी पानी पीते हैं तो पेट भर जाता है और पाचन की प्रक्रिया धीमी हो जाती है।
दिन में कितना पानी पीना चाहिए यह आपके वातावरण पर निर्भर करता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ आमतौर पर 8 गिलास यानी करीब 2 लीटर पानी पीने की सलाह। इसे 8×8 नियम कहा जाता है और इसे याद रखना बहुत आसान है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि आपको प्यासे न होने पर भी पूरे दिन लगातार पानी की घूंट पीने की जरूरत है।
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