सावन का महीना (Sawan Fasting) आते ही व्रत और उपवास का सिलसिला शुरू हो जाता है। उपवास भारतीय संस्कृति का हिस्सा रहे हैं। मेरी मम्मी भी मुझे सावन शुरु होने से पहले ही उपवास के लिए याद दिलाना शुरू कर देती हैं। हालांकि उनके पास फास्टिंग के कई कारण हैं। पर मैं अपनी फिटनेस और हेल्थ को प्राथमिकता देती हूं। इसलिए मैंने तय किया कि फास्टिंग के वैज्ञानिक आधार ढूंढे जाएं। ताकि पता लगाया जा सके कि वाकई उपवास सेहत (Fasting benefits for health) के लिए फायदेमंद हैं भी या नहीं!
जैसे ही मेरी खोज शुरू हुई तो मालूम हुआ कि आयुर्वेद में भी मानसून में उपवास के महत्व पर जोर दिया गया है। मेडिकल साइंस भी मानता है कि सही तरीके से यदि फास्टिंग की जाए, तो यह न केवल वजन कम करने में मदद करता है, बल्कि मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है। इसके साथ ही यह हार्ट, हाई ब्लड प्रेशर और अस्थमा से संबंधित समस्याओं के इलाज में भी प्रभावी है। आइए जानते हैं क्या हैं फास्टिंग के फायदे (Fasting benefits)।
आयुर्वेद के अनुसार, मौसम में परिवर्तन के कारण उपवास किया जाता है। भारत के अधिकांश हिस्सों में मई और जून साल के सबसे गर्म महीने होते हैं। मानसून आने के साथ ही बारिश शुरू हो जाती है। इससे वातावरण ठंडा हो जाता है।
उपवास बदलते मौसम में शरीर को समायोजित करने और डिटॉक्सिफाई होने में मदद करता है। इस समय शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, जिसके कारण लोगों को इन्फेक्शन जल्दी होता है। इसलिए हल्का भोजन करने की सलाह दी जाती है।
कुछ लोगों के लिए उपवास का मतलब पूरे दिन तक भूखे-प्यासे रहना और दूसरे दिन हैवी, डीप फ्राईड फूड करना है। जबकि कुछ लोग उपवास के दौरान दिन भर आलू, आलू के चिप्स, साबूदाने के चिप्स जैसे फैटी फूड का सेवन करते रहते हैं।
आयुर्वेदाचार्य सत्यम त्यागी कहते हैं, “उपवास के ये दोनों ही तरीके बिल्कुल गलत हैं। इससे स्वास्थ्य को फायदे की बजाए नुकसान ही होता है। इसलिए यह जरूरी है कि आप उपवास का सही तरीका जानें।
उपवास के दौरान तरल पदार्थों का अधिक सेवन करना चाहिए।
मौसमी फल, जूस, दूध आदि का सेवन करना चाहिए।
थोड़े अंतराल पर पूरे दिन खाते रहें। लिक्विड भी पीती रहें।
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कस्टमाइज़ करेंडाइट में अधिक फाइबर लेने पर उपवास आपके लिए वेट लॉस का कारगर उपाय बन जाएगा।
डायबिटीज के पेशेंट उपवास न करें। यदि उनकी इच्छा है, तो शुगर लेस हेल्दी फूड लें। डॉक्टर से परामर्श लेने के बाद ही उपवास रखें। क्योंकि ब्लड शुगर लेवल हाई और लो होना दोनों उनके लिए खतरनाक है।
नोएडा इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के एम डी, मेडिसिन और असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सुमोल रत्न बताते हैं, “उपवास को विज्ञान का भी समर्थन प्राप्त है। इससे वेट लॉस होता है और कई बीमारियों से यह सुरक्षा प्रदान करने में मदद करता है।”
साथ ही वे सुझाव देते हैं कि, “जब हम उपवास और शरीर को डिटॉक्स करने के बारे में बात करते हैं, तो उसका सही तरीका भी आपको पता होना चाहिए। उपवास हेल्दी डिटॉक्स में मददगार है। इसके लिए हमारे शरीर में संपूर्ण प्रणाली है। हमारा लीवर और किडनी दोनों ही हमारे शरीर से टॉक्सिंस को निकालने और हमें स्वस्थ रखने के लिए लगातार काम करते रहते हैं। व्यक्ति को केवल पोषक तत्वों से भरपूर भोजन खाना चाहिए और स्वस्थ आदतों का अभ्यास करना चाहिए। ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि शरीर के सभी अंग ठीक से काम कर रहे हैं।
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