नवजात के लिए मां का दूध ही संपूर्ण आहार होता है। इसलिए शुरूआती दिनों में बच्चा मां के दूध से ही सभी पोषक तत्व लेता है। मां के दूध से बच्चे की इम्युनिटी पावर मजबूत होती है साथ ही कई बीमारी से बचाव भी होता है। इसके लिए मां को संपूर्ण आहार लेना जरूरी होता है। मां के खान पान का सीधा असर बच्चे पर ही पड़ता है। जितना पोष्टिक खाना होगा ब्रेस्ट मिल्क उतना पोषण देने वाला होगा। पर कई बार मां के स्तनों में इतना दूध प्रोड्यूस नहीं हो पाता, कि उससे बच्चे का पेट भर सके। जबकि कई बार स्तनपान के बावजूद बच्चा कमजोर रहता है। आइए जानते हैं क्याें हाेता है ऐसा और आप इसके (breastfeeding nutrition) लिए क्या कर सकती हैं।
मध्य प्रदेश के मेडकिल कॉलेज में नौ सालों सेवाएं दे रहीं पीडियाट्रिक डॉक्टर यामिनी जामोद बताती हैं कि शिशु के बेहतर विकास के लिए मां का दूध बहुत जरूरी होता है। मां का दूध न सिर्फ बच्चे हड्डियों को मजबूती देता है। बल्कि शरीर के संपूर्ण विकास में भी सहयोगी है। डॉ कहते हैं जन्म के 6 माह तक बच्चे को सिर्फ मां का ही दूध देना चाहिए। इसके बाद ही ठोस आहार देना शुरू करना चाहिए या मां के दूध के बजाए बोतल वाला दूध पिलाने की सलाह दी जाती है।
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डॉ जामोद कहती हैं कि नवजात का भोजन मां का दूध ही होता है। मां का दूध बच्चे के लिए भरपूर पोषण दे रहा है कि नहीं इसकी जानकारी बच्चे के पेशाब से हो सकती है। सभी पोषक तत्व शिशु को अगर भरपरू मात्रा में मिल रहे हैं तो वह बार-बार पेशाब करेगा। एक शिशु का दिन भर में सात से आठ बार पेशाब करना जरूरी है।
बच्चे को दूध पिलाते वक्त मां को ध्यान रखना चाहिए कि बच्चा दोनों स्तनों से दूध पिए। बच्चा एक ही स्तन से दूध पीकर अपना पेट भरेगा, तो दूसरे स्तन का दूध खाली नहीं हो पाएगा। ध्यान देन वाली बात यह है कि एक स्तन का दूध खाली होने के बाद ही दूसरे पिलाएं। यदि पहले वाले में दूध रह जाता है, तो यह दूध में फैट की मात्रा को कम करेगा। जिससे बच्चे को फैट जरूरी मात्रा में नहीं मिल पाएगा। बच्चा यदि पूरा दूध नहीं पी पाता है तो ब्रेस्ट पंप की हेल्प से दूध बाहर निकाल ब्रेस्ट खाली कर सकती हैं।
बच्चा अगर भूखा है और आप उसे फीड कराने जा रहीं हैं, तो पहले आप दोनों स्तनों की मसाज कर लें। ब्रेस्ट मसाज करने से ब्रेस्ट मिल्क में फैट बढ़ जाता है। साथ ही बच्चा भी भरपूर मात्रा में पोषक आहार ग्रहण कर सकेगा। ऐसे स्तन भी खाली हो जाता है, फैट में भी सुधार होता है।
दूध पिला रही महिलाओं को पोष्टिक आहार का सेवन करना चाहिए। ऐसे आहार का सेवन करना उचित रहेगा जिसमें पॉलीअनसैचुरेटेड और मोनोसैचुरेटेड फैट एसिड अधिक मात्रा में मौजूद हो। इससे बच्चे के मस्तिष्क का संपूर्ण विकास होता है। इसके लिए हरी सब्जियां, अंडा, साबुत अनाज, सोयाबीन साहित फलों का सेवन करना चाहिए।
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