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मम्मी कहती हैं खट्टे फूड्स बढ़ा सकते हैं मुहांसे की समस्या, इस बारे में क्या कहता है आयुर्वेद

खट्टे खाद्य पदार्थों से अम्ल रस की बढ़ोतरी हो सकती है। इससे एक्ने और पिंपल्स का ब्रेकआउट हो सकता है। इस बारे में और भी जानना है जरूरी। 
Updated On: 20 Oct 2023, 09:25 am IST
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citrus fruits ke fayade
विटामिन सी से भरपूर होने के बावजूद खट्टे खाद्य पदार्थ मुंहासे की समस्या बढ़ा सकते हैं। चित्र : शटरस्टॉक

खट्टे, चटपटे स्वाद वाला भोजन कौन नहीं खाना चाहता। खासकर टीन एज में तो ऐसे फूड को देखते ही मुंह में पानी आने लगता है। यदि आपको भी खट्टे भोजन को देखकर खाने का मन करने लगता है, तो जान लें कि इससे आपको मुंहासे या एक्ने की समस्या हो सकती है। मां कहती हैं कि पुराने समय में भी खट्टे खाद्य पदार्थों को खाने से मना किया जाता था। खट्टे भोजन से कुछ लोगों में त्वचा संबंधी समस्याएं (sour food effect on skin) हो सकती हैं। आइए जानते हैं इस बारे में क्या कहता है आयुर्वेद। 

खट्टे भोजन से एक्ने की समस्या क्यों बढ़ जाती (sour food can increase acne) है, यह जानने के लिए हमने बात की आयुर्वेद एक्सपर्ट डॉ. नीतू भट्ट से।

खट्टे खाद्य पदार्थों में अम्ल रस अधिक होता है

डॉ. नीतू भट्ट कहती हैं, आयुर्वेद के अनुसार, हमारा शरीर 3 प्रकार का होता है- वात दोष, पित्त दोष और कफ दोष।

अग्नि और जल हमारे शरीर में बनने वाले हार्मोन और एंजाइम को नियंत्रित करता है। पेट और छोटी आंत में पित्त पाया जाता है। यह पित्त शरीर का तापमान और पाचक अग्नि नियंत्रित करता है। पित्त यदि संतुलित अवस्था में रहता है, तो व्यक्ति का स्वास्थ्य बढ़िया होता है।

पित्त के असंतुलन से पाचक अग्नि कमजोर पड़ने लगती है और अपच, कब्ज, एसिडिटी की समस्या होने लगती है। खट्टा, चटपटा, नमकीन, मसालेदार भोजन से पित्त की समस्या बढ़ने लगती है।

डॉ. नीतू के अनुसार, खट्टे खाद्य पदार्थ में अम्ल रस अधिक होता है, जो पित्त दोष को बढ़ाता है। पित्त दोष के कारण डायजेस्टिव सिस्टम की समस्या होती है। इसकी वजह से ही एक्ने या पिंपल होते हैं।

पाचन तंत्र को प्रभावित कर देता है अम्ल रस

एसिड यानी अम्ल रस बनाने वाले खाद्य पदार्थों का यदि ज्यादा मात्रा में सेवन किया जाता है, तो यह आपके शरीर को एक्ने और पिंपल्स सहित कई स्किन डिजीज के प्रति अधिक संवेदनशील बना देता है। 

इसका कारण यह है कि एसिड के बचे-खुचे अंश गट हेल्थ को प्रभावित कर देते हैं। इसकी वजह से आपके द्वारा खाए जा रहे न्यूट्रीएंट्स का पाचन सही तरीके से नहीं हो पाता है।

दही में भी खट्टापन हो सकता है और यह पित्त दोष को बढ़ा सकता है। दही के अलावा, वसा युक्त दूध, पनीर और आइसक्रीम जैसे डेयरी प्रोडक्ट भी एक्ने को ट्रिगर करने का काम कर सकते हैं।

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खट्टा दही कील-मुंहासों की समस्या बढ़ा सकता है। चित्र: शटरस्‍टॉक

डेयरी प्रोडक्ट में मौजूद केसइन सीबम ग्लैंड्स को सक्रिय करने का काम कर सकता है, जिससे एक्ने और पिंपल्स की समस्या बढ़ सकती है।

संतुलित मात्रा में करें खट्टे फलों का सेवन

वेदास क्योर के आयुर्वेद एक्सपर्ट विकास चावला कहते हैं, “खट्टे फलों का सेवन से कील-मुंहासों की समस्या नहीं होती है। खट्टे फल में विटामिन सी मौजूद होता है, जो शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाता है। 

यदि हम खट्टे फलों का अधिक सेवन करते हैं, तो इससे स्किन इन्फ्लेमेशन बढ़ने की संभावना रहती है। इससे स्किन इरिटेशन, पिंपल्स या एक्ने जैसी समस्या हो सकती है। डॉ. विकास आगे बताते हैं, खट्टे फल फायदेमंद होते हैं, लेकिन पिंपल्स से बचने के लिए इनका सेवन संतुलित मात्रा में करना चाहिए। इन फलों में संतरा, अंगूर और नींबू एक अच्छा विकल्प है। इन सभी फलों में विटामिन सी और जिंक जैसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं, जो आपकी स्किन को अंदर से स्वस्थ करते हैं। 

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विटामिन ई सीरम का प्रयोग करने से पहले चिकित्सक की सलाह जरूर लें। चित्र- शटरस्टॉक

इनके अलावा, विटामिन ई सीरम का भी प्रयोग किया जा सकता है। लेकिन सीरम के प्रयोग से पहले चिकित्सक की सलाह लेनी जरूरी है।”

यह भी पढ़ें:-आपकी सेहत के बारे में सब बताती हैं स्किन, आयुर्वेद से जानिए कैसे रखना है इसका ख्याल

डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।

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लेखक के बारे में
स्मिता सिंह
स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है।

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