तिल का हर बीज पोषक तत्वों का भंडार है। सर्दियों में तिल का इस्तेमाल लड्डू से लेकर चकली तक हर चीज़ में किया जाता है। क्या आप जानते हैं कि इसके सेवन से अनियमित पीरियड्स और हार्मोन इंबैलेंस की समस्या को भी सुलझाया जा सकता है। जी हां, कैल्शियम और आयरन से भरपूर तिल की तासीर गर्म होती है। इसलिए इसे अनियमित पीरियड (sesame seeds for periods) और हॉर्मोन के असंतुलन की समस्या का उपचार बताया गया है। आइए जानते हैं तिल के फायदे (Sesame seeds benefits) और यह कैसे महिलाओं के लिए फायदेमंद साबित होते हैं।
मॉडरेशन में लिए गए सुपरफूड जादुई तरीके से काम करते हैं। तिल के बारे में भी यह कहा जा सकता है। अकसर महिलाएं जब अनियमित माहवारी का सामना करती हैं, तो उन्हें तिल के सेवन की सलाह दादी-नानी से मिलती रही है। मगर क्या इसका कोई वैज्ञानिक आधार भी है? यही जानने के लिए हमने तिल पर गहनता से रिसर्च की।
अकसर विंटर फूड्स में टॉपिंग के तौर पर प्रयोग किए जाने वाले तिल में फैटी एसिड पाया जाता है, जो शरीर को हेल्दी बनाए रखता है। मगर इसकी कुछ और खासियतें भी हैं। तिल का सेवन अनियमित पीरियड और हार्मोन इंबैलेंस की समस्या को रिवर्स करने में मदद कर सकता है।
सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल के अनुसार तिल के बीज में जिंक की उच्च मात्रा पाई जाती है। इससे शरीर में प्रोजेस्टेरोन की मात्रा बढ़ने लगती है। इसके अलावा तिल में लिग्नन्स यानि फाइबर से भरपूर कंपाउड पाए जाते हैं। मासिक धर्म के ल्यूटियल चरण यानि सेकण्ड फेज़ जो 15 से 28 वें दिन तक होता है। उस दौरान तिल का सेवन करना चाहिए। इससे पीरियड साइकल नियमित होने लगती है।
एंटीऑक्सीडेंटस और एंटीबैक्टीरियल प्रापर्टीज़ से भरपूर तिल शरीर में हार्मोन इंबैलेंस की समस्या को दूर करने में सहायक है। रिसर्च के अनुसार तिल के बीज में विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसकी मदद से शरीर में एस्ट्रोजन के लेवल में बढ़ोतरी होती है। एस्ट्रोजन का उच्च स्तर यूटर्स के संकुचन को उत्तेजित करते हैं, जो ब्लीडिंग का कारण साबित होता है।
इस बारे में मणिपाल हास्पिटल गाज़ियाबाद में हेड ऑफ न्यूट्रीशन और डाइटेटिक्स डॉ अदिति शर्मा बताती हैं कि तिल के सेवन से शरीर में ब्लड फ्लो नियमित होने लगता है, जो अनियमित पीरियड की समसया को सुलझाने में कारगर साबित होता है। मगर पीरियड्स को जल्दी लाने के लिए अगर आपका इसका प्रयोग कर रही है, तो वह फायदे की बजाए नुकसानदेह हो सकता है। मॉडरेशन में इसका सेवन करने से पीरियड में रक्त स्राव या ब्लड फ्लो सही रहता है। इसमें मौजूद जिंक और आयरन शरीर में रेड ब्लड सेल्स की मात्रा बढ़ाते हैं।
मैक्स हॉस्पिटल में एसोसिएट डायरेक्टर गाइनोकोलॉजी डॉ रितु सेठी बताती हैं कि इस दावे का समर्थन करने के लिए कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि तिल के बीज मासिक धर्म को प्रेरित या विनियमित कर सकते हैं। उनके अुनसार पीरियड साइकल हार्मोनल परिवर्तनों से प्रभावित एक प्रक्रिया है, जो तनाव पोषण और ओवरऑल हेल्थ के कारण प्रभावित होते हैं।
तिल के बीज में आयरन, कैल्शियम और फाइबर जैसे आवश्यक पोषक तत्व पाए जाते हैं। अगर आप अनियमित मासिक धर्म चक्र की समस्या का सामना कर रहे हैं, तो उसके लिए एक्सपर्ट से अवश्य परामर्श लें और जांच करवाएं।
मासिक धर्म को नियमित रखने के लिए सर्दी के दिनों में 1 चम्मच काले तिल या सफेद तिल को आहार में सम्मिलित कर सकते हैं। वहीं इसकी तासीर गर्म होने के चलते गर्मी के दिनों में तिल को भिगोकर उसका सेवन कर सकते है। इसके सेवन से इनफर्टिलिटी की समस्या को भी दूर किया जा सकता है। इसे मॉडरेट ढ़ग से डाइट में शामिल करके कई समस्याओं से निपटा जा सकता है।
तिल के सेवन से शरीर में एस्ट्रोजेन की मात्रा बढ़ने लगती है। इससे मांसपेशियों में होने वाली ऐंठन से मुक्ति मिलती है। शरीर में लिग्नन्स का स्तर बढ़ने से हार्मोनल प्रोडक्टस नियंत्रित हो जाता है, जो पेट में ऐंठन से राहत दिलाता है। इसके अलावा तिल के तेल से लोअर एब्डोमन पर मसाज करने से भी ऐंठन की समस्या से बचा जा सकता है।
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कस्टमाइज़ करेंअनियमित पीरियड्स यानि ओलिगोमेनोरिया की स्थिति से निपटने के लिए तिल को मील में शामिल अवश्य करें। इसके सेवन से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ने लगता है, जो पीरियड साइकल को रेगुलर करने में मदद करता है। इसमें पाए जाने वाले फैटी एसिड की मदद से होर्मोनल रेगुलेट होते हैं, जो पीसीओडी की समस्या को नियंत्रित करने में मदद करता है।
असल में हॉर्मोनल इंबैलेंस के कारण शरीर में पीसीओएस की समस्या बढ़ने लगती है। इससे चेहरे पर हेयरग्रोथ का बढ़ना और पिंपल्स की समस्या बढ़ने लगती है। तिल को डाइट में शामिल करने ब्लड सर्कुलेशन उचित तरीके से होने लगता है, जो होर्मोनल प्रक्रिया को भी प्रभावित करते हैं।
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