जब बच्चे की देखभाल की बात आती है तो ‘तेल मालिश’ जरूरी है! यह न केवल बच्चे के शरीर को आराम देती है, बल्कि उनकी त्वचा की देखभाल और सेहत के लिए भी आवश्यक है। तेल मालिश एक ऐसी परंपरा रही है, जो सदियों से चली आ रही है। अभी तक हम अपनी मां या नानी से देसी घी से बच्चों की मालिश करने के बारे में सुनते आए हैं। पर अब विशेषज्ञ कुछ ऐसे एसेंशियल ऑयल के इस्तेमाल की सलाह देते हैं, जो बेबी की स्किन के लिए एकदम परफेक्ट हैं। आइए जानते हैं बच्चों के लिए ऑयल मसाज और इन एसेंशियल ऑयल के फायदों (oil massage benefits for baby) के बारे में।
तेल मालिश आपके बच्चे की कोमल, चिकनी त्वचा की रक्षा करते हुए इसके विकास में सहयोग करती है। साथ ही मालिश त्वचा को हाइड्रेट भी करती है। यह आपके बच्चे की मांसपेशियों को आराम देती है। जिससे उन्हें अच्छी नींद आती है। इसके अतिरिक्त मालिश के लिए इस्तेमाल होने वाले तेल पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। जो आपके बच्चे के लिए त्वचा की देखभाल के लिए पोषक तत्त्व के रूप में भी काम करते हैं।
इसलिए नवजात शिशु की मालिश करते समय सही तेल चुनना बहुत जरूरी है। सभी तेल समान नहीं होते हैं और सभी तेल बच्चे की त्वचा के लिए फायदेमंद नहीं होते। यहां तक कि मालिश के साथ-साथ ऑयल में मौजूद कॉम्पोनेंट भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं।
ये प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले तेल आपके बच्चे की त्वचा को मजबूत बनाने, प्राकृतिक मॉइस्चराइजर के रूप में कार्य करने और विकास में मदद करते हैं।
नारियल के तेल में रोगाणुरोधी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो त्वचा की रक्षा और मजबूती प्रदान करते हैं। ये शुष्कता या ड्राईनेस दूर करने में मदद करते हैं।
सूरजमुखी का तेल त्वचा के लिए फायदेमंद होता है और बच्चे के स्वस्थ हड्डियों के लिए ज़रूरी है। सूरजमुखी के तेल में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है।
बच्चों की रूखी त्वचा के लिए अरंडी का तेल एक बेहतरीन उपाय है।
तिल हड्डियों और मांसपेशियों की मजबूती के लिए अच्छा होता है।
जैतून का तेल को एक लिक्विड गोल्ड कहा जाता है जो आपके बच्चे की त्वचा की रक्षा करता है और उसे हाइड्रेट करता है।
स्वीट आमंड ऑयल (मीठे बादाम का तेल) चकत्ते। एक्जिमा। खराश और त्वचा की ड्राईनेस को दूर करने में मदद करता है और रक्त परिसंचरण (blood circulation) को सुधारता है।
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कस्टमाइज़ करेंअश्वगंधा तेल मांसपेशियों की ताकत को बढ़ावा देने और बच्चे को सक्रिय करने में मदद करता है। यह शरीर को पोषण देता है। मांसपेशियों के संतुलन में मदद करता है और रिलैक्स करता है।
हल्दी के तेल में एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं जो आपके बच्चे की त्वचा की रक्षा करते हैं और त्वचा को हेल्दी बनाने का काम करते हैं।
कपूर का तेल बदन दर्द से राहत दिलाने में मदद करता है और ब्रीदिंग को सुधारता है।
ब्राह्मी तेल की अच्छाई मस्तिष्क के विकास में मदद करने के साथ ही मेमोरी को भी बूस्ट करता है। यह आंखों की रोशनी को तेज करता है और बालों के विकास के लिए काम करता है। यह बच्चे के तंत्रिका तंत्र (nervous system) को भी विकसित करता है। बच्चे की त्वचा को आराम देता है और अच्छी नींद को बढ़ावा देता है।
तुलसी का तेल त्वचा की कोशिकाओं के चयापचय और लोच को बढ़ाते हुए एक्जिमा को ठीक करने में मदद करता है।
दालचीनी का तेल अपनी सुगंध से बच्चे के प्रतिरक्षा प्रणाली को स्वस्थ बनाए रखता है और आंतरिक रूप से भी इसे स्वस्थ बनाता है। यह गले की मांसपेशियों और जोड़ों की मज़बूती में भी मदद करता है।
हालांकि इन सभी तेलों का मिश्रण चुनना आपके बच्चे के लिए अधिक फायदेमंद हो सकता है। यह आपके बच्चे की त्वचा को नमीयुक्त, पोषित रखने और समग्र विकास को बढ़ावा देने का सबसे प्रभावी और कारगर तरीका है। इसके अलावा सुनिश्चित करें कि तेल खुशबूरहित हों और बच्चे की त्वचा पर कोमल हों।
मालिश आपके और आपके बच्चे के बीच के बंधन को बढ़ावा देती है।
एक हल्की मालिश आपके बच्चे की त्वचा को रिलैक्स कर सकती है। पेट को स्वस्थ बना सकती है और ज़रूरी पोषण प्रदान कर सकती है।
यह हड्डियों को मजबूत बनाने में भी मदद करती है।
एक अच्छी तेल मालिश आपके बच्चे की नींद बढ़ाती है। शरीर को टोन करती है और रक्त परिसंचरण और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र की उन्नति में सहायता करती है।
यह बच्चे की मांसपेशियों को मजबूत करने में मददगार है।
तेल मालिश आपके बच्चे की त्वचा को पोषण प्रदान करती है। उसे नमीयुक्त रखती है और सूखापन कम करती है।
यह आपके बच्चे की त्वचा को संक्रमण और अन्य त्वचा रोगों से भी बचाती है।
शिशु की मालिश ऐसे पोषक तेल से करें जो हानिकारक और हार्श रसायनों परबेन्स, सल्फेट्स, सिलिकोन और एलर्जी से मुक्त हो। ऐसे उत्पादों को प्राथमिकता दें जो चिकित्सकीय रूप से सिद्ध हों और त्वचा विशेषज्ञ से प्रमाणित किए गए हों। आप मालिश करने से पहले अपने बच्चे के मूड को ध्यान में रखते हुए जन्म के पहले सप्ताह के बाद से मालिश करना शुरू कर सकती हैं। शिशु की मालिश से आप दोनों को ही आराम मिल सकता है।
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