मेरी मम्मी हल्दी की दीवानी हैं। दाल, सब्जी, पोहा और यहां तक कि दूध में भी वे हल्दी डालकर देना पसंद करती हैं। पर जब उन्होंने मुझे हर सुबह खाली पेट हल्दी का पानी पीते देखा, तो वे इस पर नाराज़ हुईं। उनका मानना था कि भारतीय खानपान में हल्दी को एक सीमा तक ही शामिल करने की ही व्यवस्था है। जबकि इसका ज्यादा होना कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का बढ़ा सकता है। अब जब सोशल मीडिया पर सारे इंफ्लुएंसर हल्दी का पानी (Turmeric water) पीने की सलाह दे रहे हैं, तो मैंने भी सोचा क्याें न इस पर एक्सपर्ट से बात की जाए। आइए जानते हैं कितना और कब सेफ है हल्दी का पानी पीना।
हल्दी के पानी से बॉडी टॉक्सिन्स को रिमूव करने में मदद मिलती है। बॉडी को डिटॉक्स करते हुए यह त्वचा, पाचन सहित सेहत संबंधी विभिन्न प्रकार की समस्यायों में प्रभावी रूप से काम करता है। परंतु क्या आपको मालूम है कि इसकी अधिकता आपकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकती है। हर चीज की एक सीमा होती है।
यदि कोई चीज आपको फायदें प्रदान कर रही है, इसका मतलब यह नहीं है कि इसकी अधिकता आपकी सेहत के लिए अधिक फायदेमंद रहेगी। तो आइए जानते हैं आखिर किस प्रकार टर्मरिक वॉटर की अधिकता आपके लिए हानिकारक हो सकती हैं। साथ ही जानेंगे कितनी मात्रा में इनका सेवन सुरक्षित होता है।
हेल्थ शॉट्स ने इस विषय पर न्यूट्रीफाई बाई पूनम डाइट एंड वैलनेस क्लिनिक एंड अकेडमी की डायरेक्टर पूनम दुनेजा से सलाह ली। तो चलिए एक्सपर्ट से जानते हैं हल्दी पानी की कितनी मात्रा हमारे लिए सुरक्षित है।
इस फायदेमंद मसाले के बारे में याद रखने वाली सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ये यूरिनरी ऑक्सालेट के स्तर को बढ़ा देता है। हल्दी में करक्यूमिन नमक कंपाउंड मौजूद होता है जो सॉल्युबल ऑक्सलेट में उच्च होता है। ये ऑक्सालेट्स खुद को कैल्शियम से जोड़ लेते हैं और इनसॉल्युबल कैल्शियम ऑक्सालेट बनाते हैं, जो किडनी स्टोन के लिए जिम्मेदार होता है। 75% किडनी स्टोन का कारण कैल्शियम ऑक्सालेट होता है।
हल्दी वॉटर को डिटॉक्स ड्रिंक की तरह लेना हेल्दी है परन्तु ध्यान रहे की इसकी अधिकता समस्याएं खड़ी कर सकती है। इनकी अधिकता यूरिनरी ऑक्सालेट के स्तर को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकती हैं और अतिसंवेदनशील लोगों में गुर्दे की पथरी के विकास के जोखिम को बढ़ा सकती है।
यहां तक कि जब आप इसे सिमित मात्रा में लेती हैं फिर भी हल्दी हल्के दुष्प्रभाव पैदा कर सकती है। यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के अनुसार हल्दी की अधिकता से पेट की ख़राबी, दस्त, चक्कर आना और सिर दर्द जैसी समस्या हो सकती है।
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यदि आपके शरीर में आयरन की कमी है, तो ध्यान रखें कि हल्दी इस पोषक तत्व के अवशोषण को और सीमित कर सकती है। पब मेड सेंट्रल के अनुसार हल्दी को अधिक मात्रा में मिर्च, काली मिर्च, लहसुन, और पत्तेदार सब्जी में मिलाने से इनकी आयरन की उपलब्धता कम हो सकती है, या आपके शरीर में मौजूद आयरन की मात्रा को 20 से 90 प्रतिशत तक अवशोषित कर सकती है।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन के अनुसार हल्दी डायबिटीज के इलाज और रोकथाम में आपकी मदद कर सकती है। हल्दी का उचित सेवन ब्लड शुगर के बढ़ते स्तर को नियंत्रित रखता है जिससे आपकी डायबिटीज भी संतुलित रहती है। परन्तु आपको यह मालूम होना जरुरी है की कई बार हल्दी की अधिकता ब्लड शुगर के स्तर को काफी गिरा देती है जिससे की आपको समस्यायों का सामना करना पड़ सकता है।
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कस्टमाइज़ करेंकुछ अध्ययनों ने हल्दी की अधिकता से होने वाले साइड इफ़ेक्ट पर बात की है। यदि कोई व्यक्ति नियमित रूप से हल्दी की निर्धारित मात्रा से अधिक हल्दी ले रहे हैं तो उन्हें साइड इफेक्ट्स का सामना करना पड़ सकता है हल्दी में सर्कूमीन नामक कंपाउंड पाया जाता है इसकी अधिकता सेहत के लिए काफी हानिकारक हो सकती है। इसमें दस्त, सिरदर्द, त्वचा पर लाल चकत्ते जैसी समस्याएं शामिल हैं।
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन के अनुसार, प्रति दिन आपके शरीर के वजन के प्रति पाउंड (0–3 mg प्रति किग्रा) 1.4mg हल्दी लेना सुरक्षित है। यदि आप हल्दी के पानी को डेटॉक्स ड्रिंक के रूप में ले रही हैं, तो हल्दी की मात्रा का ध्यान रखें। क्युकी आमतौर पर इंडियन डाइट में पर्याप्त मात्रा में हल्दी मौजूद होती है, तो ऐसे में कहीं आप इसका अधिक सेवन तो नहीं कर रहीं इसकी उचित मात्रा का ध्यान रखना अमीवर्य है।
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