गर्मियों के इस मौसम में सूखी खांसी (Dry cough) और गले में खराश (Sore throat) होने की सम्भावना बनी रहती है। ऐसे में लहसुन (Garlic) के इस्तेमाल से ऐसी परेशानियों को चुटकियों में दूर कर सकती है। सालों से लहसुन का प्रयोग स्वादिष्ट व्यंजनों को बनाने में होता आ रहा है। यह खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ आपको कई मौसमी संक्रमणों से भी निजात दिला सकता है। अगर आपकी खांसी पर बार-बार टोका जा रहा है, तो आपको आज ही से अपने आहार में लहसुन शामिल कर लेना चाहिए। लहसुन आपको सूखी खांसी और गले में खराश से निजात दिलाने में मददगार है।
आयुर्वेद में लहसुन को औषधीय माना गया है। इसके सेवन से कई मौसमी संक्रमणों से निजात मिलती है। पोषक तत्वों से भरपूर लहसुन की कलियाँ इम्युनिटी बूस्टर की तरह काम करती हैं। यह आपके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाती है। साथ ही इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट, एक्टीबेक्टीरियल और एंटीफंगल प्रॉपर्टीज एलर्जी, इन्फेक्शन जैसी समस्यायों से निजात दिलाने में फायदेमंद होती हैं। लहसुन में मौजूद सल्फर कंपाउंड कई स्वस्थ्य जोखिमों को कम करने में मदद करते है।
लहसुन की छोटी कलियां पोषक तत्वों का भंडार होती हैं। इसमें मैंगनीज, विटामिन बी6, विटामिन सी, सेलेनियम और फाइबर भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं। इसके अलावा यह कलियाँ कैल्शियम, कॉपर, पोटेशियम, फॉस्फोरस, आयरन और विटामिन बी1 का भी एक अच्छा स्रोत हैं।
पाचन, डायबिटीज, स्किन और वजन कंट्रोल करने से लेकर सर्दी खांसी जैसे संक्रमण में भी लहसुन अधिक लाभदायक होती हैं। खासकर लहसुन की छोटी कलियाँ सूखी खांसी और गले की खराश से निजात पाने में आपकी मदद कर सकती हैं। एक्सपर्ट से जानते है, कैसे गले की खराश को दूर करने में कारगर होते हैं लहसुन।
न्यूट्रीफाई बाई पूनम डाइट एंड वैलनेस क्लिनिक एंड अकैडमी की डायरेक्टर डॉक्टर पूनम जुनेजा ने सूखी खांसी और गले की खराश को लेकर लहसुन से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में बताते हुए कहा कि लहसुन में मौजूद एंटीफंगल और एंटीऑक्सीडेंट्स इन्फेक्शन्स को दूर रखने का काम करते है। साथ ही यह इम्युनिटी को भी स्ट्रांग रखता है।
उन्होंने आगे बताया की लहसुन के सप्लीमेंट इम्युनिटी पावर को बूस्ट करने में मदद करते हैं। लहसुन को चबाने और क्रश करने से इसके कंपाउंड्स एलीसिन में बदल जाते है। एलीसिन में भरपूर मात्रा में सल्फर होता है, जो लहसुन को एक बेहतरीन स्वाद देता है।
डॉक्टर पूनम जुनेजा के अनुसार एलीसिन की प्रॉपर्टीज आसानी से परिवर्तित हो सकती हैं। इसलिए यह सल्फर के अन्य कंपाउंड्स में परिवर्तित हो जाता है। जिसकी वजह से लहसुन के औषधीय गुण और भी बढ़ जाते हैं। जिससे वाइट ब्लड सेल्स की रोग निरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद मिलती है। वाइट ब्लड सेल्स वायरल फ़्लू और कफ जैसे संक्रमण से लड़ने में मददगार होते हैं।
गार्लिक सप्लीमेंट लम्बे समय तक खांसी के प्रभाव को रोकते हैं। लहसुन में मौजूद एन्टी वायरल एजेंट्स खांसी के लक्षण की औसत लंबाई को 70 प्रतिशत तक कम कर सकते हैं। पुराने लहसुन का अर्क भी खांसी और फ्लू जैसी समस्यायों की आयु को कम कर देता है।
लहसुन को प्रयोग करने के अलग-अलग तरीके होते हैं। कई लोग सीधा कच्चे लहसुन का सेवन नहीं कर पाते। ऐसे में लहसुन को प्रयोग करने के तरीकों से इसके स्वास्थ्य लाभ और औषधीय गुणों में भी बदलाव आता है।
1.रोजाना खाने के साथ 2-4 लहसुन की कच्ची कलियों का सेवन कर सकती है, यह सबसे ज्यादा प्रभावी रहेगा।
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कस्टमाइज़ करें2.लहसुन की कलियों को कुचल कर या छोटे टुकड़ों में काट कर खाने से एलीसिन की मात्रा बढ़ जाती है। साथ ही लहसुन के टुकड़ो को दाल और सब्जी में मिलाकर खा सकती हैं।
3.इसे खाने में इस्तेमाल करने से 10 मिनट पहले छील कर पानी में रख देने से इसके औषधीय गुण बढ़ जाते हैं।
4.लहसुन को आग पर पका देने से, हीट के कारण एंजाइम एलीसिन का प्रभाव कम हो जाता है।
सूखी खांसी और गले की खराश में बेहतर परिणाम के लिए, नियमित रूप से लहसुन की कुछ कलियों को पीसकर, उसके रस को गुनगुने पानी या अनार के जूस में मिलाकर पी सकती हैं।
इस बढ़ती गर्मी में लहसुन खाते वक़्त इस बात का विशेष ध्यान रखें कि लहसुन की तासीर गर्म होती है। इसलिए एक सीमित मात्रा में ही इसका सेवन करें। अधिक मात्रा में लहसुन शरीर के लिए विषैला हो सकता है। इसीलिए लहसुन का सेवन करने से पहले उसकी मात्रा के लिए अपने आहार विशेषज्ञ से परामर्श जरूर करें।
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