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क्या तांबे के बर्तन में पानी पीने से थायराॅइड कंट्रोल किया जा सकता है? जानिए क्या कहती है रिसर्च

मां हमेशा से तांबे के बर्तन में पानी पीने को फायदेमंद बताती रहीं हैं। पर क्या आप जानती हैं कि यह आपके थायरॉइड लेवल को भी कंट्रोल कर सकता है।
Updated On: 20 Oct 2023, 09:19 am IST
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तांबे के बर्तन में पानी पीने से थायराॅइड कंट्रोल किया जा सकता है. चित्र शटरस्टॉक।

दादी-नानी के ज़माने से हमारी रसोई में कई तरह की धातुओं के बर्तनों का इस्तेमाल होता आ रहा है। वे कुछ खास चीजों के लिए एक विशेष प्रकार की धातु के बर्तन का ही इस्तेमाल करती थीं। जैसे पानी पीने के लिए तांबे का लौटा या गिलास! मेरी मां हमेशा से तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने के लाभ गिनवाती रहीं हैं। पर अब साइंस भी मान रहा है कि तांबे के बर्तन में पानी पीना हमारी सेहत के लिए फायदेमंद है। खासतौर से थायरॉइड और आर्थराइटिस जैसी समस्याओं में। पर क्या ये वाकई सच है? आइए जानते हैं आपके थायराॅइड लेवल पर कैसे काम करता है तांबे के बर्तन (Copper water for thyroid) में रखा पानी पीना।

मेरी मम्मी हमेशा से हर रोज सुबह तांबे के बर्तन में रखे पानी को पीने की सिफारिश करती रहीं हैं। अब उनकी इस सिफारिश का समर्थन साइंस भी कर रहा है। हाल ही में हुए कई शोध इसकी पुष्टि कर रहे हैं।

क्या है तांबे के बर्तन में रखे पानी और थायरॉइड का कनैक्शन

थायराॅइड की समस्या में कॉपर बोतल में पानी पीना बेहद लाभकारी माना जाता है। दो अलग-अलग रिसर्च में इस बात की पुष्टि की गई है।

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तांबे के बर्तन में रखा पानी आपकी सेहत के लिए फायदेमंद हो सकता है। चित्र : शटरस्टॉक

जर्नल ऑफ हेल्थ, पॉप्युलेशन एंड न्यूट्रीशन की रिसर्च के अनुसार, तांबे के बर्तन में रखे पानी में तांबे के अंश शामिल हो जाते हैं। वहीं बच्चों में हाइपोथायराइडिज्म (थायराॅइड हार्मोन की कमी) से संबंधित एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की साइट पर प्रकाशित एक रिसर्च में कॉपर को थायराइड हार्मोन के लिए अहम बताया गया है।

रिसर्च में पाया गया है कि शरीर में कॉपर की कमी से हाइपोथायराइडिज्म (hypothyroidism) की समस्या हो सकती है। पर जब आप तांबे के बर्तन में रखा पानी पीती हैं, तो यह कमी दूर हो सकती है। पर इसका यह अर्थ नहीं कि आप थायरॉइड का दवा लेना बंद कर दें।

अर्थराइटिस को काबू करने में भी है कारगर

तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से अर्थराइटिस की परेशानी में भी राहत मिल सकती है। एनसीबीआई की साइट पर अर्थराइटिस से संबंधित एक रिसर्च के अनुसार, कॉपर युक्त साल्ट के प्रयोग से रुमेटाइड अर्थराइटिस (rheumatoid arthritis) और गाउट अर्थराइटिस (Gout arthritis) की परेशानी में सकारात्मक प्रभाव देखने को नज़र आ सकते हैं।

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हर किसी के लिए फायदेमंद नहीं होता तांबे का पानी। चित्र : शटरस्टॉक

और भी हैं कॉपर बोतल में पानी पीने के फायदे

1 शरीर की चर्बी गलाता है

वजन घटाने के मामले में भी तांबे के बर्तन (Copper water for weight loss) में पीने के लाभ सकारात्मक प्रभाव प्रदर्शित कर सकते हैं। 2012 में एनसीबीआई द्वारा कराई गई एक रिसर्च के अनुसार तांबा, चर्बी को गलाने में अहम भूमिका निभा सकता है। तांबे के बर्तन में रखे पानी में तांबे की मौजूदगी की वजह से यह मोटापे की परेशानी से निजात दिलाने का काम कर सकता है।

2 डायरिया से बचाता है

पेट से जुड़ी समस्याओं को दूर रखने के मामले में भी तांबे के बर्तन में रखा पानी उपयोगी सिद्ध हो सकता है। इस बात का प्रमाण ‘बेनिफिट्स ऑफ ड्रिंकिंग वाटर इन कॉपर जग’ से जुड़े एनसीबीआई की तरफ से उपलब्ध एक रिसर्च से मिलता है। रिसर्च में पाया गया है कि पेट से जुड़ी कई परेशानियों का मूल कारण गंदा पानी हो सकता है। वहीं तांबे में, पानी में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट करने की क्षमता पाई जाती है। इससे गंदे पानी की वजह से होने वाली डायरिया की परेशानी से बचाव भी संभव है।

क्या है तांबे के कॉपर वॉटर तैयार करने का सही तरीका

कॉपर वॉटर के फायदे पाने के लिए आप पानी को 12 से 48 घंटे तक तांबे के किसी बर्तन जैसे बोतल या जग में स्टोर करके रखें।
फिर सुबह खाली पेट इसे पिएं। शुरुआत में यह पानी अजीब सा स्वाद दे सकता है, पर फिर इसकी आदत पड़ जाएगी।

पर ज्यादा न पिएं तांबे के बर्तन में रखा पानी

तांबे के बर्तन में पानी पीने की वजह से शरीर में कॉपर की अधिकता होने की संभावना बेहद कम होती है, फिर भी कुछ स्थितियों में यह कॉपर की अधिकता की वजह बन सकता है। तो चलिए जानते है तांबे के बर्तन में पानी पीने से होने वाले नुकसान, जो कॉपर की अधिकता या कुछ विशेष स्थितियों में देखने को मिल सकते हैं।

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गैस की समस्या हो सकती है। चित्र : शटरस्टॉक

तांबे की अधिकता के कारण पेट में गैस की परेशानी हो सकती है।

अगर आप तांबे के बर्तन में रखा पानी ही सारे दिन पिएंगी, तो इससे आंत में घाव (बोवेल इरोजन) की स्थिति हो सकती है।

ज़्यादा कॉपर गंभीर स्थितियों में विषाक्त(toxic) हो सकता है, जिसकी वजह से हृदय का संकुचित होना (heart contraction), कोमा यहां तक कि मृत्यु भी हो सकती है।

शरीर में कॉपर की अधिकता लीवर से जुड़ी क्दिक्कतों को जन्म दे सकती है।

विल्सन डिजीज (एक जन्मजात परेशानी, जिसमें शरीर में कॉपर ज्यादा मात्रा में बनता है) के रोगियों को तांबे के बर्तन में पानी पीने से बचना चाहिए।

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लेखक के बारे में
निशा कपूर
निशा कपूर

देसी फूड, देसी स्टाइल, प्रोग्रेसिव सोच, खूब घूमना और सफर में कुछ अच्छी किताबें पढ़ना, यही है निशा का स्वैग।

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