दूध और दही दोनों ही बेहद पौष्टिक होते हैं, इनका बेहद फायदेमंद माना जाता है। पर अक्सर महिलाओं के मन में यह सवाल होता है की बच्चों के लिए दूध या दही में से कौन सा विकल्प अधिक सुरक्षित है! यह तो हम सभी जानते हैं की शुरुआत के 6 महीने बच्चों के लिए मां का दूध बेहद जरुरी होता है, और इस दौरान बच्चों को अन्य खाद्य पदार्थ नहीं देने चाहिए। पर 6 महीनों के बाद आप अपने बच्चे को दूध के अलावा भी हल्के खाद्य पदार्थ देना शुरू कर सकती हैं।
अब सवाल यह है की 6 महीने के बाद बच्चों को दूध या दही (curd vs milk) में से क्या देना अधिक सुरक्षित है? इस बारें में अधिक गंभीरता से समझने के लिए हेल्थ शॉट्स ने मणिपाल हास्पिटल, गाज़ियाबाद में हेड ऑफ न्यूट्रीशन और डाइटेटिक्स डॉ अदिति शर्मा से बात की। डॉक्टर ने इस विषय पर कई महत्वपूर्ण बातें बताई हैं, तो चलिए जानते हैं इस बारे में अधिक विस्तार से।
दूध में पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है जो बच्चों के मजबूत हड्डियों और दांतों के निर्माण के लिए आवश्यक होते हैं। वहीं इसमें मौजूद प्रोटीन मांसपेशियों के विकास का समर्थन करता है। दूध विटामिन बी2, बी12 और फॉस्फोरस और पोटेशियम जैसे मिनरल्स का अच्छा स्रोत है।
दही प्रोबायोटिक्स का एक बेहतरीन स्रोत है, यह जीवित कल्चर होते हैं जो आंत के स्वास्थ्य और इम्युनिटी का समर्थन करते हैं। दही फर्मेन्टेड होता है, जिससे कुछ बच्चों के लिए दूध की तुलना में इसे पचाना आसान हो जाता है। वहीं इसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन और विटामिन सी पाए जाते हैं। इसमें भी कैल्शियम पाया जाता है जो दूध के समान, हड्डियों के स्वास्थ्य का समर्थन करता है।
अदिति शर्मा के अनुसार 6 महीने के बाद बच्चों के डाइट में दही शामिल करना पूरी तरह से सुरक्षित है। दही बच्चों के लिए बेहद जरुरी भी है। हालांकि, मात्रा का ध्यान जरूर रखें। एक बार में आधी कटोरी से भी कम दही दें, और सुनिश्चित करें की आप बच्चों को अन्य खाद्य पदार्थों के साथ दे रही हों। साथ ही बच्चों को फ्रिज की दही न दें, उन्हें रूम टेम्प्रेचर पर आने के बाद ही डाइट में शामिल करें। वहीं यदि बच्चों को दही दे रही हैं, तो उन्हें दूध से पूरी तरह वंचित न रखें। दिन में एक समय मॉडरेशन में दूध देना भी जरुरी है।
दूध की तुलना में दही में प्रोबायोटिक्स होते हैं जो पाचन क्रिया के लिए बेहद आवश्यक हैं नियमित रूप से इनका सेवन आपके पाचन क्रिया को नियमित रखने के साथ ही बच्चों के पाचन क्रिया को मजबूत बनाते हैं। लगातार और अधिक दूध पीने से बच्चों के लिए इसे डाइजेस्ट कर पाना मुश्किल हो जाता है। वहीं छोटे बच्चों में संक्रमण का खतरा अधिक होता है, ऐसे में प्रोबायोटिक्स उन्हें पेट के संक्रमण से भी बचाती है।
दही में कई महत्वपूर्ण विटामिन और मिनरल्स पाए जाते हैं, खासकर इसमें कुछ मात्रा में विटामिन सी भी मौजूद होता है। जो बच्चों के इम्युनिटी को बूस्ट करने में मदद कर सकता है। जैसा की हम जानते हैं छोटे बच्चे अधिक फ्रीक्वेंटली बीमार होते हैं और कीटाणुओं से भरे खिलौने आदि को मुंह में लेते हैं, जिससे उनमें संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है। इस प्रकार एक मजबूत इम्युनिटी उन्हें इन परेशानियों से रिकवर करने में मदद करती है।
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ज्यादातर महिलाएं बच्चे को एक से दो सालों तक खूब सारा दूध देती हैं, जिसकी वजह से बच्चे की डाइट दूध तक ही सिमित रह जाती है और उनके लिए अन्य डाइट को अडॉप्ट करना बेहद मुश्किल हो जाता है। ऐसे में दही और अन्य हेल्दी खाद्य पदार्थ देने से बच्चों में टेस्ट डेवेलप होता है, और वे दूध के अलावा भी अन्य खाद्य पदार्थों के पोषक तत्वों का आनंद ले पाते हैं।
1. बच्चे का पाचन तंत्र: यदि उन्हें लैक्टोज इन्टॉलरेंस है या उनकी पाचन क्रिया संवेदनशील है, तो दही उनके लिए एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है।
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कस्टमाइज़ करें2. व्यक्तिगत ज़रूरतें: यदि बच्चे को अधिक प्रोबायोटिक्स की आवश्यकता है, तो दही एक बेहतर विकल्प हो सकता है।
3. पीडिएट्रिशन से सलाह लें: अपने बच्चे के आहार में दूध और दही शामिल करने के बारे में व्यक्तिगत सलाह के लिए डॉक्टर से जरूर मिले। वे आपके बच्चे की स्वास्थ्य स्थिति के अनुकूल सुझाव देंगे।
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