लॉग इन

Harad : त्रिफला चूरण में सबसे खास है हरड़, प्राकृतिक चिकित्सक बता रहे हैं इसके बारे में सब कुछ

कई औषधीय गुणों से भरपूर हरड़ शरीर को बहुत से रोगों से मुक्ति दिलाने का काम करती है। आइए जानते हैं, इसके फायदे और इस्तेमाल करने का तरीका।
आयुर्वेद के हिसाब से इसको चबाकर खाने से पाचन तंत्र फिट रहता है। चित्र अडोबी स्टॉक
ज्योति सोही Published: 3 Mar 2023, 17:12 pm IST
ऐप खोलें

बहुमूल्य और गुणकारी मसालों में से एक हरड़ सेहत से लेकर सौंदर्य तक हर चीज़ का ख्याल रखती है। इस पेड़ की जड़, तना और फल सभी कुछ गुणकारी है। इसे हरीतकी (Haritaki) कहकर भी पुकारा जाता है, जो त्रिफला रस या चूरन में पाए जाने वाले तीन फलों में से एक है। इसकी लंबाई 2 से 5 सेंटी मीटर तक होती है। पांच रसों से परिपूर्ण हरड़ (Harad) में खटास, मिठास, तीखापन, कसैला और कड़वाहट पाई जाती है। इसे आप चूस सकते हैं। पाउडर के तौर पर प्रयोग कर सकते हैं। साथ ही रस और काढ़े के रूप में भी पी सकते हैं। जानते हैं इसके फायदे (benefits of haritaki aka Harad)

हरड़ के बारे में क्या कहता है आयुर्वेद

प्राकृतिक चिकित्सक अनिल बंसल हरड़ के बारे में बात करते हुए कहते हैं, “आयुर्वेद के हिसाब से इसको चबाकर खाने से पाचन तंत्र (Digestive system) फिट रहता है। जड़ी बूटी के तौर पर आयुर्वेदिक दवा में इस्तेमाल होने वाली हरीतकी स्वस्थ्य संबधी समस्याओं को आसानी से हल कर देती है। मोटी हरड़ को चूसने से भंयकर कब्ज (constipation) की समस्या हल हो जाती है। वहीं बालों के लिए भी ये बेहद फायदेमंद है। इसका सेवन करने और बालों में इसका रस लगाने से बेहद फायदा मिलता है।”

मोटी हरड़ को चूसने से भंयकर कब्ज की समस्या हल हो जाती है और बालों के लिए भी ये बेहद फायदेमंद है। चित्र अडोबी स्टॉक

कितने प्रकार की होती है हरड़

हरड़ के बारे में और विस्तार से बात करते हुए अनिल बंसल कहते हैं, “50 से 80 फीट तक की उंचाई का एक वृक्ष होता है। इस पेड़ के पत्ते लंबे चौड़े होते है। छोटी गुठली और बड़े खोल वाली हरड़ को बेहतर माना जाता है। जनवरी से अप्रैल तक इस पेड़ पर फल लगते है। हरड़ वैसे तो सात प्रकार की होती है। इनमें से दो प्रकार की ही ज्यादा इस्तेमाल में लाई जाती है। अधिकतर छोटी हरड़ ही इस्तेमाल में लाई जाती है। हरड़ को हरीतकी भी कहा जाता है।”

हरड़ का पौष्टिक मूल्य

एंटी बैक्टीरियल और एंटी इंफ्लामेंटरी गुणों से भरपूर हरड़ रोग प्रतिरोधक क्षमता से भरपूर होती है। हरड़ में प्रोटीन, पोटैशियम, मैग्नीज़, विटामिन्स, आयरन और कॉपर पाया जाता है। मौसमी बीमारियों को दूर रखने में कारगर हरड़ की तासीर गर्म हरेती है। इसमें 24 से 32 फीसदी टैनिन पाया जाता है। इतना ही नहीं, इसमें 18 अमीनो एसिड और फॉस्फोरिक, सक्सिनिक, क्विनिक और शिकिमिक एसिड भी कम मात्रा में मिलता है। ये फल जैसे जैसे पकता है, वैसे वैसे इसमें टैनिन की संख्या कम और टॉक्सिंस की वृद्धि होने लगती है।

जानिए आपकी सेहत के लिए कैसे फायदेमंद हो सकती है हरड़

स्किन एलर्जी

त्वचा संबधी रोगों में हरड़ का काढ़ा बेहद फायदेमंद साबित होता है। इसके अलावा हरड़ का चूरन खाने से शरीर में ब्लड फ्लो नियमित होता है और नई कोशिकाओं का भी विकास होने लगता है।

दांतों की समस्या

दांत में दर्द के चलते हरड़ के चूरन को मुंह के अंदर लगाएं। इससे राहत मिलती है। इसके अलावा हरड़ और कत्थे को मिलाकर लेने से दांतों का मज़बूती मिलती है। हरड़ पाउडर को मंजन की तरह प्रयोग में लाने से दांत संबधी रोगों से मुक्ति मिल जाती है।

खाने खाने के बाद अगर आप अपने दांत साफ नहीं करते हैं, तो दांतों पर एक परत जम जाती है। इस चिपचिपी परत से जीवाणु मूंह में पनपने लगते हैं। चित्र अडोबी स्टॉक

जख़्मों के लिए लाभाकारी

इसके लिए घावों को हरड़ के पानी से धोएं। उसके बाद दो ग्राम हरड़ को पांच ग्राम मक्खन में मिलाएं। उसके बाद उसे जख्म पर लगा दें। इससे जख्त जल्दी सूखने लगता है।

यूरिन के दौरान जलन

दो से पांच ग्राम हरड़ पाउडर लें। उसमें एक चम्मच शहद को मिला लें। इसके सेवन से यूरिन में जलन और इससे संबधी बाकी समस्याएं हल हो जाएंगी।

डाइजेस्टिव सिस्टम

प्राकृतिक चिकित्सक अनिल बंसल के मुताबिक हरड़ को चूसने से वो धीरे धीरे भोजन का रस बना देती है जो आसानी से हज़म हो जाता है। इस प्रकार से इनडाइजेशन की समस्या अपने आप हल हो जाती है। ऐसे में खाने के बाद हरड़ कैण्डी या हरड़ चूरन को ले सकते हैं। इसके नियमित सेवन से वेट रिडक्शन में भी फायदा मिलता है।

सेवन से पहले इन बातों का रखें ख्याल

प्राकृतिक चिकित्सक अनिल बंसल के अनुसार प्रेग्नेंट महिलाओं को हरड़ का चूरन लेने से बचना चाहिए।

अपनी रुचि के विषय चुनें और फ़ीड कस्टमाइज़ करें

कस्टमाइज़ करें

अगर आप किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त है, तो डॉक्टरी सलाह के बाद ही हरड़ का सेवन करें।

इसके अधिक सेवन से जलन की समस्या हो सकती है।

इसमें पाए जाने वाले लैक्सेटिव तत्व के चलते ज्यादा मात्रा में खाने से दस्त का कारण भी सि़द्ध हो सकती है।

ये भी पढ़ें- सिर्फ काली मिर्च ही नहीं, इसका एसेंशियल ऑयल भी है बहुत फायदेमंद, हम बता रहे हैं इसके 7 कारण

ज्योति सोही

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं। ...और पढ़ें

अगला लेख