बहुमूल्य और गुणकारी मसालों में से एक हरड़ सेहत से लेकर सौंदर्य तक हर चीज़ का ख्याल रखती है। इस पेड़ की जड़, तना और फल सभी कुछ गुणकारी है। इसे हरीतकी (Haritaki) कहकर भी पुकारा जाता है, जो त्रिफला रस या चूरन में पाए जाने वाले तीन फलों में से एक है। इसकी लंबाई 2 से 5 सेंटी मीटर तक होती है। पांच रसों से परिपूर्ण हरड़ (Harad) में खटास, मिठास, तीखापन, कसैला और कड़वाहट पाई जाती है। इसे आप चूस सकते हैं। पाउडर के तौर पर प्रयोग कर सकते हैं। साथ ही रस और काढ़े के रूप में भी पी सकते हैं। जानते हैं इसके फायदे (benefits of haritaki aka Harad)।
प्राकृतिक चिकित्सक अनिल बंसल हरड़ के बारे में बात करते हुए कहते हैं, “आयुर्वेद के हिसाब से इसको चबाकर खाने से पाचन तंत्र (Digestive system) फिट रहता है। जड़ी बूटी के तौर पर आयुर्वेदिक दवा में इस्तेमाल होने वाली हरीतकी स्वस्थ्य संबधी समस्याओं को आसानी से हल कर देती है। मोटी हरड़ को चूसने से भंयकर कब्ज (constipation) की समस्या हल हो जाती है। वहीं बालों के लिए भी ये बेहद फायदेमंद है। इसका सेवन करने और बालों में इसका रस लगाने से बेहद फायदा मिलता है।”
हरड़ के बारे में और विस्तार से बात करते हुए अनिल बंसल कहते हैं, “50 से 80 फीट तक की उंचाई का एक वृक्ष होता है। इस पेड़ के पत्ते लंबे चौड़े होते है। छोटी गुठली और बड़े खोल वाली हरड़ को बेहतर माना जाता है। जनवरी से अप्रैल तक इस पेड़ पर फल लगते है। हरड़ वैसे तो सात प्रकार की होती है। इनमें से दो प्रकार की ही ज्यादा इस्तेमाल में लाई जाती है। अधिकतर छोटी हरड़ ही इस्तेमाल में लाई जाती है। हरड़ को हरीतकी भी कहा जाता है।”
एंटी बैक्टीरियल और एंटी इंफ्लामेंटरी गुणों से भरपूर हरड़ रोग प्रतिरोधक क्षमता से भरपूर होती है। हरड़ में प्रोटीन, पोटैशियम, मैग्नीज़, विटामिन्स, आयरन और कॉपर पाया जाता है। मौसमी बीमारियों को दूर रखने में कारगर हरड़ की तासीर गर्म हरेती है। इसमें 24 से 32 फीसदी टैनिन पाया जाता है। इतना ही नहीं, इसमें 18 अमीनो एसिड और फॉस्फोरिक, सक्सिनिक, क्विनिक और शिकिमिक एसिड भी कम मात्रा में मिलता है। ये फल जैसे जैसे पकता है, वैसे वैसे इसमें टैनिन की संख्या कम और टॉक्सिंस की वृद्धि होने लगती है।
त्वचा संबधी रोगों में हरड़ का काढ़ा बेहद फायदेमंद साबित होता है। इसके अलावा हरड़ का चूरन खाने से शरीर में ब्लड फ्लो नियमित होता है और नई कोशिकाओं का भी विकास होने लगता है।
दांत में दर्द के चलते हरड़ के चूरन को मुंह के अंदर लगाएं। इससे राहत मिलती है। इसके अलावा हरड़ और कत्थे को मिलाकर लेने से दांतों का मज़बूती मिलती है। हरड़ पाउडर को मंजन की तरह प्रयोग में लाने से दांत संबधी रोगों से मुक्ति मिल जाती है।
इसके लिए घावों को हरड़ के पानी से धोएं। उसके बाद दो ग्राम हरड़ को पांच ग्राम मक्खन में मिलाएं। उसके बाद उसे जख्म पर लगा दें। इससे जख्त जल्दी सूखने लगता है।
दो से पांच ग्राम हरड़ पाउडर लें। उसमें एक चम्मच शहद को मिला लें। इसके सेवन से यूरिन में जलन और इससे संबधी बाकी समस्याएं हल हो जाएंगी।
प्राकृतिक चिकित्सक अनिल बंसल के मुताबिक हरड़ को चूसने से वो धीरे धीरे भोजन का रस बना देती है जो आसानी से हज़म हो जाता है। इस प्रकार से इनडाइजेशन की समस्या अपने आप हल हो जाती है। ऐसे में खाने के बाद हरड़ कैण्डी या हरड़ चूरन को ले सकते हैं। इसके नियमित सेवन से वेट रिडक्शन में भी फायदा मिलता है।
प्राकृतिक चिकित्सक अनिल बंसल के अनुसार प्रेग्नेंट महिलाओं को हरड़ का चूरन लेने से बचना चाहिए।
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कस्टमाइज़ करेंअगर आप किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त है, तो डॉक्टरी सलाह के बाद ही हरड़ का सेवन करें।
इसके अधिक सेवन से जलन की समस्या हो सकती है।
इसमें पाए जाने वाले लैक्सेटिव तत्व के चलते ज्यादा मात्रा में खाने से दस्त का कारण भी सि़द्ध हो सकती है।
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