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बच्चा रो रहा है, तो क्या उसे ग्राइप वॉटर देना चाहिए? जानिए इस बारे में क्या कहते हैं पीडियाट्रिशियन 

बच्चे के पैदा होने पर घुट्टी चटाने से लेकर पेट दर्द होने पर ग्राइप वॉटर देने तक, कई ऐसी चीजें हैं जिनके बारे में ज्यादातर न्यू मॉम कन्फ्यूज रहती हैं।
जानते हैं कॉलिक पेन का कारण और इससे बचने के उपाय (Ways to deal with colic in kids)। चित्र: शटरस्टॉक
शालिनी पाण्डेय Published: 24 Aug 2022, 17:45 pm IST
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एक शिशु का जन्म नई मां और पिता के लिए भी एक नई ट्रेनिंग की शुरुआत होता है। यह वह समय होता है, जब हर तरफ से ढेर सारी सलाह मिलने लगती हैं। अब इनमें से कौन सी मानें, कौन सी नहीं, इस पर कोई भी मां कन्फ्यूज हो सकती है। तो चलिए एक शिशु रोग विशेषज्ञ से जानते हैं शिशु की सेहत और उस पर घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल कितना सही है या नहीं।  

परिवार में सभी नन्हें शिशु का हर तरह से ध्यान रखना चाहते है । फिर चाहें वह उसका खाना-पीना हो या  सोना। इसी देखभाल में कभी जन्म लेते ही शहद चटाने की बात आती है, तो कभी प्यास लगने पर पानी पिलाने की। अकसर नन्हें शिशु पेट दर्द से रोने लगते हैं। तब ज्यादातर लोग ग्राइप वॉटर देने की सलाह देते हैं। क्या इन्हें दिया जाना चाहिए? क्या शिशु के नन्हें पेट के लिए इन सभी चीजों को पचा पाना आसान होता है? इस बारे में जानने के लिए हमने बात की मूलचंद हॉस्पिटल के कंसल्टेंट पीडियाट्रिशियन शेखर वशिष्ठ से। 

जानिए इस बारे में क्या कहते हैं विशेषज्ञ 

डॉक्टर वशिष्ठ कहते हैं कि यूं तो मां का दूध ही नवजात की हर ज़रुरत का जवाब है। पर जानना ज़रूरी है कि बाज़ार में कई तरह के ग्राइप वॉटर शिशुओं के पाचन से जुड़ी समस्याओं के मौजूद होते हैं। इनमें शुगर और एल्‍कोहल भी होता है। सोडियम बायोकार्बोनेट या बेकिंग सोडा की मात्रा भी इन दवाओं में हो सकती है। इसलिए भी यह बेबी को नहीं देना चाहिए। 

शिशु के लिए मां का दूध काफी है। चित्र: शटरस्टॉक।

वे आगे कहते हैं, “गैस होने पर पेट दर्द की वजह से बच्‍चे ज्‍यादा रोते हैं। कुछ बच्‍चे दिन में लगातार कई घंटों तक रोते हैं, तो कुछ में यह समस्‍या कई सप्‍ताह तक देखी जा सकती है। चूंकि जड़ी-बूटियां पाचन में मदद करती हैं इसलिए ग्राइप वॉटर का इस्‍तेमाल कोलिक अर्थात शिशुओं में होने वाले पेट दर्द से राहत पाने में किया जाता है। हिचकी के लिए भी ग्राइप वॉटर का इस्‍तेमाल किया जाता है। पर डॉक्टर ऐसी किसी भी चीज़ को 0-6 महींने के शिशुओं को देने के लिए मना करते हैं। इन दवाओं की जगह डॉक्टर मां के दूध को ज़्यादा कारगर बताते हैं।”

ध्यान रहे कि शिशु 6 महीने तक अपने डाइजेस्टिव सिस्टम का विकास कर रहे होते हैं। ऐसे में अल्कोहल या चीनी बच्चे के लिए खतरनाक भी हो सकते हैं। यही नहीं इससे शिशु के पेट के पीएच लेवल पर भी असर पड़ सकता है और शिशु में कोलिक के गंभीर लक्षण भी हो सकते हैं। मां का दूध उपलब्ध न होने पर डॉक्टर की सलाह पर ही किसी भी तरह की दवा दी जानी चाहिए 

शिशु को हरगिज न दें पानी 

डॉक्टर वशिष्ठ के अनुसार बच्चे की भूख और प्यास दोनों के लिए मां का दूध काफी है। इसलिए उसे ऊपर से पानी पिलाने की कोई ज़रुरत नहीं है। कई बार डिहाइड्रेशन के डर से घरवाले बच्चे को पानी देते है जो शिशु के लिए सुपाच्य नहीं है। 

शहद चटाना भी हो सकता है नुकसानदेह  

यह जानना बेहद ज़रूरी है कि एक वर्ष से छोटी आयु के बच्चों को शहद नहीं पिलाना चाहिए। शहद में क्लोस्ट्रिडियम बोटुलिनम नामक बैक्टीरिया मौजूद होता है। शहद का सेवन शिशु को करवाने से आपका बच्चा ‘इंफेंट बोटुलिज्म’ नामक एक दुर्लभ बीमारी का शिकार हो सकता है। 

गाय का दूध पिलाना भी हो सकता है खतरनाक 

अगर आपका बच्चा ब्रेस्ट मिल्क नहीं लेता है, तो उसे सिर्फ फॉर्मूला मिल्क ही दें। इस स्थिति में गाय का दूध बच्चे के पाचन तंत्र के लिए ठीक नहीं है और उसे नहीं देना चाहिए।

हर समस्या का समाधान है मां का दूध, चित्र: शटरस्टॉक

नवजात बच्चों का पेट काफी छोटा होता है और मां को इस बात का ध्यान रखना होगा कि बच्चे को ज्यादा दूध न पिलाये। नवजात शिशु का पेट एक मार्बल के साइज के बराबर होता है और उसे 1 और आधे चम्मच तक ही दूध पीलाना चाहिए। 

और अंत में 

जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, उसका पेट बढ़ता जाता है। अगर आप अपने बच्चे को बोतल से दूध पिला रही हैं, तो आपको कितना दूध उसे देना है ये नापने में आसानी होगी।

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शुरूआत के 3 महीने में मां का भोजन भी बच्‍चे के स्‍वास्‍थ्‍य पर प्रभाव डालता है। इसलिए डिलीवरी के बाद महिला को अपना विशेष ध्‍यान रखना चाहिए और अपनी डाइट को बैलेंस रखना चाहिए। अगर मां को स्‍तनों में दूध सही तरीके से नहीं बनता है या कोई समस्‍या है, तो डॉक्टर की सलाह से सप्लीमेंट ले सकती हैं। ताकि दूध के अलावा कुछ भी और देने की ज़रुरत न पड़े।

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शालिनी पाण्डेय

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