प्रेगनेंसी के दौरान शरीर में कई सारे बदलाव आते हैं, जिनसे डील करना बेहद मुश्किल हो जाता है। वजन बढ़ाना हेयर फॉल, वोमिटिंग, सिर दर्द, बेचैनी आदि जैसी समस्याओं की वजह से न केवल शारीरिक स्वास्थ्य खराब रहता है, बल्कि अब मानसिक रूप से भी चिड़चिड़ी हो सकती हैं। इसके अलावा कई महिलाएं अपने पैर में सूजन का अनुभव करती है, जिसकी वजह से पैरों में काफी दर्द होता है और उन्हें चलने में भी परेशानी हो सकती है। ऐसे में जरूरी मेडिकल चेकअप के अलावा फुट मसाज यानी कि पैरों की मालिश आपकी मदद कर सकता है।
बहुत सी महिलाओं के मन में यह सवाल रहता है, क्या प्रेगनेंसी में फुट मसाज सुरक्षित है? विशेष रूप से गर्भावस्था के दौरान पैरों की मालिश करने को लेकर कई सारी बातें चलती आई हैं। आपको बताएं की सामान्य रूप से पैरों की मालिश के कोई नुकसान नहीं हैं। इसके अलावा यदि आप एक्सपर्ट से मालिश लेती हैं, तो इससे आपके शरीर को कई लाभ मिलेंगे। मैत्री वूमेन की संस्थापक सीनियर कंसल्टेंट गाइनेकोलॉजिस्ट और ऑब्सटरेस्ट्रेशन डॉक्टर अंजलि कुमार ने प्रेगनेंसी में पैरों में मालिश किए जाने के कुछ खास फायदे बताए हैं। साथ ही उन्होंने बताया है कि यह कितना सुरक्षित है। तो चलिए जानते हैं, इस बारे में अधिक विस्तार से।
मसाज थेरेपी और प्रेगनेंसी से जुड़े 8 अध्ययनों के साथ 2020 के एक छोटे से शोध से पता चला कि महिलाओं के समूह में जो लोग फुट मसाज लेती थी, वे अवसाद और चिंता मुक्त थीं। वहीं जिन्होंने इसे स्किप कर दिया था वे अधिक चिंतित नजर आ रही थी।
फूट मसाज कोर्टिसोल (आपके शरीर का तनाव हार्मोन) के स्तर को कम कर देती है। इस प्रकार आप तनाव मुक्त रहती हैं और आपका मूड बेहतर रहता है। इसका आपके शारीरिक स्वास्थ्य को तो फायदा मिलता ही है, साथ-साथ बच्चे को भी फायदा प्राप्त होता है। प्रेगनेंसी के दौरान नियंत्रित कॉस्टली पोस्टपार्टम डिप्रैशन के खतरे को भी कम कर देता है।
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प्रेगनेंसी के दौरान फूट मसाज ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाता है और पैरों की सूजन को कम कर देता है। साथ ही साथ इससे सिर दर्द भी कम होता है। इसके लिए सही प्रेशर पॉइंट दबाना बहुत जरूरी है। ऊपर दिए गए इसी अध्ययन में पाया गया कि नियमित रूप से फुट मसाज लेने वाली महिलाओं ने औसतन 3 घंटे कम प्रसव किया और उन्हें कम दवा की ज़रूरत पड़ी।
साइंस डायरेक्ट द्वारा प्रकाशित अध्ययन से यह पता चलता है कि फुट मसाज लेने वाली महिलाओं के नवजात शिशुओं के समय से पहले जन्म लेने और कम वजन होने की संभावना कम होती है। उन्होंने फुट मसाज लेने वाली समूह की महिलाओं के नवजात बच्चों में कम कोर्टिसोल स्तर देखा, जो संभावित रूप से एक शांत बच्चे में तब्दील हो सकता है।
फूट मसाज के फायदे आपको डिलीवरी के बाद भी मिल सकते हैं। मालिश लेने वाली महिलाओं में पोस्टपार्टम डिप्रेशन और कोर्टिसोल का स्तर कम था। फुट मसाज के साथ महिलाएं लंबे समय तक तरोताजा महसूस करती हैं और खुश रहती हैं, जिसकी वजह से कोई भी चीज आसानी से उन्हें प्रभावित नहीं कर पाती।
यदि आप प्रेगनेंट हैं, तो आपको यह मालूम होगा कि आपकी कुछ नियमित गतिविधियों पर प्रतिबंध आपकी और आपके बच्चे की सुरक्षा के लिए लगाए जाते हैं। जबकि गर्भावस्था के दौरान मालिश सुरक्षित होती है। आपको किसी ऐसे मालिश विशेषज्ञ से मिलना चाहिए, जिसके पास विशेष प्रशिक्षण हो। जब आपको पैरों की मालिश करवानी हो, तो आपको स्पा या मसाज पार्लर जाना चाहिए, न कि पेडीक्यूरिस्ट पर निर्भर रहना चाहिए।
समस्या यह है कि सभी मसाज एक्सपर्ट इस बात से परिचित नहीं होते, कि पैरों के दबाव बिंदु गर्भावस्था को कैसे प्रभावित कर सकते हैं। एक ट्रेंड मसाज एक्सपर्ट न केवल प्रेशर पॉइंट को नियंत्रित करना जानता है, बल्कि यह भी जानता है कि अन्य मालिश तकनीकें गर्भवती महिलाओं को कैसे प्रभावित करती हैं।
कुछ मामलों में, पैरों की मालिश सुरक्षित नहीं हो सकती है। यदि आपके पैरों में ब्लड क्लॉट्स या डीप वेन थ्रोम्बोसिस के लक्षण हैं, तो आपको इनसे बचना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान ब्लड फ्लो में परिवर्तन से महिलाओं में डीवीटी होने का खतरा बढ़ जाता है, यदि वे पहले से ही जोखिम में हैं, तो ऐसे में मालिश खतरनाक जटिलताओं का कारण बन सकती है। ज्यादातर एक्सपर्ट फर्स्ट ट्राइमेस्टर के बाद ही फुट मसाज की सलाह देते हैं।
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