आटे की रोटी हम सभी की डाइट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। भारतीय घरों में लंच या डिनर एक समय में रोटी को जरूर बनती है। कुछ लोग को चावल की जगह केवल रोटी खाना ही पसंद करते हैं, तो कुछ हर समय रोटी खाना ही पसंद करते हैं। उत्तर भारत के ज्यादातर इलाकों में गेहूं के आटे की रोटी को ही भोजन का मुख्य हिस्सा माना जाता है। मगर गेहूं की रोटी सभी के लिए एक सा काम नहीं करती। कुछ लोगों के लिए यह स्वादिष्ट रोटी पाचन संबंधी दिक्कतों का भी कारण बनती है। इसी तरह मुझे भी इन दिनों बहुत गैस और ब्लोटिंग (Bloating causes) रहने लगी थी। तब मेरी मम्मी ने मुझे रागी की रोटी (Ragi ki roti benefits) डाइट में शामिल करने की सलाह दी। और हां, इसने वाकई काम किया। जानना चाहेंगे कैसे? तो इस लेख को अंत तक पढ़ते रहें।
मुझे अक्सर ब्लोटिंग की समस्या होती थी। पीरियड के दौरान ये समस्या और अधिक बढ़ जाती थी। ब्लोटिंग की समस्या अक्सर पेट में गैस होने के कारण या सक्रिय लाइफस्टाइल न होने के कारण होती है। ब्लोटिंग के कारण पेट में दर्द, पेट में सूजन होने की समस्या होती थी। कई लोगों को आटे की रोटी या चावल से भी ब्लोटिंग का समस्या होती है। ब्लोटिंग की समस्या को दूर करने के लिए मुझे ऐसे खाद्य पदार्थों का खाने की सलाह दी गई जिसमें फाइबर हो।
ब्लोटिंग का परेशानी को देखते हुए मेरी मम्मी ने मुझे रागी की रोटी देनी शुरू की, रागी की रोटी फाइबर से भरपूर होती है और ये पाचन तंत्र को सुधारने में मदद करती है। फाइबर कब्ज को रोकने में मदद करता है और आपके मल त्याग को भी बेहतर करता है। यदि सूजन कब्ज या सुस्त पाचन के कारण होती है, तो रागी जैसे अधिक फाइबर वाले खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल करना सहायक हो सकता है।
लेकिन आप क्या कहेंगे अगर हम कहें की आप आपने रेगुलर आटे की रोटी को रागी की रोटी के साथ बदल दें तो ये आपके सेहत को बहुत से फायदे प्रदान करेगा। जी हां आज हम आपको बताते है कि रागी की रोटी को आपको अपनी डाइट में क्यों शामिल करना चाहिए।
रागी में फाइबर की मात्रा अधिक होती है जिसके कारण ये आपको लंबे समय तक कुछ भी खाने से रोकता है और आपके पाचन को भी स्वस्थ करके वजन प्रबंधन में मदद करता है।
इस बारे में हमें ज्यादा जानकारी दी डाइटिशियन और वेट लॉस एक्सपर्ट शिखा कुमारी ने, शिखा कुमारी बताती है कि “आपकी आहार संबंधी प्राथमिकताओं और पोषण संबंधी आवश्यकताओं के आधार पर, रेगूलर चपाती को रागी रोटी से बदलना एक पौष्टिक विकल्प हो सकता है। रागी रोटी रागी के आटे से बनी एक पारंपरिक भारतीय फ्लैटब्रेड है।”
शिखा कुमारी बताती है कि जबकि रागी पौधे-आधारित प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत है, इसमें गेहूं की तुलना में कम प्रोटीन सामग्री होती है। यदि आप अपने प्रोटीन सेवन के लिए चपाती पर बहुत अधिक निर्भर हैं, तो आपको अपने आहार को अन्य प्रोटीन स्रोतों जैसे दाल, बीन्स या डेयरी उत्पादों के साथ पूरक करने की आवश्यकता हो सकती है।
रागी में गेहूं और चावल की तुलना में कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है। कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थ रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने और निरंतर ऊर्जा प्रदान करने में मदद कर सकते हैं, जिससे यह मधुमेह वाले व्यक्तियों या अपने रक्त शर्करा का प्रबंधन करने वाले लोगों के लिए एक अच्छा विकल्प बन जाता है।
फाइबर का सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। रागी में आहारीय फाइबर उच्च मात्रा में होता है, जो पाचन स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। यह नियमित मल त्याग को बढ़ावा दे सकता है, कब्ज को रोक सकता है, और इसे खाने के बाद आपको लंबे समय तक भूख का एहसास नही होता है जिससे ये आपका वजन कम करने में भी मदद करता है।
रागी कैल्शियम से भी भरपूर होता है जिससे से हड्डियों के स्वास्थ्य को बनाए रखने और उसे मजबूत करने में मदद करता है। ये उन लोगों के लिए एक बेहतर विकल्प है जो लोग वीगन डाइट या शाकाहारी भोजन के सेवन करते है। रागी का रोटी डेयरी उत्पादों से परहेज करने वाले लोगों के लिए भी कैल्शियम का एक बेहतर विकल्प है।
आटे की रोटी में ग्लूटेन होता है और रागी प्राकृतिक रूप से ग्लूटेन-मुक्त है, जो इसे सीलिएक रोग या ग्लूटेन इन्टॉलरेंस वाले व्यक्तियों के लिए एक सुरक्षित विकल्प बनाती है। रागी में गेहूं की तुलना में कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है, जिसका अर्थ है कि यह रक्त शर्करा के स्तर को स्थिर करने और निरंतर ऊर्जा प्रदान करने में मदद कर सकता है।
रागी में कई फाइटोकेमिकल्स होते हैं जिनमें कैंसर रोधी गुण पाए जाते हैं। यदि आप अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाना चाहते हैं तो रागी का इस्तेमाल आपके इस विचार को सच कर सकता है। रागी में पॉलीफेनोल्स जैसे एंटीऑक्सीडेंट भी मौजूद होते हैं, जो शरीर की कोशिकाओं को ऑक्सीडेटिव तनाव से बचाने में मदद करते हैं।
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