आयुर्वेद में बीमारियों के इलाज के लिए हजारों जड़ी-बूटियों का उपयोग किया जाता है। ये सभी सक्रिय तत्व पत्तियों, जड़ों, फूलों, छाल से प्राप्त होते हैं। ये हर्ब्स मेंटल हेल्थ के साथ-साथ फिजिकल हेल्थ को भी फायदा पहुंचाते हैं। ये कई तरह के संक्रमण दूर करते हैं और बीमारियों से शरीर का बचाव करते हैं। इन दिनों आयुर्वेद में पत्थरचट्टा का प्रयोग तेजी से बढ़ा है। यूरीनरी इन्फेक्शन में इन्हें काफी प्रभावी (Patharchatta for urinary infection) माना जाता है। जानते हैं इस ख़ास हर्ब के बारे में।
पथरचट्टा को कलानचो के नाम से जाना जाता है। इसे कैथेड्रल बेल्स, एयर प्लांट, वंडर ऑफ द वर्ल्ड, मिरेकल लीफ आदि के नाम से भी जाना जाता है। पथरचट्टा के पौधे पूरे भारत में पाए जाते हैं। इसे आमतौर पर एयर प्लांट (Air Plant Patharchatta) के रूप में जाना जाता है। इसमें लंबे खोखले स्टेम होते हैं। इसमें बेल जैसे पेंडुलस फूल और मांसल हरे पत्ते होते हैं। पथरचट्टा का वैज्ञानिक नाम ब्रायोफिलम पिन्नाटम (Bryophyllum pinnatum) है। पथरचट्टा एक औषधीय पौधा है, जो पोषक तत्वों से भरपूर माना जाता है।
पथरचट्टा एल्कलॉइड्स, फ्लेवोनोइड्स, ग्लाइकोसाइड्स, ट्राइटरपेन्स, कार्डिएनोलाइड्स, बुफैडियनोलाइड्स, लिपिड और स्टेरॉयड जैसे बायोएक्टिव कंपाउंड से समृद्ध होता है। प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर के अलावा, इसमें आयरन, कॉपर, जिंक, पोटेशियम, निकेल, कैल्शियम, सोडियम, लीड, कैडमियम जैसे मिनरल्स भी पाए जाते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, स्टोन को डिजोल्व करने की शक्ति होने के कारण पौधे का नाम पथरचट्टा पड़ा।
यह कैंसर पैदा करने वाली कोशिकाओं के कारण होने वाले उत्परिवर्तन को कम कर सकता है। यह ब्लड शुगर लेवल को कम कर सकता है। यह फंगस और माइक्रोब के विकास को रोक सकता है। यह सूजन को कम कर सकता है। यह पेट में अल्सर बनने से रोक सकता है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत कर सकता है। यह किडनी स्टोंस को खत्म कर सकता है। पथरचट्टा यूरीनरी इन्फेक्शन को भी दूर कर सकता है।
पत्थरचट्टा के पौधे की पत्तियों, तने और जड़ का मेडिसिनल महत्व है। यह आम तौर पर सभी बीमारियों के लिए औषधीय जड़ी बूटी के रूप में उपयोग (Patharchatta for urinary infection) किया जाता है। इसे कई तरीके से इस्तेमाल किया जाता है।
100 ग्राम पत्थरचट्टा के पत्ते लें। उन्हें अच्छी तरह कूट लें। इन पत्तियों से रस तैयार कर लें। आधा कप रस सुबह और शाम खाली पेट लिया जा सकता है। इस जूस के सेवन से न सिर्फ इन्फेक्शन दूर हो जाता है, बल्कि पथरी वाला कैल्शियम फॉस्फेट पेशाब (Patharchatta for urinary infection) के रास्ते बाहर निकल आता है।
बाजार में भी पथरचट्टा के जूस मिलते हैं। इसका 20-30 एमएल जूस लें। दिन में दो बार इसका सेवन करें। सुबह लेने पर खाली पेट (Patharchatta for urinary infection) लें।
पथरचट्टा के पत्तों का काढ़ा बनाने के लिए इसकी कुछ पत्तियां लेकर पानी से अच्छी तरह धो लें। इसे एक गिलास पानी में डालकर अच्छे से उबाल लें। उबलने के बाद इसे छान लें। रोजाना सुबह इसका सेवन (Patharchatta for urinary infection) करें।
पथरचट्टा की कुछ ताज़ी या सूखी पत्तियों को पानी में उबाल लें। इसे छान लें। यदि शुगर पेशेंट नहीं हैं, तो शहद की कुछ बूंद डालकर पी (Patharchatta for urinary infection) सकती हैं।
पथरचट्टा का पौधा गमलों में आसानी से उग सकता है। यह बीज से नहीं उगता है। यह पौधे की पत्तियों से फैलता है। एक पत्ती से 5-10 पौधे तैयार हो सकते हैं। इसमें रोज पानी देना जरूरी है।
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