अनियमित लाइफस्टाइल और अनहेल्दी डाइट शरीर में इनडाइजेशन, एसिडिटी और कब्ज का कारण साबित होती है। शरीर को पूर्ण रूप से फाइबर न मिल पाने के कारण कब्ज की परेशानी दिनों दिन बढ़ने लगती है, जिससे पेट नियमित तौर पर साफ नहीं हो पाता है। ऐसे में आयुर्वेद के आसान नुस्खे इस समस्या को हल करने में मदद कर सकते हैं। कब्ज की समस्या के गंभीर रूप लेने से इरीटेबल बॉवेल सिन्ड्रोम का जोखिम बढ़ जाता है। जानते हैं आयुर्वेद के वो आसान उपाय जो कब्ज से राहत दिला सकते हैं।
पेट में जमा टॉक्सिक पदार्थों का पूरी तरह से डिटॉक्स न होना कब्ज की समस्या का कारण साबित होता है। इससे पेट में दर्द व ऐंठन का सामना करना पड़ता है। पेट कोई बीमारी नहीं बल्कि कई बीमारियों के लक्षण के तौर पर जानी जाती है। वे लोग जो लंबे वक्त तक इस समस्या से ग्रस्त रहते हैं, उसे क्रानिक कॉस्टीपेशन कहा जाता है।
इस बारे में प्राकृतिक चिकित्सक अनिल बंसल बताते हैं कि कब्ज के चलते स्टूल पास करने में तकलीफ होती है। दरअसल, इंटैस्टाइन्स में जमा टॉक्सिक पदार्थ इस समस्या को बढ़ा देते हैं। पानी की कमी और खाने पीने की आदतों में आने वाले बदलाव इस समस्या का कारण बनने लगते हैं। इसके लिए पुदीने या फिर अजवाइन को पानी में उबालकर पीने से पेट को लाभ मिलता है।
इससे एसिडिटी और गैस की समस्या भी हल हो जाती है। बढ़ती उम्र में कब्ज कई स्वास्थ्य संबधी समस्याओं का मुख्य कारण साबित होती है। कब्ज को दूर करने के लिए छाछ में हींग और जीरा डालकर पीएं और दूध में मुनक्का और छुआरा उबालकर पीने से कब्ज दूर होती है।
इस बारे में प्राकृतिक चिकित्सक अनिल बंसल बताते हैं कि हरड़ पाचनतंत्र को मज़बूत करती है। कब्ज को दूर करने के लिए हरड़ का सेवन फायदेमंद साबित होता है। इसके लिए हरड़ को मुंह में रखकर कुछ देर चूसने से पोषण की प्राप्ति होती है। इसमें टैनिन और अमीनो एसिड की मात्रा पाई जाती है, जो जिद्दी कब्ज से राहत दिलाती है। त्रिफला में पाई जाने वाली हरड़ का हरीतकी भी कहा जाता है। हरड़ को चूसने के अलावा खाना खाने के बाद हरड़ चूरन को गुनगुने पानी में मिलाकर पीने से भी लाभ होता है।
एंटीऑक्सीडेंटस से समृद्ध आंवला न केवल शरीर के इम्यून सिस्टम को मज़बूती प्रदान करता है बल्कि इससे डाइजेशन भी इंप्रूव होता है। वे लोग जो कब्ज के शिकार है, उन्हें सुबह उठकर खाली पेट आंवले के रस का सेवन करने से फायदा मिलता है। इससे स्टूल पास करने में आने वाली तकलीफ से मुक्ति मिल जाती है। दरअसल, इसमें फाइबर की उच्च मात्रा पाई जाती है, जो गट हेल्थ को मज़बूत करके बॉबल मूवमेंट को नियमित बनाए रखता है।
पुदीने को पानी में उबालकर पीने से इंटेस्टाइन को स्टिम्यूलेट करने में मदद मिलती है। एंटीमाइक्रोबियल प्रापर्टीज से रिच पुदीना पाचनक्रिया को नियमित बनाता है। पुदीने की चाय में अदरक मिलाकर पीने से पाचन तंत्र की मांसपेशियों रिलैक्स हो जाती है। खाना खाने के बाद पुदीने की चाय पीने से न केवल शरीर से टॉक्सिक पदार्थों को डिटॉक्स करने में मदद मिलती है बल्कि इससे वेटलॉस यात्रा भी आसान हो जाती है।
आयुर्वेदिक एक्सपर्ट के अनुसार अंगूर फाइबर का मुख्य स्त्रोत है। दिनभर में आधा गिलास अंगूर के रस का सेवन करने से आंतों की सफाई में मदद मिलती है। इसके अलावा ये आंतों में कैंसर को पनपने से भी रोक देता है। इसके सेवन से आंतों को मज़बूती मिलती है।
छाछ में हींग और जीरा पाउडर मिलाकर पीने से मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है और इंटेस्टाइन को क्लीन करने में मदद मिलती है। नियमित तौर पर छाछ का सेवन करने से कब्ज की समस्या को दूर किया जा सकता है। इसमें मौजूद हेल्दी बैक्टीरिया और लेक्टिक एसिड बॉवल् मूवमेंट को नियमित बनाए रखती है।
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