गर्मी के मौसम में जिन सबसे टेस्टी और जूसी फ्रूट को पसंद किया जाता है, उनमें से एक है लीची (Litchi)। मेट्रो सिटीज में लाल-लाल लीची को देखते ही अपने बिहार की याद आने लगती है। पर क्या आप जानती हैं कि इस जूसी फ्रूट को खाने का भी एक सही तरीका होता है। मेरी मां अकसर हमें लीची देने से पहले उन्हें पानी में डुबाे दिया करती थीं। इसके लिए उनके पास कई कारण हैं। तो आइए जानते हैं क्यों खाने से पहले लीची (how to eat litchi safely) को पानी में डुबो कर रखना है हेल्दी तरीका।
भारत में कुल उत्पादन का 75 प्रतिशत लीची बिहार में होता है। इसके बाद पश्चिम बंगाल का स्थान आता है। बिहार के मुजफ्फरपुर की जूसी, पल्पी और न्यूट्रीशियस लीची तो विदेश भी भेजी जाती है।
याद आता है कि जब हम छोटे थे, तो बगीचे या बाजार से लीची के आने पर मां सबसे पहले लीची के गुच्छे को पानी में डाल देती थी। गुच्छे को करीब 2-3 घंटे तक पानी में छोड़ दिया जाता था। पानी में घंटों रहने के बाद ही रस भरी और अद्भुत स्वाद वाली लीची हमारी जीभ और पेट तक पहुंच पाती थी। आज हम जानेंगे कि मां लीची को घंटों पानी में क्यों डुबोए रखती थी।
1 रिसर्च के अनुसार, लीची एंटी ऑक्सिडेंट, एंटी डायबिटिक और इम्यूनोमॉड्यूलेटरी होती है।
2 सैच्युरेटेड फैट नहीं होने के कारण लीची खाने से वजन नहीं बढ़ता है।
3 विटामिन बी, विटामिन सी, नियासिन, राइबोफ्लेमिन, मैग्नीशियम, पोटैशियम, फास्फोरस मिनरल्स का बढ़िया स्रोत है लीची। इससे हमारा इम्यून सिस्टम मजबूत होता है।
4 लीची जूस, आइसक्रीम सहित फ्रूट क्रीम में भी इसका प्रयोग होता है।
1 लीची की तासीर गर्म होती है। इसका थर्मोजेनिक गुण हमारी बॉडी को प्रभावित करता है। यदि हम बिना भिगोए लीची को खाएंगे, तो कॉन्सिटिपेशन, स्किन प्रॉब्लम, सिरदर्द और लूज मोशन की समस्या हो सकती है।
2 इन दिनों पेस्टिसाइड्स का प्रयोग बढ़ गया है। यदि हम लीची को सिर्फ टेप वॉटर से धोकर खा लेंगे, तो पेस्टिसाइड के दुष्प्रभावों से नहीं बच पाएंगे। इससे त्वचा और आंखों में जलन, जी मिचलाने की समस्या हो सकती है।
3 लीची खाने के बाद शरीर में गर्मी पैदा होती है। इससे हमारा डायजेस्टिव सिस्टम प्रभावित हो सकता है। गर्म होने के कारण गले में खराश होने की समस्या भी हो सकती है।
4 लीची के छिलके थोड़े सख्त होते हैं। यदि वे सूख जाते हैं, तो उन्हें पील ऑफ करना मुश्किल हो जाता है। पानी में डुबाेने से न सिर्फ छिलके पर लगी धूल-मिट्टी साफ हो जाती है, बल्कि छिलके उतारना भी आसान हो जाता है।
अधिक खाने से आपका ब्लड शुगर लेवल अचानक घट सकता है। लीची में ब्लड शुगर कम करने की टेंडेंसी होती है।
क्यों कई बार लीची खाने से बीमार पड़ जाते हैं बच्चे
मुजफ्फरपुर से अक्सर गर्मी के दिनों में बच्चों के बीमार पड़ने, यहां तक कि मरने की भी खबरें आती रहती है। दरअसल, वहां गरीब परिवार के बच्चे सुबह खाली पेट ही ढेर सारी लीची का सेवन कर लेते हैं।
लीची के फल में हाइपोग्लाइसीन A और मेथिलीनसाइक्लोप्रोपाइल- ग्लाइसिन नाम के टॉक्सिन्स पाए जाते हैं। हाइपोग्लाइसीन A शरीर को ग्लूकोज बनाने से रोकता है। जब खाली पेट भरपूर मात्रा में लीची खाई जाती है, तो ब्लड शुगर का लेवल तेजी से कम होने लगता है। इससे न सिर्फ चक्कर आने लगते हैं, बल्कि अत्यधिक थकान, मेमोरी लॉस यहां तक कि मृत्यु होने की भी संभावना बनने लगती है।
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