बार बार थकान महसूस होना और वज़न में होने वाली बढ़ोतरी किसी गंभीर बीमारी का संकेत भी हो सकता हैं। शरीर में होने वाले इस प्रकार के बदलाव थायराइड जैसे गंभीर रोग के जोखिम की ओर इशारा करते हैं। दरअसल, थायराइड एक तितली के आकार की इंडोक्राइन ग्लैण्ड है। अब तक दुनिया भर में तकरीबन 200 मिलियन लोगों को प्रभावित करने का काम कर रहा है। थायराइड के दो प्रकार होते हैं हायपरथायराइड और हायपोथायराइड। लाइफस्टाइल में सामान्य बदलाव करके हम इस समस्या को दूर कर सकते है। इन 5 औषधियों की मदद से आप शरीर में इस समस्या पर काबू पा सकते हैं (5 herbs to improve thyroid naturally)।
एनसीबीआई के मुताबिक हाइपोथायरायडिज्म यानि थायराइड सामान्य आबादी के 5 फसदी हिस्से को प्रभावित कर रहा है। आकड़ों की मानें, तो 99 फीसदी से ज्यादा रोगी प्राइमरी हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित हैं। दरअसल, दुनिया भर में एनवायरमेंटल आयोडीन की कमी थायरॉयड डिसआर्डर का मुख्य कारण है।
मसल्स में दर्द की शिकायत होना
पाचनतंत्र में गड़बड़ी
होर्मोनल इंबैलेंस
ओवर वेट हो जाना
नेक में स्वैलिंग महसूस होना
इन 5 हर्ब्स की मदद से पाएं थायराइड से राहत
मेडिकल न्यूज टुडे के मुताबिक अदरक का सेवन करने से हाइपोथायरायडिज्म से ग्रस्त लोगों को फायदा पहुंचता है। इसके सेवन से शरीर में लिपिड और हार्मोन प्रोफाइल को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। अदरक में मैग्नीशियम पाया जाता है। इसकी मदद से थायराइड के रोग को नियंत्रित किया जा सकता है। मैग्नीशियम न केवल मांसपेशियों को रिलैक्स रखता है बल्कि दिल की धड़कन को बढ़ने से रोकता है।
इसमें मौजूद पोटेशियम बॉडी में तरल पदार्थों को रेगयुलेट करने में मददगार साबित होते है। इसके अलावा ये विटामिन बी .6, कॉपर और मैंगनीज से भी समृद्ध है। साथ ही इसमें जिंजरोल नाम के एंटी ऑक्सीडेंटस भी पाए जाते हैं।
फाइटोकेमिकल्स से भरपूर काले जीरे में अल्कलॉइड, फ्लेवोनोइड्स और फेनोलिक समेत कई बायोलॉजिक्ल कम्पाउंड पाए जाते हैं। इससे शरीर कई समस्याओं से बचा रहता है और शरीर से धीरे धीरे थायरॉयड की समस्या दूर होने लगती है। एनसीबीआई की एक स्टडी के मुताबिक 22 से लेकर 50 साल की उम्र के लोगों ने 8 सप्ताह तक काले जीरे का सेवन किया। इसके तहत न केवल थायराइड लेवल में सुधार आया बल्कि शारीरिक वज़न भी पहले की तुलना में कम पाया गया।
एंटी फंगल और एंटी इफलामेंटरी गुणों से युक्त तुलसी की पत्तियां थायराइड की समस्या को दूर करने का काम करती है। इन पत्तियों को पानी में उबालकर पीने से या चबाकर खाने से थायराइड से राहत मिलती है। शरीर में अत्यधिक कोर्टिसोल थायरॉयड गलैंण्ड, ओवरीज़ और पैनक्रियाज़ को प्रभावित करता है। ज्यादा मात्रा में कोर्टिसोल पैनक्रियाज से इंसुलिन सिक्रीशन के इंबैलेंस का कारण बन सकता है। इससे हाइपोग्लाइसीमिया की संभावना बढ़ जाती है।
तुलसी माइंड में न्यूरोट्रांसमीटर के सिक्रीशन को भी प्रभावित कर सकती है। इसकी मदद से शरीर में हैप्पी हार्मोंस प्रोडयूस होने लगते हैं। तुलसी की पत्तियों को पानी में उबालकर पीने से थायराइड से राहत मिलती है।
पोषकता से भरपूर मुलेठी हमारे गले के लिए एक बैहतरीन औषधी है। ट्रीटरपेनोइड ग्लाइसेरीथेनिक से समृद्ध होने के चलते मुलेठी थायरॉइड पर प्रतिबंध लगाता है। मुलेठी थायराईड समेत हमारे शरीर को डायजेशन संबधी समस्याओं से बचाने का काम करती है। मेमोरी बूस्ट करने के साथ साथ ये वेट रिडक्शन में भी बेहद फायदेमंद है।
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कस्टमाइज़ करेंहार्मोंनल इंबैलेंस को सुधारने में अश्वगंधा बेहद फायदेमंद साबित होती है। इसके चूरन को पानी में उबालकर पीने से काफी फायदा मिलता है। मेडिकल न्यूज टुडे के मुताबिक अश्वगंधा शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में कारगर है। इसमें पाया जाने विदएफिरीन एक कैमिकल कंपाउड है, जो थायराइड ग्लैण्ड की एक्टिविटी में सुधार करता है।
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