किशमिश वाला दूध दूर कर सकता है कब्ज की समस्या, जानिए इसके और भी फायदे
फल, सब्जियों और दालों के साथ साथ दूध भी हमारे आहार का महत्वपूर्ण हिस्सा है। ये एक कंप्लीट फूड के रूप में शरीर को केल्शियम और प्रोटीन के अलावा ढ़ेर सारे पोषक तत्व प्रदान करता है। अधिकतर लोग दूध में बादाम, मखाने और काजू को मिलाकर पीते हैं। इन सबके अलावा एक खाद्य पदार्थ ऐसा भी है, जिसे दूध में भिगोकर खाने से न केवल न्यूट्रीएंटस की प्राप्ति होती है बल्कि अवशोषण भी बढ़ने लगता है। दरअसल, सर्दी के मौसम में खासतौर से खाई जाने वाली किशमिश को दूध में मिलाकर सेवन करने से पोषण का स्तर बढ़ जाता है। जानते हैं किशमिश को दूध में भिगोकर खाने के फायदे (raisins soaked milk)।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार किशमिश में एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो कोशिकाओं को फ्री रेडिकल्स के प्रभाव से बचाते हैं। किशमिश को भिगोकर (raisins soaked milk) खाने से एंटी न्यूट्रीएंटस नष्ट हो जाते है और शरीर को फेरुलिक एसिड, रुटिन, क्वेरसेटिन और ट्रांस कैफ्टेरिक एसिड की प्राप्ति होती हैं। आहार में इसे शामिल करने से कैंसर, टाइप 2 मधुमेह और अल्जाइमर रोग जैसी बीमारियों के जोखिम को कम किया जा सकता है।
इस बारे में डायटीशियन डॉ अदिति शर्मा बताती हैं कि किशमिश में एंटीऑक्सीडेंट्स की उच्च मात्रा पाई जाती है, जिससे इम्यून सिस्टम बूस्ट होता है। इसके अलावा दूध में किशमिश (raisins soaked milk) को भिगोकर सेवन करने से कब्ज की समस्या हल होती है और शरीर में एनर्जी का स्तर बढ़ने लगता है। इसमें मौजूद माइक्रोन्यूट्रीएंटस की मात्रा जैसे पोटेशियम, मैगनीशियम और आयरन से बॉडी फंक्शनिंग को बढ़ावा मिलता है। इससे एजिंग का खतरा कम होने लगता है और वेट मैनेजमेंट में भी मदद मिलती है।
किशमिश को दूध में भिगोकर पीने के फायदे (Benefits of raisins soaked milk)
1. कब्ज की समस्या होगी हल
फाइबर से भरपूर किशमिश को दूध में भिगोकर खाने और फिर दूध पीने से लेक्सेटिव गुणों की प्राप्ति हेती है, जिससे बॉवल मेवमेंट नियमित बनी रहती है। इसमें मौजूद सोर्बिटोल की मात्रा स्टूल की सॉफ्टनेस को बढ़ाने में मदद करती है। वहीं दूध में मौजूद प्रोबायोटिक्स की मात्रा गट हेल्थ के लिए फायदेमंद साबित होती है। इससे ओवरऑल डाइजेशन में सुधार होता है।
2. इम्यून सिस्टम को करे बूस्ट
विटामिन और मिनरल से भरपूर किशमिश को दूध में मिलाकर पीने से पोषक तत्वों का अवशोषण बढ़ने लगता है। इससे फ्री रेडिकल्स का प्रभाव कम होने लगता है और मौसमी बीमारियों से राहत मिल जाती है। इससे मोटापा, कैंसर और डायबिटीज़ का खतरा कम होता है और मानसिक स्वास्थ्य भी उचित बना रहता है। नियमित रूप से इसका सेवन रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
3. अनीमिया की समस्या होगी हल
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार किशमिश से शरीर को आयरन की उचित मात्रा प्राप्त होती है। यूएसडीए के अनुसार 1 औंस यानि 28 ग्राम किशमिश के सेवन से दैनिक मूल्य का लगभग 3 फीसदी प्राप्त होता है। इससे शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ने लगती है और रेड ब्लड सेल्स का स्तर बढ़ जाता है। आहार में आयरन की कमी अनीमिया की कमी का कारण बनने लगती है, जिससे दिनभर थकान, नींद और कमज़ोरी महसूस होती है। दूध में किशमिश भिगोकर खाने से शरीर में उक्त का स्तर उचित बना रहता है।
4. एनर्जी के स्तर को बढ़ाए
दूध में मौजूद प्रोटीन और कैल्शियम एनर्जी के स्तर को बढ़ाने में मददगार साबित होता है। सथ ही इससे हड्डियों की भी मज़बूती बढ़ने लगती है। वहीं किशमिश का सेवन करने से शरीर को फ्रुक्टोज और ग्लूकोज की प्राप्ति होती है, जिससे शरीर में एनर्जी का लेवल बना रहता है। साथ ही पोषक तत्वों का अवशोषण भी बढ़ने लगता है।
5. त्वचा के ग्लो को रखे मेंटेन
नियमित रूप से दूध में किशमिश को भिगोकर सेवन करने से एंटीऑक्सीडेंट्स प्राप्त होते है, जिससे त्वचा पर फ्री रेडिकल्स का जोखिम कम हो जाता है। वहीं स्किन का निखार बढ़ने लगता है और विटामिन व मिनरल की प्राप्ति से त्वचा की नमी बरकरार रहती है।
किशमिश को दूध में भिगोकर कैसे करें सेवन (How to soaked raisins in milk)
आहार में शामिल करने के लिए इसे 150 से 200 एमएल दूध लें। दूध को हल्का गुनगुना कर लें और उसमें 4 से 6 किशमिश को ओवरनाइट सोक करके रख लें। अब सुबह खाली पेट दूध पीएं और भीगी हुई किशमिश को खाएं। इस प्रकार से एडिड शुगर से बचा जा सकता है और मीठा खाने की क्रविंग भी कम होने लगती है।
डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।