आयुर्वेद से लेकर साइंस तक सभी को है मम्मी की रसोई के पीले मसाले पर भरोसा
जब भारतीय मसालों की बात होती है, तो हल्दी (Turmeric) का नाम सबसे पहले आता है। हल्दी सिर्फ खाने का रंग और स्वाद बढ़ाने के ही काम नहीं आती, बल्कि यह कई रोगों से निजात दिलाने में भी मददगार है। आयुर्वेद से लेकर साइंस तक को है मम्मी की रसोई में मौजूद इस पीले मसाले पर भरोसा। बसंत पंचमी (Basant Panchami) पर जब पीले रंग का महत्व खास बढ़ जाता है आइए जानते हैं इसे स्वर्णिम मसाले (Golden spice) के स्वास्थ्य लाभों के बारे में।
हल्दी सबसे प्रभावी पोषण पूरक है। महामारी के दौर में हल्दी ने दुनिया का साथ निभाया। और दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने भी हल्दी की खुलकर तारीफ की।
सबसे पहले जानते हैं हल्दी के बारे में
हल्दी एक ऐसा मसाला है जो सब्जियों को पीला रंग देने के लिए जाना जाता है। हजारों सालों से इसका उपयोग भारत में मसाले और हर्ब दोनों के रूप में किया जाता रहा है। एनसीबीआई पर मौजूद एक रिपोर्ट बताती है कि विज्ञान ने पारंपरिक दवाओं का समर्थन करना शुरू कर दिया है।
इस पीले मसाले में मौजूद खास यौगिक को करक्यूमिनोइड्स (curcuminoids) कहा जाता है। इसका शक्तिशाली एंटी इंफ्लामेटरी प्रभाव और मजबूत एंटीऑक्सीडेंट (Antioxidants) आपको कई समस्याओं से निजात दिलाते हैं।
यहां जानिए हल्दी की मुख्य 4 प्रजातियों के बारे में ( Types of Turmeric)
1.करकुमा लोंगा : यह मुख्य रूप से घर के मसालों में इस्तेमाल की जाती है।
2.करकुमा एरोमेटिका: यह एक जंगली हल्दी है। इसका इस्तेमाल आयुर्वेदिक उपचार में त्वचा पर लगी चोट में किया जाता है।
3.करकुमा आमदा: यह महक वाली हल्दी होती है, ज्यादातर यह कपूर और आम की तरह महकती है इसलिए इसका नाम आमदा रखा गया है।
4.करकुमा सीसिया : यह काली हल्दी है। हिंदू धर्म में इसे चमत्कारी हल्दी माना जाता है और पूजा पाठ में उपयोग किया जाता है।
विज्ञान से जानिए आखिर क्यों खास है हल्दी
1.आपको कैंसर से बचा सकती है हल्दी (Turmeric can Prevent Cancer)
हल्दी के सेवन से कैंसर(Cancer) जैसी बड़ी बीमारी से बचा जा सकता है। दरअसल कैंसर के पीछे का मुख्य कारण अनियंत्रित कोशिका वृद्धि है। जिसको कर्क्यूमिन प्रभावित कर सकता है। और हल्दी में यह पाया जाता है। एनसीबीआई के अनुसार करक्यूमिन को कैंसर के उपचार में एक लाभकारी जड़ी बूटी के रूप में अध्ययन किया गया है और कैंसर के विकास और विकास को प्रभावित करने के लिए असरदार पाया गया है।
2.एंटी एजिंग भी है हल्दी ( Turmeric has Anti-aging Properties)
हल्दी में मौजूद कर्क्यूमिन आपकी एजिंग को डिले (Delay Aging) कर सकता है। साथी ही यह आपकी उम्र से संबंधित पुरानी बीमारियों से लड़ने में मदद कर सकता है। कर्क्यूमिन वास्तव में हृदय रोग, कैंसर और अल्जाइमर को रोकने में मदद करता है , तो यह दीर्घायु के लिए भी लाभकारी हो सकता है।
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कस्टमाइज़ करेंNCBI की एक अन्य रिपोर्ट बताती है कि करक्यूमिन एंटी-एजिंग सप्लीमेंट के रूप में भी कार्य करती है।
3.एंटी-इन्फ्लेमेटरी है हल्दी (Turmeric is anti-inflammatory)
ज्यादा इन्फ्लेमेशन आपके शरीर में ऊतकों को प्रभावित करना शुरू कर देती है। ऐसे में हल्दी का सेवन करना आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। Pubmed पर मौजूद जानकारी के अनुसार अल्सरेटिव कोलाइटिस (ulcerative colitis) के रोगियों के एक अध्ययन में, जो लोग डॉक्टर के पर्चे की दवा के साथ एक दिन में 2 ग्राम करक्यूमिन लेते थे, उनमें फायदे ज्यादा था।
4.दिल की बीमारियों के जोख़िम को कम करती है हल्दी (Turmeric can reduce heart diseases risk)
हल्दी हृदय रोग के जोखिम को कम कर सकती है और यह कोई सुनी-सुनाई बात नही है। अध्ययनों से पता चलता है कि हल्दी हृदय रोग प्रक्रिया को उलटने में मदद कर सकती है। पब मेड पर मौजूद जानकारी के अनुसार अध्ययन में जिन्होंने 12 सप्ताह तक करक्यूमिन की खुराक ली, प्रतिरोध धमनी एंडोथेलियल उत्पादन( जो उच्च रक्तचाप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है) में वृद्धि हुई थी।
5.डिप्रेशन में राहत देती है हल्दी (Benefits of Turmeric in Depression)
जब आप डिप्रेशन में चले जाते हैं तो ब्रेन ड्राइव न्यूरोट्रॉफिक कारक (BDNF) के रूप में जाना जाने वाला प्रोटीन कम हो जाता है और आपका हिप्पोकैम्पस, जो सीखने और याददाश्त में मदद करता है, सिकुड़ने लगता है।
एक अध्ययन से पता चलता है कि करक्यूमिन आपको डिप्रेशन से निकलने में मदद कर सकती हैं। Potentials of Curcumin as an Antidepressant नामक स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ की करक्यूमिन (हल्दी में मौजूद गुण) आपका BDNF के लेवल में बदलाव कर सकता है।
संभल कर करना चाहिए हल्दी का इस्तेमाल (Side effects of excessive Turmeric)
हल्दी कितनी भी चमत्कारी क्यों न हो, लेकिन जरूरत से ज्यादा होने पर यह आपको कई कष्ट दे सकती है जिसमें, पेट में जलन, ऐठन,सूजन जैसी दिक्कतें आम हैं। हल्दी में ऑक्सलेट नाम का एक तत्व पाया जाता है जो शरीर में अधिक होने के कारण कैल्शियम को शरीर में सही तरह से घुलने नहीं देता जिसके चलते पथरी भी हो सकती है। यदि आपको पीलिया है, तो विशेष तौर पर हल्दी त्यागने की सलाह दी जाती है।