दालें प्रोटीन का भंडार हैं। आहार विशेषज्ञ भी मानते हैं कि बढ़ते बच्चों और सभी वयस्कों को भी हर रोज दालों का सेवन करना चाहिए। यह आपके शरीर के लिए जरूरी प्रोटीन की आपूर्ति करती हैं। खासतौर से शाकाहारी (Vegetarians) लोग, जाे अंडा या अन्य पशुओं से प्राप्त उत्पादों का सेवन नहीं करते, उनके लिए दालें ही प्रोटीन (Protein) का सर्वोत्तम स्रोत हैं। पर कई बार ऐसा होता है कि दाल बनने के बावजूद कोई भी उसे खाना पसंद नहीं करता। ऐसे में बची हुई दाल से आप एक स्वादिष्ट रेसिपी बना सकती हैं। हम बात कर रहे हैं बची हुई दाल से बनने वाले हाई प्रोटीन चीला (leftover dal chilla recipe) के बारे में। तो चलिए बिना देर किए तैयार करते हैं बची हुई दाल से प्रोटीन रिच चीला।
हेल्दी और क्विक ब्रेकफास्ट(Healthy and quick recipe) की जब भी बात आती है, तो बेसन से बनने वाले पौष्टिक चीला का स्वाद अपने आप मुंह में घुल जाता है। गमागर्म और हेल्दी दाल बेसन चीला रेसिपी न केवल खांसी जुकाम से राहत दिलाता है बल्कि शरीर को प्रोटीन, फाइबर, पोटेशियम और जिंक समेत कई प्रदान करता है।
लड्डू, पकौड़ा, ढोकला, खाण्डवी और कढ़ी बनाने में खासतौर से इस्तेमाल होने वाला बेसन पूरी तरह से ग्लूटन फ्री है। इम्यून सिस्टम को मज़बूती प्रदान करने वाले बेसन को खाने से कॉस्टिपेशन से राहत मिलती है। साथ ही डायबिटिक फ्रेंडली होने के चलते शरीर में ग्लूकोज़ के लेवल को नियंत्रित करने का काम करता है।
बेसन के इस चीले को आप चाहें, तो मीठा और नमकीन दोनों तरह से बना सकते हैं। बेसन अपने आप में एक पूर्ण आहार है। 100 ग्राम बेसन में से हमें 20 ग्राम प्रोटीन की प्राप्ति होती है। साथ ही 5-6 ग्राम गुड फैट मिलता है। डायबिटीज़ से ग्रस्त लोगों के लिए बेसन एक बेहतरीन सुपरफूड है। फाइबर और मैग्नीशियम के साथ-साथ इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी लो होता है।
बेसन में ज्यादा मात्रा में डाइटरी फाइबर पाए जाते हैं जो कोलेस्ट्रॉल लेवल को कण्ट्रोल करने का काम करते है इसमें पाया जाने वाला पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड ब्लड शुगर लेवल को कम करता है
इसमें पाया जाने वाला डाइटरी फाइबर बॉडी मैक्स इंडेक्स को संतुलित करने का काम करता है इसके अलावा फाइबर के पाचन में ज्यादा समय लगता हैं, जिससे ज्यादा देर तक पेट भरा हुआ लगता है
बेसन में थिआमिन और फॉलेट पाया जाता है इससे न सिर्फ मेटाबोलिज्म सुधरता है बल्कि ब्रेन फंक्शन में भी फायदा पहुंचाता है
इसमें मौजूद कैल्शियम, मैगनीशियम और पोटेशियम बोनस को मज़बूत बनाते हैं। इसके अलावा शरीर को ओस्टियापिरोसिसि के खतरे से भी दूर रखता है।
गहरी और अच्छी नींद के लिए बेसन बेहद फायदेमंद है। इसमें मौजूद ट्रीप्टोफन और सेरोटोनिन हार्मोन बॉडी को रिलैक्स रखने का काम करते हैं। ट्रीप्टोफन से हमारा ब्रेन शांत रहते हैं और सेरोटोनिन नेचुरल स्लीप दिलाता है ।
एनसीबीआई के मुताबिक प्रोटीन रिच मूंग दाल में कार्बोहाइड्रेट्स , अमीनो एसिड, कार्बनिक एसिड और फ्लवोनोइड्स पाए जाते हैं। एंटी ऑक्सीडेंट्स से भरपूर दाल एंटी इंफ्लामेंटरी और एंटी माइक्रोबियल गुणों से भरपूर है
डाइजेशन को सुधारती है।
शुगर को करे नियंत्रित
गर्भावस्था में फायदेमंद
ब्लड प्रेश को रखें मेंटेन
एक कटोरी मूंग दाल, दो कटोरी बेसन, बारीक कटा हुआ हरा प्याज, हरा धनिया, दो हरी मिर्च बारीक कटी हुई ,जीरा एक चम्मच, लाल मिर्च एक चुटकी, अमचूर एक चुटकी, गरम मसाला आधा चम्मच और तेल।
1. इसे बनाने के लिए एक बर्तन में एक कटोरी बची हुई दाल निकाल लें।
2. उसमें बेसन, प्याज, धनिया और हरी मिर्च मिलाएं।
3. इस तैयार बैटर में ज़रूरत के मुताबिक पानी मिला सकते हैं। अधिकतर दाल का पानी ही इस मिश्रण को मिक्स करके ने लिए काफी रहता है।
4. अब इस मिश्रण को तवे पर डालें और ध्यानपूर्वक सेकें। ध्यान रखें कि चीला दोनों तरफ से सिंका हुआ होना चाहिए।
5. दाल की गुडनेस को एड करके बनाए गए इस पौष्टिक चीले को आप इमली या पुदीने की चटनी के साथ सर्व कर सकते हैं।
6. इसके अलावा आप चाहें, तो दाल के परांठे भी तैयार कर सकते हैं।
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