बदलता मौसम संक्रमण तथा सीजनल बीमारियों को अपने साथ लेकर आता है। इस दौरान जुकाम और फ्लू के लक्षण बेहद आम हो जाते हैं, जिसकी वजह से ज्यादातर लोग बेहद परेशान रहते हैं। इसलिए इस दौरान अपनी सेहत का ध्यान रखना बेहद महत्वपूर्ण है। विशेष रूप से इम्यूनिटी पर ध्यान देना चाहिए। सालों से मेरी दादी बदलते मौसम में होने वाली समस्याओं (weather change sickness) से बचने के लिए कुछ खास घरेलू नुस्खे इस्तेमाल करती चली आ रही हैं। यह नुस्खे बेहद असरदार हैं। सर्दी, खांसी, फ्लू, गले की खराश आदि को फौरन ठीक कर सकते हैं। साथ ही साथ यह इम्यूनिटी को भी बढ़ावा देते हैं।
तो क्यों न इस मौसम हम सभी आगामी समस्याओं के लिए अपने शरीर को तैयार रखें। ताकि बिना किसी परेशानी के संक्रमण से उबरा जा सके। तो चलिए इस बदलते मौसम जानते हैं, मेरी मां के सुझाए कुछ खास नुस्खे (weather change sickness remedies)।
अदरक का रस और शहद का कॉन्बिनेशन फ्लू के लक्षण पर नियंत्रण पाने का एक बेहद पुराना घरेलू नुस्खा है। यह नुस्खा गले की खराश और सर्दी-खांसी में बेहद कारगर साबित हो सकता है। अदरक में एंटी इन्फ्लेमेटरी प्रॉपर्टी पाई जाती है, जो संक्रमण फैलाने वाले हानिकारक कीटाणुओं को खत्म करते हैं। इससे कोल्ड और फ्लू के लक्षण से जल्दी राहत मिलती है।
इसके अलावा शहद की एंटीबैक्टीरियल और एंटी माइक्रोबॉयल प्रॉपर्टी इस मिश्रण को अधिक खास बना देती है और इम्यूनिटी को बढ़ावा देते हुए संक्रमण के खतरे को कम कर देती है। एक चम्मच अदरक के रस में आधा चम्मच शहद मिलाकर इसे लेने से राहत मिलेगी।
लहसुन में एलिसन नामक एक कंपाउंड पाया जाता है, जिसमें एंटी माइक्रोबॉयल प्रॉपर्टी होती है। बदलते मौसम अपनी डाइट में पर्याप्त मात्रा में लहसुन शामिल करें, इससे सर्दी-खांसी जुकाम के लक्षण से राहत पाने में मदद मिलती है। नियमित रूप से इसके सेवन से आपकी इम्यूनिटी मजबूत होती है और आप बीमार और संक्रमित होने से बच जाती हैं।
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आप रोजाना सुबह लहसुन की एक से दो कलियों को चबाकर खा सकती हैं। इसके अलावा आप इसे अपने नियमित व्यंजनों में ऐड कर सकती हैं। वहीं। लहसुन की चाय भी बेहद कमल की होती है।
दालचीनी, काली मिर्च, बड़ी इलायची, जीरा को एक कप पानी में एक साथ उबाल कर तैयार किया गया यह मसाला चाय आपके शरीर को बदलते मौसम में होने वाले संक्रमण से राहत पाने में मदद करता है। इस चाय में एंटी इन्फ्लेमेटरी, एंटीबैक्टीरियल और एंटी फंगल प्रॉपर्टी पाई जाती है। साथ ही साथ इसमें एंटीऑक्सीडेंट की गुणवत्ता होती है। इसका नियमित सेवन आपके शरीर को डिटॉक्स करता है, और इसे संक्रमण से लड़ने के लिए तैयार करता है। इस प्रकार आप बदलते मौसम में बार-बार बीमार नहीं पड़ती हैं।
नमक के पानी से गरारा करने से रेस्पिरेट्री इनफेक्शन से बचा जा सकता है। इसके साथ ही यह सर्दी-खांसी जुकाम के लक्षणों को भी कम करने में मदद करता है। विशेष रूप से यह गले के दर्द और बंद नाक की स्थिति में कारगर माना जाता है। यदि आप इसे रोजाना दोहराती हैं, तो गले में मौजूद संक्रामक बैक्टीरिया बाहर निकल आते हैं। जिससे कि संक्रमण का खतरा काफी हद तक काम हो जाता है।
नीम एक एंटीसेप्टिक पौधा है। इसमें एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरस और एंटीफंगल प्रॉपर्टीज पाई जाती हैं, जो बदलते मौसम में संक्रमण फैलने वाले कीटाणु को खत्म करने में बेहद प्रभावी साबित हो सकती हैं। यदि आप संक्रमित नहीं होना चाहती हैं, तो रोजाना नीम की कुछ पत्तियों को पानी में उबालकर इसका गरमा गरम चाय पिएं।
यदि आप बदलते मौसम में सर्दी, खांसी जैसी समस्याओं से ग्रसित नहीं होना चाहती हैं, तो तुलसी, अदरक, काली मिर्च आदि को एक साथ मिलाकर काढ़ा तैयार करें और इसे एंजॉय करें। यह आपकी सेहत के लिए कमाल कर सकता है। काढ़े में इस्तेमाल होने वाले हर्ब एंटीबैक्टीरियल और एंटी फंगल गुणों से युक्त होते हैं। इनका नियमित सेवन शरीर को संक्रमण फैलाने वाले कीटाणुओं से बचा सकता है। साथ ही साथ यह इम्यूनिटी को बढ़ावा देते हैं, जिससे कि आगामी संक्रमण का खतरा भी कम हो जाता है।
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