आमतौर पर हमें जब भी कोई कुछ खाने की या न खाने की सलाह देता है, तो हम बहुत बार उसे सुना अनसुना सा कर देते हैं। ठीक इसी तरह से जब हम बच्चों को कुछ खाने से रोकते हैं, तो वो भी उस बात को नहीं मानते। ज्यादा डांटने पर नीचे मुंह झुकाकर मन ही मन फुसफुसाने लगते हैं। अब बच्चों का खराब मूड हमें अच्छा नहीं लगता और हम उन्हें वो सब कुछ खाने की इजाज़त दे देते हैं, जो आगे चलकर उनके लिए डायबिटीज़ का कारण बन सकते हैं। हेल्दी डाइट शुगर को नियंत्रित करने का एक आसान उपाय है। जब बात बच्चों की आती है, तो उनकी डाइट को मैनेज करना थोड़ा सा मुश्किल है, पर नामुमकिन नहीं। आइए जानते हैं कुछ ऐसे आसान तरीके, जिससे आप बच्चों (how to help a child with diabetes) को हेल्दी और यमी रेसिपीज़ परोस सकती हैं।
डायबिटीज़(Diabetes) के शिकार बच्चों के लिए रंग बिरंगी और हरी पत्तेदार सब्जियों (Green leafy vegetables)का खाना बेहद ज़रूरी है। इस बारे में जब हेल्थशॉटस ने डायबिटिक बच्चे के आहार के मद्देनज़र जब गुरुग्राम के आर्टेमिस अस्पताल में पीडियाट्रिक एंडोक्रिनोलॉजी कंसल्टेंट डॉ सुमित अरोड़ा से सलाह ली। उन्होंने कहा कि सबसे पहले आपको बच्चों में होने वाली डायबिटीज़ के बारे में जानना बेहद ज़रूरी है।
अगर आपका बच्चा बार बार यूरिन(Urine) पास कर रहा है। अगर बच्चे को ज्यादा प्यास लग रही है और बड़ी जल्दी थकान महसूस करने लगता है। साथ ही उसका वज़न(Weight) भी कम हो रहा है। तो ऐसे में बच्चे को डॉक्टरी जांच के लिए ज़रूर लेकर जाएं। इस बारे में डॉ अरोड़ा का कहना है कि एक रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट(Blood sugar Test) में अगर 200 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर से ज्यादा स्तर नज़र आ रहा है, तो यकीनन ये डायबिटीज़ का एक संकेत है।
विशेषज्ञों की मानें तो, टाइप 1 मधुमेह की समस्या छह महीने से लेकर 18 साल तक किसी भी एज ग्रुप(Age group) के बच्चों में हो सकती है। हांलाकि टाइप 1 डायबिटीज़ के मामले बच्चों में बहुत ज्यादा पाए जाते है। दूसरी ओर, बच्चों में दिनों दिन बढ़ रही मोटापे की समस्या के चलते टाइप 2 मधुमेह(Diabetes) की घटनाओं में भी उम्मीद से ज्यादा बढ़ोतरी देखी गई है।
डॉ अरोड़ा ने अपने सुझावों में फैंसी रेसिपीज़ के मुकाबले घर पर पके रिवायती खाने को ज्यादा प्राथमिकता दी है। उनके मुताबिक ऐसे बच्चों की थाली में स्टार्च मुक्त सब्जियां प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट का काम्बिनेशन ज़रूरी है। उनका कहना है कि बच्चे को पौष्टिक और स्वस्थ आहार देने का ये सबसे आसान और बेहतर तरीका है।
उनके नाश्ते में कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन युक्त सब्जियों और कॉटेज पनीर से बना बेसन चीला रोल शामिल कर सकते हैं। इससे अलावा बीन्स और गाजर समेत अन्य सब्जियां मिलाकर पोहा भी बनाया जा सकता है।
कैसी होनी चाहिए दोपहर की थाली
लंच के लिए आप एक चौथाई प्लेट सलाद, एक कटोरी रायता, भिंडी या अपनी पसंद की कोई अन्य सब्जी। साथ में एक कटोरी दाल और चावल परोस सकती हैं।
रात के खाने में बच्चों को रोटी के साथ पालक या फिर दाल दें। इसके अलावा सलाद और रायता भी मील में एड कर सकते हैं। दरअसल, भिंडी और पालक दोनों ही स्टार्च मुक्त और फाइबर युक्त सब्जियां हैं। जो आपकी मील के ग्लाइसेमिक इंडेक्स को कम करने में मदद करती हैं।
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कस्टमाइज़ करेंमधुमेह से ग्रस्त बच्चों को किस तरह के खाने से रखें दूर
डायबिटीज़ के शिकार बच्चों को स्वीट ड्रिंक से दूर रखना चाहिए। खासतौर से जूस, मीठी लस्सी और कार्बोनेटेड ड्रिंक से परहेज रखें। इन ड्रिंक से कैलोरीज़ तो मिलती है पर पोषण नहीं। वहीं, कुकीज़ और नट्स के साथ.साथ फ्राइड फूड से भी दूरी बनाकर रखें। जो शरीर में ट्रांसफैट की मात्रा बढ़ाने में सहायक होते हैं। इस तरह की फूड आइटम्स से हृदय रोग और कैंसर का खतरा बढ़ने लगता है। ऐसे में इस तरह के खाने से दूर रहें।