सॉना बाथ को स्टीम बाथ भी कहा जाता है। सॉना बाथ (Sauna Bathing) करने के लिए सॉना रूम बनाए जाते है। यहां आपको गीलापन और गर्म भाप महसूस होती है और तापमान उच्च होता है जिससे आपको गर्माहट का अनुभव होता है। सॉना बाथ करने के रूप को लकड़ी से डिजाइन किया जाता है। जिसमें गर्म पत्थर होते हैं जिन पर भाप पैदा करने के लिए पानी डाला जाता है।
इस प्रक्रिया में तापमान उतना ही होता है, जिसे एक व्यक्ति आराम से सहन कर सके। आप तापमान बढ़ाने और कमरे को सॉना रूम (Sauna room) में बदलने के लिए बिजली या सिर्फ गर्म पत्थरों का भी उपयोग कर सकते हैं। इस कमरे का तापमान 60 से 180 डिग्री तक हो सकता है। कई लोग इस बाथ को जिम या वर्कआउट के बाद लेते है।
फिनलैंड में सौना संस्कृति अधिकांश फ़िनिश आबादी के जीवन का एक अभिन्न अंग है। सॉना को वहां लोग अपने घरों में भी बना कर रखते है। और इस सार्वजनिक स्थानों पर भी देखा जा सकता है। सॉना में, लोग अपने शरीर और दिमाग को साफ़ करते हैं और आंतरिक शांति की भावना को महसूस करते है। वहां के लोग इसे एक पवित्र स्थान मानते है इसलिए इसे प्राकृति का चर्च भी कहा जात है। क्योंकि यहां लोगों को मन की शांति मिलती है।
सॉना कई रूपों में आते हैं – बिजली, गर्म लकड़ी, धुआं और इन्फ्रा-रेड। सौना परंपरा आमतौर पर परिवारों के द्वारा भी आगे बढ़ती है और विश्वविद्यालय और सौना क्लब भी ज्ञान साझा करने में मदद करते हैं। 5.5 मिलियन निवासियों वाले देश में 3.3 मिलियन सौना के साथ, यह सभी के लिए आसानी से उपलब्ध है। 1950 के दशक के बाद शहरों में पारंपरिक सार्वजनिक सौना लगभग गायब हो गए। हाल के वर्षों में, नए सार्वजनिक सौना का निर्माण किया गया है।
अमेरिकन जर्नल ऑफ फिजियोलॉजी के द्वारा एक स्टडी की गई, इस अध्ययन के लिए 30-60 आयु वर्ग के 50 पुरुष और महिला प्रतिभागियों को शामिल किया गया। उन्हे 2 ग्रुप में बांटा गया एक जिन्होने नियमित व्यायाम किया और दूसरा जिन्होने व्यायाम के साथ 15 मिनट सॉना बाथ भी लिया।
इसमें पाय गया कि व्यायाम और सौना दोनो करने वाले ग्रुप में शामिल लोगों ने सीआरएफ (कार्डियोरेस्पिरेटरी फिटनेस) में वृद्धि का अनुभव किया, और अकेले व्यायाम करने वाले ग्रुप की तुलना में सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर (एसबीपी) और कुल कोलेस्ट्रॉल में अधिक महत्वपूर्ण कमी देखी।
सॉना बाथ के फायदों के बारे में ज्यादा जानकारी दी फिटनेस और लाइफस्टाइल एक्सपर्ट यश अग्रवाल ने।
यश अग्रवाल बताते है कि एक्सरसाइज (Exercise) के बाद चोटिल हुई मांसपेशियों को ठीक करने लिए उसे आराम की जरूरत होती है। एक्सरसाइज के दौरान मांसपेशियों के छोटे-छोटे तंतु टूट जाते हैं। जब तंतु ठीक हो जाते हैं, तो मांसपेशियां ठीक हो जाती है और मजबूत हो जाती हैं। मांसपेशियों को आराम देने से यह प्रक्रिया तेज हो जाती है, जो गर्म वातावरण की प्रतिक्रिया में होती है।
सॉना और स्टीम रूम (steam room) की गर्मी आपके तंत्रिका को शांत करती है और आपकी मांसपेशियों को गर्म और आराम देती है। इसे आप खेल के बाद आराम पाने के लिए कर सकते है। हीट वाले वातावरण में जोड़ों के दर्द के साथ-साथ गठिया (arthritis), माइग्रेन (migraine) और सिरदर्द को भी कम किया जा सकता है।
पसीना शरीर से विषाक्त पदार्थों (Detoxification) को बाहर निकालता है। केवल 20 मिनट के लिए भाप के सॉना में बैठने से शरीर को पूरे दिन के पसीने और उसके साथ आने वाले सभी विषाक्त पदार्थों से छुटकारा मिल सकता है।
यश अग्रवाल के अनुसार स्टीम रीम में बैठने से आपको शांति और आराम मिलता है। यहां आप ध्यान भी लगा सकते है। गर्मी के कारण शरीर में एंडोर्फिन का स्राव होता है जो शरीर में तनाव की भावना को कम करता है। इसके बाद आप तरोताजा और संतुष्ट महसूस करेंगे।
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