आधुनिकता के इस दौर में हेयर स्टाइलिंग के लिए केमिकल्स का इस्तेमाल तेज़ी से बढ़ रहा है, जो सफेद बालों का कारण बन रहा है। एक वो दौर था, जब बालों को काला और घना बनाए रखने के लिए घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल किया जाता था। अक्सर मां बालों का कालापन बढ़ाने के लिए कलौंजी और भृंगराज से तैयार मास्क को अवश्य लगाया करती थी। इसमें मौजूद पोष्टिक तत्व बालों की जड़ों को न केवल फायदा पहुंचाते थे बल्कि इससे हेयर क्वालिटी भी मेंटेन रहती थी। जानते हैं कलौंजी और भृंगराज से तैयार हेयरमास्क (Kalonji and bhringraj hair mask) के फायदे और इसे बनाने से लेकर अप्लाई करने की विधि।
हांलाकि बालों का कालापन बढ़ाने के लिए डाई या हेयर कलर की मदद ली जाती है। मगर केमिकल्स का ज्यादा इस्तेमाल बालों की जड़ों को कमज़ोर बनाकर स्कैल्प की स्किन को नुकसान पहुंचाने लगता हैं। इससे स्कैल्प का पीएच गड़बड़ा जाता है, जो सफेद बालों का कारण बन जाता है। ऐसे में सफेद बालों से बचने और स्कैल्प की नरिशमेंट लिए घरेलू नुस्खों की मदद ली जा सकती है। रसोईघर में मौजूद कलौंजी और भृंगराज से तैयार हेयरमास्क बालों के लिए फायदेमंद साबित होता है।
इंडियन जर्नल ऑफ डर्माटोलॉजी की रिपोर्ट की मानें, तो भारत में 30 वर्ष की उम्र या उसके बाद लोगों को सफेद बालों का सामना करना पड़ता है। वे लोग जिनकी उम्र 20 साल से कम है, उनमें बढ़ने वाली समस्या प्रीमेच्योर ग्रे हेयर प्रोबल्म कहलाती है। हेयर फॉलिकल्स में मेलानोसाइट्स की कमी का बढ़ना ग्रे हेयर का कारण बनने लगता हैं।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार समय से पहले बाल सफ़ेद होने का मुख्य कारण जेनेटिक्स यानि आनुवंशिकता माना जाता है। इसके अलावा फ्री रेडिकल्स का प्रभाव भी इस समस्या को बढ़ा देता है। इसके अलावा शरीर में विटामिन बी12, विटामिन डी3 और कैल्शियम जैसे तत्वों की कमी से भी इसे जोड़कर देखा जाता है।
इस बारे में आयुर्वेद एक्सपर्ट डॉ अंकुर तंवर बताते हैं कि कलौंजी में ओमेगा 3 फैटी एसिड की मात्रा पाई जाती है। इससे स्कैल्प पर बढ़ने वाले रूखेपन को कम किया जा सकता है। इसमें मौजूद थाइमोक्विनोन की मात्रा कोशिकाओं की मात्रा को बढ़ाकर हेयरग्रोथ में मदद करती है। इसमें लिनोलिक एसिड की मात्रा भी पाई जाती है, जिससे मेलेनिन के प्रभाव को कम करके सफेद बालों से राहत मिलती है। वहीं आयुर्वेद में भृंगराज को केशराज कहा जाता है। इससे बालों में बढ़ने वाले संक्रमण को रोककर काला और घना बनाए रखने में मदद मिलती है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार भृंगराज में एंटी फंगल और हेयर डार्कनिंग प्रॉपर्टीज़ पाई जाती हैं। इससे सफेद बालों की समस्या हल होने लगती है और फंगल कोलोनाइजे़शन से होने वाली रूसी को भी कम किया जा सकता है।
इसमें मौजूद फैटी एसिड की मात्रा जड़ों की नरिशमेंट में मदद करती है, जिससे बालों में मेलेनिन का प्रभाव कम हो जाता है और प्राकृतिक पिगमेंट को मेंटेन रखा जा सकता है। इसका अलावा बालों में कॉपर, प्रोटीन और विटामिन की कमी पूरी होती है।
सर्द हवाओं के चलते से बालों का रूखापन बढ़ता है, जो हेयरफॉल का कारण साबित होता है। ऐसे में भृंगराज और कलौंजी को मिलाकर लगाने से स्कैल्प की नमी बरकरार रहती है, जिससे हेयर मॉइश्चराइज़ रहते है और डेंसिटी को बढ़ाते हैं।
एंटीमाइक्रोबियल गुणों से भरपूर ये जड़ी बूटियां सेल्स की रिपेयरिंग में मदद करते है, जिससे हेयरग्रोथ बूस्ट होती है। साथ ही मौसमी परिवर्तन के कारण स्कैल्प पर होने वाले इंफैक्शन का जोखिम कम हो जाता है। नेचुरल हेयरमास्क को सप्ताह में दो बार लगाने से बालों कह मज़बूती बढ़ जाती है।
ऑयलिंग की कमी और ऑक्सीडेटिव तनाव का बढ़ना ड्राई स्कैल्प का कारण बनने लगता है। इससे बालों में डैंड्रफ की समस्या का सामना करना पड़ता है। एंटीमाइक्रोबियल, एंटी फंगल और एंटी इंफ्लामेटरी गुणों से भरपूर कलौंजी और भृंगराज हेयरमास्क से बाल मुलायम और हेल्दी बनते हैं।
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