कई ऐसी स्वास्थ्य स्थितियां हैं, जिन्हें हम अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। वहीं कई बार हमें इनकी जानकारी नहीं होती और हम लक्षण नजर आने पर भी इन्हें लंबे समय तक नजरअंदाज करते रहते हैं, जिसकी वजह से बाद में परेशानी बढ़ जाती है। ऐसी ही एक स्थित है शरीर में यूरिक एसिड की बढ़ती मात्रा। बॉडी में यूरिक एसिड की मात्रा सामान्य रहनी चाहिए, पर कई ऐसे फैक्टर हैं जिनकी वजह से यह काफी बढ़ जाती है। ऐसे में इसका सेहत पर बेहद नकारात्मक असर पड़ सकता है, इनपर समय रहते ध्यान देना बहुत जरूरी है।
शरीर में बढ़ती यूरिक एसिड की मात्रा को कंट्रोल करने में केले के छिलके से बनी चाय आपकी मदद कर सकती है। आप सोच रही होंगी ये किस तरह काम करती है? तो चिंता न करें, आज हम यूरिक एसिड बढ़ने के कारण और इसके लक्षण के अलावा इन्हे नियंत्रित करने पर केले के छिलके के प्रभाव के बारे में भी बात करेंगे (banana peel tea)। तो चलिए जानते हैं, इस बारे में अधिक विस्तार से।
डॉ. पी वेंकट कृष्णन के अनुसार हमारे शरीर में स्वाभाविक रूप से यूरिक एसिड पाए जाते हैं। जब शरीर में प्यूरीन टूटता है, तो यूरिक एसिड प्रोड्यूस होता है। प्यूरीन कुछ प्रकार के खाद्य पदार्थों में पाया जाता है, जैसे की रेड मीट, ऑर्गन मीट, लिवर आदि। सी फ़ूड जैसे कि सार्डिन, ट्राउट या टूना में भी प्यूरीन की भरपूर मात्रा पाई जाती है। इसके अलावा ओबेसिटी, शराब का अत्यधिक सेवन, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, फ्रुक्टोज युक्त डाइट, प्रोसैस्ड फूड का अधिक सेवन, एनीमिया, सोरायसिस, ब्लड कैंसर आदि जैसी स्थिति में यूरिक एसिड बढ़ जाता है।
जॉइंट्स में दर्द और सूजन आना
जोड़ों को छूने पर उनमें गर्माहट महसूस होना
जॉइंट्स के आसपास की त्वचा के रंग में बदलाव आना
अकसर कमर में दर्द रहना
फ्रिक्वेंट यूरिनेशन
यूरिन से ब्लड या अधिक स्मेल आना
जी मचलना और उल्टी आना
केले के छिलके में मौजूद फ्लेवोनॉयड यूरिक एसिड को रेक्टिफाई करते है और अन्य मेटाबॉलिक संबंधी समस्याओं में भी कारगर होते है। यदि आपको अर्थराइटिस की समस्या है, तो यह आपकी बॉडी में यूरिक एसिड को संतुलित रखते हुए दर्द से राहत प्रदान करने में प्रभावी रूप से कार्य करता है।
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इनमें विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा पाई जाती है, जो ब्लड में यूरिक एसिड की मात्रा पर नियंत्रण पाने के लिए बेहद जरूरी होते हैं। केले के छिलके की चाय का नियमित सेवन जोड़ों से जुड़ी समस्याओं में बेहद प्रभावी रूप से कार्य करता है। वहीं जोड़ो के दर्द का सीधा संबंध शरीर में यूरिक एसिड की बढ़ती मात्रा से होता है।
इसे बनाने के लिए आपको चाहिए: दो केले का छिलका, पानी, दालचीनी और शहद
सबसे पहले केले के छिलके को उतार कर छोटे-छोटे भागों में काट लें और इन्हें अच्छी तरह से साफ कर ले।
अब इन्हें लगभग दो कप उबलते हुए पानी में डाल दें, और इनमें 10 से 15 मिनट तक अच्छी तरह उबाल आने दें।
फिर इन्हें छान कर पानी को अलग कर लें और इसमें दो चुटकी दालचीनी पाउडर और एक चम्मच शहद मिलाएं।
आपकी चाय बनकर तैयार है इसे एंजॉय करें।
आप चाहे तो शहद और दालचीनी की जगह इसमें शहद और नींबू का रस भी मिला सकती हैं।
केले का छिलका पाचन क्रिया को बढ़ावा देता है। इसमें मौजूद डाइटरी फाइबर इसे बेहद खास बना देते हैं। इससे बनी चाय के नियमित सेवन से बॉवेल मूवमेंट नियमित रहता है और कब्ज की समस्या नहीं होती। इसके अलावा ये इंटेस्टाइन टॉक्सिंस को पूरी तरह से बाहर निकाल देता है और शरीर में पोषक तत्वों के अवशोषण को बढ़ावा देता है।
केले के छिलके से बनी चाय में एंटी इन्फ्लेमेटरी प्रॉपर्टी पाई जाती है, जो बॉडी इंफ्लेमेशन को कम कर देती हैं। इसके नियमित सेवन से इन्फ्लेमेटरी समस्याएं जैसे कि हार्ट डिजीज, डायबिटीज और कैंसर का खतरा कम होता है।
केले की चाय से बेहतर नींद प्राप्त करने में मदद मिलती है। यह मैग्नीशियम और ट्राइप्टोफैन जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों से भरपूर होता है। जो बेहतर नींद प्राप्त करने में मदद करते हैं। ये नींद की क्वालिटी को बेहतर बनाते है, जिससे पर्याप्त नींद प्राप्त कर पाती हैं। इसके अलावा यह सेरोटोनिन और मेलाटोनिन नामक स्लीप हार्मोन को रेगुलेट करता है।