इस बात में तो मुझे कोई संदेह नहीं है कि मम्मी सब जानती हैं, और मेरी हर समस्या का इलाज मम्मी के पास होता है। मम्मी के किचन में हमारी हर परेशानी का हल है।
बचपन से ही जब भी मुझे कब्ज होता था तो मम्मी गुनगुने पानी के साथ ईसबगोल खिलाती थीं। मम्मी के नुस्खों पर सवाल उठना तो मैंने कब का बन्द कर दिया है। लेकिन जब दस्त होने पर भी मम्मी ने मुझे ईसबगोल खाने की सलाह दी, तो मैंने खुद ही कुछ रिसर्च करने का मन बनाया।
मैं यकीन नहीं कर पा रही थी कि जो ईसबगोल कब्ज दूर करता है, वही दस्त का इलाज कैसे करेगा। लेकिन हर बार की तरह फिर मम्मी की बात सही निकली।
ईसबगोल यानी साईलम हस्क फाइबर है, जिसका भारत और दक्षिणी एशिया में बहुत प्रयोग किया जाता है।
ईसबगोल प्योर फाइबर है, जो पेट में जाकर पानी सोख लेता है और मुलायम पेस्ट बन जाता है। इस तरह यह पेट आसानी से साफ कर देता है और सारा वेस्ट आराम से शरीर से बाहर निकल जाता है। बुजुर्गों को ईसबगोल ज़रूर खाना चाहिए। यह बहुत फायदेमंद है और इसके कोई साइड इफेक्ट्स भी नहीं होते।
मेरे मन में सबसे पहले यही सवाल आया कि अगर ईसबगोल पेट साफ करने में मददगार है तो यह लूज़ मोशन कैसे रोकेगा? इसका जवाब है खाने के तरीके में फर्क ! कब्ज होने पर ईसबगोल गुनगुने पानी के साथ सोने से पहले लिया जाता है।
दस्त होने पर ईसबगोल दही में मिलाकर खाया जाना चाहिए। दो चम्मच ईसबगोल तीन चम्मच दही में मिलाकर दिन में दो बार खाने से दो दिन में ही दस्त से आराम मिलता है। यही नहीं, पेट में होने वाले दर्द और मरोड़ से भी ईसबगोल छुटकारा दिलाता है।
पेट में इंफेक्शन होने पर पेट मे मौजूद गुड बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ जाता है। जर्नल नेचर में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार ईसबगोल एक प्रीबायोटिक का काम करता है।
प्रीबायोटिक पेट में हेल्दी बैक्टीरिया की ग्रोथ में सहायक होते हैं। दही एक प्रोबायोटिक है, और दोनों को मिलाकर खाने से पेट में गुड बैक्टीरिया की ग्रोथ संतुलित हो जाती है। इससे आंते सामान्य रूप से काम करने लगती हैं और दस्त रुक जाते हैं।
यही नहीं फ़ूड पॉइज़निंग से लेकर ऐनल फ़िशर में भी ईसबगोल राहत देता है।
एक बार फिर मम्मी के नुस्खों को साइंस ने सही साबित कर दिया। और मुझे फिर यह क्लियर हो गया कि मम्मी सब जानती हैं।