पीरियड अथवा मेंस्ट्रूअल साइकिल की सामान्य अवधि 28 से 30 दिन की होती है। वहीं माहवारी के दौरान 3 से 7 दिन तक ब्लीडिंग हो सकती है। इसके अलावा ब्लीडिंग ज्यादा होना या पीरियड्स 35 दिनों तक न आना या उसके बाद आना अनियमित माहवारी में गिना जाता है। इसकी कई वजह हो सकती हैं। पर लगातार पीरियड्स का अनियमित होना किसी भी महिला के स्वास्थ्य के लिए चेतावनी संकेत हैं। इसलिए जरूरी है कि आप अनियमित पीरियस के कारणों पर गौर उसके समाधान की ओर बढ़ें। मेरी मम्मी कहती हैं कि कच्चा पपीता (unripe papaya for irregular periods) पीरियड्स को नियमित करने में मदद कर सकता है। क्या यह सच है? आइए एक्सपर्ट से जानते हैं इसके बारे में।
यदि पीरियड्स आपकी डेट से 1 सप्ताह से ज्यादा लेट हो जाएं, तो इसे इर्रेगुलर पीरियड्स कहा जाता है। ऐसा कई कारण से हो सकता है, जैसे कि स्ट्रेस, सेक्स, अल्कोहल और ट्रेवल। हालांकि, समय पर पीरियड आना एक हेल्दी शरीर की निशानी होती है। यदि ऐसा नहीं हो रहा है, तो यह संकेत है कि आप खराब स्वास्थ्य का सामना कर रहीं हैं। इस स्थिति से निपटने के कई उपाय हैं, उन्हीं में से एक है सही खाद्य पदार्थों का सेवन। जी हां! यह बिल्कुल सही है कि डाइट में कुछ जरूरी सुपरफूड्स शामिल करके आप अपने पीरियड्स को नियमित रख सकती हैं।
हेल्थ शॉट्स ने इस विषय पर न्यूट्रीफाई बाई पूनम डाइट एंड वैलनेस क्लीनिक एंड अकेडमी की डायरेक्टर पूनम दुनेजा से बातचीत की। इस पर वे कहती है कि “अनियमित पीरियड्स आने का सबसे बड़ा कारण आपकी लाइफस्टाइल, अधिक प्रोसेस्ड फूड का सेवन, तनाव और रात को समय पर न सोने की आदत।
हालांकि, चिंता की कोई बात नहीं है, यदि पीरियड्स समय पर नहीं आ रहे हैं, तो इसके लिए कुछ जरूरी खाद्य पदार्थों को अपनी डाइट में शामिल करें। जो हार्मोन्स को बैलेंस कर पीरियड्स को नियमित रखने में मददगार होंगे।”
मेरी मम्मी का मानना है कि कच्चा पपीता कुछ चीजों में पके हुए पपीते से भी ज्यादा लाभकारी होता है। पर क्या ये वाकई काम करता है? इस बारे में हमने बात की डायटिशियन पूनम दुनेजा से।
कच्चे पपीते के बारे में पूनम दुनेजा कहती है कि “कच्चा पपीता ब्लड और टिशू को आसानी से रिलीज होने में मदद करता है। ऐसे में यदि आपको इर्रेगुलर पीरियड्स होते हैं, तो कच्चे पपीते का सेवन आपकी इस समस्या में काफी प्रभावी तरीके से काम कर सकता है।”
एक्सपर्ट के अनुसार खाद्य पदार्थों में अदरक को शामिल करने से आपको अनियमित पीरियड्स से छुटकारा मिल सकता है। अदरक में पर्याप्त मात्रा में मैग्नीशियम और विटामिन सी पाया जाता है, जो कि यूट्रस को कॉन्ट्रैक्ट करता है। जिस वजह से पीरियड्स नियमित रूप से सही समय पर आते हैं।
विलेय ऑनलाइन लाइब्रेरी द्वारा प्रकाशित डाटा के अनुसार अदरक अनियमित पीरियड, ऐंठन, पेट दर्द और अधिक मात्रा में ब्लीडिंग होने जैसी मेंस्ट्रूअल साइकिल से जुड़ी सभी समस्याओं से निजात पाने का एक सबसे अच्छा घरेलू उपचार हो सकता है।
एक्सपर्ट के मुताबिक दालचीनी शरीर को गर्म रखती है और रक्त प्रवाह को भी बढ़ाती है। वहीं अमेरिकन जर्नल ऑफ ऑब्सटेट्रिक्स गायनेकोलॉजी द्वारा प्रकाशित एक डाटा के अनुसार दालचीनी मेंस्ट्रूअल साइकिल को रेगुलेट करने का एक प्रभावी घरेलू उपाय होता है।
यदि कोई महिला पीसीओएस से पीड़ित है, तो दालचीनी को डाइट में शामिल करें। यह इस समस्या से निजात पाने में मदद करेगा। इतना ही नहीं, पीरियड्स को नियमित रखने के साथ ही पीरियड्स में होने वाले दर्द, अधिक ब्लीडिंग, जी मचलाना, उल्टी आना और कमजोरी को भी कम कर सकता है।
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कस्टमाइज़ करेंएलोवेरा जेल हार्मोन्स को मैनेज करने में मदद करता है। यदि आपका हार्मोन्स बैलेंस रहता हैं, तो पीरियड बिल्कुल समय पर आते हैं। उचित परिणाम के लिए एक चम्मच एलोवेरा जेल को नियमित रूप से शहद के साथ मिलाकर ब्रेकफास्ट के पहले लें।
अनानास मेंस्ट्रुअल साइकिल से जुड़ी समस्याओं का एक उचित घरेलू उपचार है। पाइनएप्पल में ब्रोमलेन और एंजाइम मौजूद होता है। यह यूट्रस लाइनिंग को मुलायम रखता है, इस वजह से पीरियड आने में समस्या नहीं होती।
पब मेड सेंट्रल द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार ब्रोमलेन में एंटी इन्फ्लेमेटरी और पेन रिलीविंग प्रोपेर्टी मौजूद होती है। यह पीरियड्स क्रेम्पस को कम करता है।
डायटीशियन पूनम दुनेजा कहती हैं, कि हल्दी में करक्यूमिन मौजूद होता है, जो कि सूजन को कम करने में मदद करता है। यह हार्मोनल बैलेंस को बनाए रखता है। वहीं हल्दी को अपने नियमित डाइट में शामिल करें, यह आपके पीरियड साइकिल को नियमित रहने में मदद करता है।
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