गरम मसालों में से एक काली मिर्च आहार में पोषण व फ्लेवर एड करने में मदद करती है। सर्दी के मौसम में अक्सर लोगों को जुकाम और खांसी का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा वर्कआउट की कमी के चलते वेटगेन का भी सामना करना पड़ता है। ऐसे में काली मिर्च में मौजूद कंपाउड शरीर को डिटॉक्स करके अतिरिक्त कैलोरीज़ को बर्न करने में भी मदद करता है। साथ ही इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने में भी मदद मिलती है। सैलेड, सब्ज्यिं और पुलाव में इसे एड करने के अलावा चाय में उबालकर खाली पेट पीने से वज़न को नियंत्रित किया जा सकता है। जानते हैं काली मिर्च की चाय ( Black pepper tea recipe) किस तरह से वेटलॉस में है कारगर।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार काली मिर्च में पिपेरिन नामक कपांउड पाया जाता है, जो तीखे स्वाद को बढ़ाता है और वजन कम करने में मदद करता है। चूहों पर हुए एक अध्ययन के अनुसार पिपेरिन के साथ फैट्स से भरपूर डाइट लेने से वजन को कम करने में मदद मिली। दरअसल, काली मिर्च के सेवन से शरीर में फैट्स को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
इस बारे में न्यूट्रीशन एक्सपर्ट डॉ रूचि सोनी का कहना है कि काली मिर्च का सेवन करने से पाचनतंत्र उत्तेजित होने लगता है, जिससे डाइजेशन को मज़बूती मिलती है। इसकी बाहरी परत फैट सेल्स को तोड़कर कैलोरी स्टोरेज को रोकने में मदद करती है। साथ ही चाय के पानी में काली मिर्च को उबालकर पीने से शरीर के इम्यून सिस्टम को भी मज़बूती मिलती है। सुबह खाली पेट इसका सेवन शरीर को फायदा पहुंचाता है। काली मिर्च में मौजूद एंटीऑक्सीडेंटस की मात्रा शरीर को संक्रमण के प्रभाव से मुक्त रखने में मदद करती है।
काली मिर्च को फ्रूट सैलेड, दही, व्यंजनों और पानी में मिलाकर पीने से चयापचय को बढ़ावा मिलता है। इससे शरीर में फैट्स को बढ़ने से रोका जाता है, जिससे गुड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ने लगती है। इस थर्मोजेनिक फूड से शरीर में जमा होने वाले अतिरिक्त फैट्स को रोका जा सकता है।
इसे चाय में उबालकर पीने से लीवर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद मिलती है। इसमें पाए जाने वालेएंटीऑक्सीडेंटस और पिपेरिन विषैले तत्वों को बाहर निकालने वाले एंजाइम की गतिविधि को बढ़ाने में मदद करता है। इससे शरीर में विषाक्त पदार्थों और मुक्त कणों का प्रभाव कम होता है, जिससे वज़न कम होने के अलावा लीवर के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद मिलती है।
एंटीऑक्सीडेंटस और एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर काली मिर्च का सेवन करने से शरीर को हाइड्रोक्लोरिक एसिड की प्राप्ति होती है। इससे आंतों में गुड बैक्टीरिया का प्रभाव बढ़ता है और पाचन संबधी समस्याएं हल हो जाती है। इसके चलते ब्लोटिंग, गैस, अपच और कब्ज से राहत मिलती है। काली मिर्च को पानी में मिलाकर पीने से बार बार होने वाली क्रेविंग को कम किया जा सकता है।
सर्दी के मौसम में खांसी और जुकाम का प्रभाव बढ़ने लगता है। ऐसे में काली मिर्च को आहार में शामिल करने से पिपरिन की प्राप्ति होती है। इससे एंटीऑक्सीडेंट प्रॉपर्टीज़ पाई जाती है, जिससे शरीर में फ्री रेडिकल्स का खतरा कम होने लगता है। इसके नियमित सेवन से अस्थमा और सीज़नल एलर्जी की समस्या हल हो जाती है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार काली मिर्च का सेवन करने से अल्जाइमर और पार्किंसंस रोग जैसी डभ्जनरेटिव ब्रेन कंडीशन्स से राहत मिलती है। इससे बार बार भूलने की समस्या हल होती है। इसमें मौजूद कंपाउड की मदद से एमिलॉयड प्लाक को बनने से रोकता है। इससे ब्रेन हेल्थ उचितबनी रहती है।
पिपरिन की मदद से ब्लड शुगर मेटाबॉलिज्म को इंप्रूव करने में मदद मिलती है। इसकी मदद से खून में मौजूद ग्लूकोज़ के स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके नियमित सेवन से शरीर हेल्दी और एक्टिव रहता है। साथ ही हार्मोन असंतुलन को रोका जा सकता है।
इसे बनाने के लिए सबसे पहले 2 कप पानी लेकर उसमें 3 से 4 साबुत काली मिर्च लेकर उसे दरदरा पीस लें। अब उसे पानी में डाल दें। इसके बाद क इंच अदरक को क्रश करके एड कर दें। कुछ देर पानी को उबलने दें। अब इसे छानकर कप में डालें और इसमें शहद व ग्रीन टी का पैकेट एड कर दें। तैयार चाय का खाली पेट सेवन करें। इससे पपाचन संबधी समस्या हल होती है और वेटलॉस में भी मदद मिलती है।