मानसून में बालों में कई तरह की समस्या (Hair Problem in Monsoon) हो जाती है। पसीना और नमी के कारण बाल टूटने और झड़ने लगते हैं। आयुर्वेद में इस समस्या को दूर करने के लिए हर्ब मौजूद है। बालों को स्वस्थ रखने के लिए भृंगराज का प्रयोग किया जा सकता है। इसे (Bhrinraj) को फॉल्स डेज़ी (False Daisy) के नाम से भी जाना जाता है। यह एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी (Ayurvedic Herb Bhringraj for Hair Care) है। इसे लंबे, मुलायम और मजबूत बाल उगाने के लिए प्रयोग किया जाता है। यह हर्ब सूरजमुखी (Sunflower) परिवार से संबंधित है। बालों की समस्या के लिए भृंगराज तेल (Bhringraj for Hair Care) का प्रयोग व्यापक रूप से किया जाता है।
आयुर्वेद एक्सपर्ट केशव चौहान के अनुसार, भृंगराज में हेयर ग्रोथ को बढ़ावा देने वाले फ्लेवोनोइड्स और फाइटोकेमिकल्स मौजूद रहते हैं। फाइटोकेमिकल्स जैसे कि एक्लिप्टिक, वेडेलोलैक्टोन, क्यूमेस्टैन, पॉलीपेप्टाइड्स, पॉलीएसिटिलीन भरपूर होते हैं। इसके अलावा, थियोफीन डेरिवेटिव, स्टेरॉयड, स्टेरोल्स जैसे स्टिगमास्टरोल, हेप्टाकोसानोल, हेंट्रीकॉन्टानॉल और ट्राइटरपेन्स सहित कई बायोएक्टिव कम्पोनेंट होते हैं। भृंगराज तेल आयुर्वेदिक हेयर टॉनिक है, जो बालों के झड़ने, सफ़ेद बालों और रूसी के लिए बेहद फायदेमंद है। भृंगराज तेल से बालों की मालिश करने से सिर पर शांत प्रभाव पड़ता है। याददाश्त बढ़ती है और स्कैल्प पर ब्लड सर्कुलेशन में सुधार होता है।
केशव चौहान कहते हैं, ‘भृंगराज वात और कफ दोष को प्रभावी ढंग से कम करता है। यह स्कैल्प को ठंडा रखता है। यह तनाव के स्तर को कम करता है। यह प्रभावी रूप से स्कैल्प और हेयर फोलिकल में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाता है। इससे बालों को पोषक तत्व भी प्रदान करता है। भृंगराज और इसके तेल का नियमित उपयोग बालों के रोमों (Hair Follicles) को सक्रिय करके हेयर ग्रोथ को बढ़ाता है।
रूसी आमतौर पर अत्यधिक ड्राई स्कैल्प, हवा में नमी और स्वच्छता की कमी के कारण होती है। बाद में सिर पर खुजली और पपड़ी बनने लगती है। भृंगराज में शक्तिशाली एंटी-माइक्रोबियल, एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। यह स्कैल्प के अंदर गहराई तक प्रवेश कर ड्राईनेस और खुजली का इलाज करता है। बेहतर परिणामों के लिए सोने से पहले सिर और बालों की भृंगराज तेल से मालिश करें। तेल लगाने से पहले सुबह अच्छे एंटी-डैंड्रफ शैम्पू से बालों को साफ़ करें। इससे पहले स्कैल्प पर थोड़ा नींबू का रस भी लगायें।
भृंगराज के साथ हरीतकी और जटामांसी मिलाने से फायदा और अधिक बढ़ जाता है। बालों के प्राकृतिक रंग को बनाए रखने और समय से पहले सफेद होने से यह रोकने में बेहद फायदेमंद हैं। इन तीनों के तेल का भी प्रयोग किया जा सकता है। भृंगराज की पत्तियों से तैयार पेस्ट बालों को रंगने में मदद कर सकती है। यदि भृंगराज तेल का नियमित उपयोग कर रही हैं, तो असमी बालों के सफ़ेद होने की प्रक्रिया रुक सकती है।
भृंगराज में मौजूद एंटी-बैक्टीरियल गुण (Antibacterial Property of Bhringraj) इसे विभिन्न प्रकार के स्कैल्प संक्रमणों के इलाज (Bhringraj for Scalp Infection) के लिए त्वरित समाधान बनाते हैं। मुख्य रूप से भृंगराज तेल फॉलिकुलाइटिस के विभिन्न रूपों के इलाज में प्रभावी है। स्टैफिलोकोकस ऑरियस के संक्रमण के कारण बालों के रोम की सूजन हो जाती है। इसके कारण बालों के झड़ने और गंजेपन की समस्या हो जाती है। टिनिया कैपिटिस के कारण यह स्कैल्प पर दाद संक्रमण का भी इलाज करता है। इसके नियमित उपयोग से बालों के रोम की सूजन कम हो जाती है। यह स्कैल्प की कोमलता, स्कैल्प की खुजली कम हो जाती है और बालों का विकास होता है।
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