सर्दियों का मौसम आ चुका है, और साथ ही सताने लगी हैं इससे जुड़ी बीमारियां भी। इन दिनों सर्दी, खासी और गले में खराश होना आम है। गिरते तापमान के साथ हवा में मौजूद हानिकारक कण भी इसके लिए जिम्मेदार है। जिस हवा में आप सांस लेते हैं, वह आपके समग्र स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है। साथ ही सर्दी का मौसम अपने साथ विभिन्न प्रकार के संक्रमण लेकर आता है। लगातार खांसना, छींकना, गला सूखना और गले में खराश होना इन्हीं परिस्थितियों का परिणाम है। पर मेरी मम्मी का पास इन सभी के उपचार का एक आयुर्वेदिक तरीका है। और वह है मुलेठी।
यकीनन सूखे गले या गले की खराश के लिए मम्मी को यह नुस्खा उनकी मम्मी से मिला था। वे मानती हैं कि ये आयुवेर्दिक हर्ब इस मौसम के लिए बहुत फायदेमंद हो सकती है।
इस जादुई हर्ब के ढेर सारे लाभ इसमें निहित पोषक तत्वों के कारण हैं। स्वस्थ पोषक तत्वों की श्रेणी में विटामिन, पोटेशियम, बायोएक्टिव तत्व जैसे ग्लाइसीराइज़िन, एनेथोल, स्टेरोल्स, टैनिन, फ्लेवोनोइड्स, बायोटिन, रेजिन, सुक्रोज, आयोडीन, सैपोनिन, नियासिन, आइसोफ्लेवोन्स, चेल्कोन, वाष्पशील तेल आदि शामिल हैं।
यह इसके एक्सपेक्टोरेंट और ब्रोन्कोडायलेटर गुणों के कारण है कि यह खांसी और ब्रोंकाइटिस जैसी स्थितियों से राहत प्रदान करने के लिए जानी जाती है। मुलेठी शरीर को पर्याप्त मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट प्रदान करती है। जो कई त्वचा और स्कैल्प के संक्रमणों को दूर करने में मदद करता है और एक स्वस्थ, चमकदार त्वचा भी प्रदान करता है।
मम्मी बताती हैं कि गले में अधिक खराश होने पर मुलेठी को पानी में उबालें और मुलेठी का काढ़ा तैयार करें। खांसी और जुकाम को ठीक करने के लिए इस आयुर्वेदिक काढ़े का दिन में कई बार सेवन करें।
गले में खराश होने पर मुलेठी की जड़ को चबाएं, ताकि जड़ों का रस गले तक जाए और गले की जलन और कर्कश आवाज से राहत मिले।
बच्चों की खांसी-जुकाम के इलाज के लिए एक गिलास गुनगुने पानी में एक चम्मच मुलेठी पाउडर और एक चम्मच शहद मिलाकर रखें। आपके बच्चों को दिन में दो बार इसका सेवन करने से आराम मिलेगा।
गले की खराश के साथ नाक और छाती में कफ जमने पर मुलेठी की जड़, तुलसी के पत्ते, पुदीना के पत्तों के कुछ टुकड़ों को पानी में उबालकर आयुर्वेदिक काढ़ा बना लें। इस मिश्रण को छान लें और इसे एक चम्मच शहद के साथ पीयें।
डीके पब्लिशिंग द्वारा हीलिंग फूड्स पुस्तक के अनुसार, “इसकी मधुमेह विरोधी और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण चयापचय सिंड्रोम के उपचार में सहायता करते हैं।” हालांकि, इस बारहमासी जड़ी बूटी का उपयोग सूखी खांसी से भी राहत पाने के लिए किया जा सकता है।
आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. आशुतोष गौतम के अनुसार, “आप अपने गले को नम रखने के लिए मुलेठी की डंडी को अपने मुंह में रख सकते हैं, क्योंकि यह प्राकृतिक लोजेंज की तरह काम करता है।”
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कस्टमाइज़ करेंमुलेठी एक बेहतरीन पाचक जड़ी-बूटी है। यह ब्लॉटिंग के साथ एलिमेंटरी कैनाल में गैस के निर्माण को कम करती है। इस प्रकार पेट फूलना, सूजन और पेट में ऐंठन कम होती है। यह भूख भी बढ़ाती है, अपच को कम करती है और शरीर में पोषक तत्वों के बेहतर अवशोषण को बढ़ावा देती है। मुलेठी पाउडर में फाइबर होता है, जो कब्ज और अन्य पाचन मुद्दों के लिए एक शक्तिशाली उपाय है।
मुलेठी पाउडर में फ्लेवोनोइड्स की प्रचुरता शरीर को अतिरिक्त वजन को तेजी से कम करने में मदद करती है। फाइबर और आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण, जब नियमित रूप से लिया जाता है, तो मुलेठी भूख को शांत करती है और अधिक खाने से रोकती है।
इसलिए वजन घटाने में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। पाउडर शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल के संचय को भी कम करता है, जिससे चयापचय में सुधार होता है और शरीर को उचित वजन बनाए रखने में मदद मिलती है।
कार्डियो-टॉनिक की तुलना मुलेठी से की जाती है। यह आयुर्वेदिक जड़ी बूटी शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर को कुशलता से कम करती है, ब्लड वेसल में फैट के जमाव को रोकती है और एथेरोस्क्लेरोसिस (atherosclerosis) को भी कम करती है। इस प्रकार यह हार्ट ब्लॉकेज, स्ट्रोक और दिल के दौरे के जोखिम को कम करता है।
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