मौसम में आने वाला बदलाव कई बीमारियों और संक्रमणों का कारण साबित होता है। सर्द हवाओं के साथ बढ़ता प्रदूषण का स्तर लंग्स इंफेक्शन के अलावा हृदय रोगों के जोखिम को बढ़ा देता है। ऐसे में अर्जन की छाल का सेवन करने से इन समस्याओं को दूर किया जा सकता है। आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर ये गुणकारी जड़ी बूटी सदियों से हृदय रोगों के अलावा खांसी जुकाम और डायबिटीज़ को नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल की जाती है। जानते हैं अर्जन की छाल (Arjun ki chaal) के फायदे और किस तरह से करें इसका सेवन।
अर्जुन की छाल हृदय और फेफड़ों के लिए बेहद फायदेमंद साबित होती है। प्रदूषण के बढ़ते स्तर से खुद का बचाने के लिए इसे पाउडर की फॉर्म में पीने से फायदा मिलता है। इसके अलावा मौसमी संक्रमण का प्रभाव भी कम हो जाता है। वे लोग जो गले में दर्द, खांसी और पोलन एलर्जी से ग्रस्त होते है, उन्हें नियमित तौर पर इसका सेवन करना चाहिए। इसमें पाई जाने वाली एंटीऑक्सीडेंटस की मात्रा रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का प्रयास करती है।
इस बारे में आयुर्वेद एक्सपर्ट डॉ अंकुर तंवर बताते हैं कि आयुर्वेद में अर्जुन छाल (टर्मिनलिया) अर्जुन पेड़ की छाल के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जो अपने स्वास्थ्य लाभों के लिए जाना जाता है। इस जड़ी बूटी का इस्तेमाल हृदय संबंधी समस्याओं के उपचार में किया जाता है। इसकी छाल पेड़ का वह हिस्सा है जिसका उपयोग आमतौर पर औषधी के लिए होता है।
अर्जुन की छाल में मुख्य रूप से हृदय को मजबूत करने वाले गुणों के लिए जाना जाता है। हाईपरटेंशन यानि हाई ब्लड प्रेशर, एनजाइना और हार्ट फेलियर जैसी स्थितियों में इसका इस्तेमाल किया जाता है। ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करके हृदय की मांसपेशियों को मजबूत करती है। साथ ही कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करके हृदय की फंक्शनिंग को बेहतर बनाती है।
इस गुणकारी जड़ीबूटी में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो शरीर को ऑक्सीडेटिव तनाव और सूजन से बचाने में मदद कर सकते हैं। इससे शरीर में बढ़ने वाले मौसमी संक्रमण के खतरे से भी बचा जा सकता है। इसके सेवन से खांसी, अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी फेफड़ों की समस्याओं को दूर किया जा सकता है। एंटी.इंफ्लेमेटरी गुणों के चलते एयरवेज़ में बढ़ने वाली सूजन को कम किया जा सकता है।
मौसम बदलने के साथ अर्जुन की छाल को दूध में उबालकर पीने से ब्रोंकाइटिस, अस्थमा और खांसी के शुरूआती लक्षणों की रोकथाम करने में मदद मिलती है। दरअसल, आयुर्वेद में इनडाइजेशन को ब्रोंकाइटिस जैसी फेफड़ों की समस्याओं का मूल कारण बताया गया है। इसका सेवन करने से पाचनतंत्र मज़बूत बनता है, जिससे लंग्स डिसऑर्डर से बचा जा सकता है। साथ ही सीज़नल कफ को भी नियंत्रित किया जा सकता है।
ब्लोटिंग, पेट दर्द, डायरिया और अपच से राहत पाने के लिए ये जड़ी बूटी फायदेमंद है। इसे पानी में उबालकर पीने से शरीर में मौजूद विषैले पदार्थों को डिटॉक्स करके आंतों में गुड बैक्टीरिया का स्तर बए़ने लगता है। इससे कब्ज से भी राहत मिलती है और खाने के बाद बनने वाली एसिडिटी की समस्या हल हो जाती है।
त्वचा पर बनने वाले दाग धब्बों को दूर करने के लिए अर्जुन की छाल कारगर उपाय है। हार्मोनल असंतुलन और सन एक्सपोज़र के कारण चेहर पर दिखने वाली झाइयों को दूर करने के लिए अर्जन की छाल के पाउडर को दूध में मिलाएं और चुटकी भर हल्दी डालकर चेहरे पर लगाएं। इससे त्वचा का निखार बढ़ता है और कोललेजन की मात्रा बढ़ने लगती है। इसके अलावा इस पाउडर को शहद में मिलाकर लगाने से भी स्किनटोन में बदलाव नज़र आता है।
आयुर्वेद में अर्जुन की छाल से तैयार क्षीर पाक बेहद कारगर साबित होता है। इससे मौसमी संकमण और हृदय रोगों को दूर किया जा सकता है। इसके लिए एक गिलास दूध या पानी में अर्जन की छाल का पाउडर डालकर उबलने दें। जब पानी या फिरा दूध एक चौथाई रह जाए, तो उसका सेवन करें। इससे पारंपरिक नुस्खे को सुबह खाली पेट पी सकते हैं या फिर रात को सोने से पहले पीएं। इसके सेवन से शरीर हेल्दी रहता है।