मौसम में आने वाली तब्दीली जहां एक तरफ सुहानी लगती हैं, तो वहीं स्वास्थ्य को उसके अनुसार ढ़लने होने में थोड़ा वक्त लगता है। इसके चलते सर्दी, जुकाम और गले में खराश जैसे लक्षण बच्चों में आम देखने को मिलते हैं। इसके अलावा वायु प्रदूषण इस समस्या को गंभीर बनाने का काम करता है। मगर आयुर्वेदिक जड़ीबूटियां इसमें बेहद कारगर साबित होती है। बिना किसी दुष्प्रभाव के कुछ साधारण आयुर्वेदिक नुस्खों से इस समस्या को हल किया जा सकता है। जानते हैं आयुर्वेदिक एक्सपर्ट से कि किस प्रकार आयुर्वेद की मदद से बच्चों को मौसमी बीमारियों से बचाया जा सकता है (home remedies for seasonal infection)।
इस बारे में बातचीत करते हुए छाया परिक्षक एवं नाड़ी विशेषज्ञ, वैद्य चंद्रशेखर का कहना है कि 1 से 3 माह के बच्चों को कोई औषधी देने का विधान नहीं है। वहीं मौसम की छोटी.मोटी बीमारियों से बचने के लिए 2 साल से अधिक आयु के बच्चों के लिए कुछ सामान्य घरेलु नुस्खों का प्रयोग किया जाता है। वे बच्चे जो खांसी जुकाम से ग्रस्त हों उन्हें खासतौर से केला और चावल न खिलाएं। इससे कफ की समस्या बढ़ने लगती है। इसके अलावा योगवाही गुणों से भरपूर शहद को अगर आप किसी भी जड़ीबूटी या खाद्य पदार्थ के साथ मिलाकर बच्चे को खिलाते हैं, तो उससे उसका असर तेज़ी से होने लगता है।
2 साल से लेकर 12 साल तक के बच्चों को यदि सर्दी, जुकाम या गले खराश की समस्या हो जाती हैं। तो ऐसे में देसी घी का प्रयोग करके राहत मिल सकती है। इसके लिए एक चम्मच घी को कुछ बूंद गुनगुने पानी में मिलाकर बच्चे के शरीर पर लेप लगाएं। इस लेप को गले से लेकर चेस्ट तक अच्छी तरह से लगाएं। रात में सोते वक्त इस लेप को लगाने से बच्चे को जल्दी राहत मिलती है।
रसोई के मसालों में मौजूद जायफल और जावित्री औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। इनमें एंटी.इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। छाती में जमा कफ और जुकाम से निपटने के लिए जायफल और जायपत्री को बराबर मात्रा में पीसकर पीसकर शहद के साथ बच्चों को चटाने से आराम मिलता है।
गले में जमा कफ और बंद नाक बच्चों की परेशानी का कारण बनने लगता है। इससे निजात पाने के लिए 1 इंच अदरक को 1 चुटकी हल्दी और पुराने गुड़ के साथ दूध में उबालें। कुछ देर बॉइल करने के बाद ठण्डा करके बच्चे को पिला दें। इससे बच्चे को जल्द राहत मिलने लगती है।
एक्सपर्ट के अनुसार गले में होने वाली खराब को कम करने के लिए एंटी इंफलामेटरी गुणों से भरपूर अदरक का प्रयोग फायदेमंद साबित होता है। इसके लिए 1 इंच को कसकर उसका रस निकाले लें। आधा चम्मच अदरक के रस में 2 से 3 बूंद शहद की टपकाएं और बच्चे को खाने के लिए दें। ध्यान रखें कि इसका सेवन धीरे धीरे करें। अन्यथा शहद गले में चिपकने का भय रहता है।
गले में बढ़ने वाली खराश और कफ की समस्या को दूर करने के लिए मुलेठी का सेवन अवश्य करें। इसमें मौजूद औषधीय गुण प्रतिरक्षा प्रणाली को स्वस्थ बनाए रखते हैं। जो विटामिन, आयरन और फासफोरस से भरपूर है। इसे चबाकर भी खा सकते हैं। इसके अलावा आधा चम्मच मुलेठी के पाउडर को पानी में उबालकर पीने से भी राहत मिल जाती है। बच्चों को 1 चौथाई कप मुलेठी का हल्का गुनगुना पानी पीने के लिए दें। इससे खांसी और चंस्ट कंजेशन की समस्या से बचा जा सकता है।
1 गिलास गर्म पानी में 1 चम्मच नमक डालकर कुछ देर गार्गल करने से भी गले में मौजूद संकमण का आसानी से कम किया जा सकता है। कफ के जमने से नाक से सांस लेने में भी तकलीफ होने लगती है। वायु में मौजूद पॉल्यूटेंटस मौसमी तब्दीली के चलते छाती में जमने लगते हैं। ऐसे में रोज़ाना दिन में दो बार गार्गल करके गले की समस्या को सुलझाया जा सकता है।
अजवाइन और लहसुन की तासीर गर्म होने से उन्हें सरसों के तेल में कुछ देर पकाकर चेस्ट और पैरों पर लगाने से बेहद फायदा मिलता है। अगर आप ओवर द कांउटर मेडिसिन से परेशान हैं, तो कुछ आसान नुस्खे इस समस्या को हल कर सकते हैं। आधा कप सरसों के तेल को अच्छी तरह से पकाकर उसमें पिसा हुआ लहसुन और 1 चम्मच अजवाइन का मिलाएं और पकने दें। इससे ठण्ड, खांसी और जुकाम की समस्या अपने आप हल हो जाती है। रात को सोते वक्त इसे लगाकर कुछ देर के लिए पंखा बंद कर दें।
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