बदलते मौसम के साथ हमारे शरीर को अलग तापमान और वातावरण में ढलने में वक्त लगता है और इस दौरान संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है। इन संक्रमण से लड़ने के लिए हमेशा से आयुर्वेद को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। बदलते मौसम के साथ होने वाले एलर्जी और इन्फेक्शन जैसे की सर्दी, खांसी, कफ आदि को ट्रीट करने के लिए सालों से मेरी मम्मी आयुर्वेदिक नुस्खे आजमाती आ रही हैं, जिससे मुझे फौरन राहत प्राप्त होती है। बात-बात पर दवाइयों का सेवन करना सेहत के लिए बिल्कुल भी उचित नहीं होता। आइए जानते हैं ऐसे कुछ खास आयुर्वेदिक तरीके (Ayurvedic remedies for dry cough) जिससे सीजनल संक्रमण से राहत पाने में मदद मिलेगी।
अपने खाना पकाने में अदरक, दालचीनी, काली मिर्च, हल्दी, जीरा और लाल मिर्च जैसे गर्म मसालों का उपयोग करें। यह सभी मसाले आपके शरीर को अंदर से गर्म रखते हैं, साथ ही इनकी एंटी फंगल और एंटी बैक्टीरियल प्रोपर्टी शरीर को संक्रमण से लड़ने के लिए तैयार करती हैं।
गर्म, हल्का, प्राकृतिक, पका हुआ भोजन खाएं, जिसे पचाना बेहद आसान हो। ताजी और ऑर्गेनिक फल एवं सब्जियों का सेवन करें। म्यूकस मेमब्रेन को आराम देने के लिए सब्जियों को थोड़े से घी या जैतून के तेल के साथ पकाएं। ऐसा करने से कफ जमा नहीं होता, साथ ही गले की खराश भी आपको परेशान नहीं करती।
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अग्नि (पाचन अग्नि) को संतुलित और स्वस्थ रखने के लिए भोजन से पहले आयुर्वेदिक हर्बल यौगिक त्रिकटु, काली मिर्च, पिप्पली और अदरक का मिश्रण लें। यह पाचन तंत्र को संतुलित रखने के साथ ही आपके शरीर से टॉक्सिन्स को रिमूव कर देता है, जिससे संक्रमण का खतरा कम हो जाता है।
बदलते मौसम में खुदको सुरक्षित रखना है तो ठंडे, भारी खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों से बचें, जिनमें डेयरी, गेहूं, मीट, चीनी, प्रोसेस्ड और रिफाइंड फूड्स, बचा हुआ खाना और बर्फ वाले ड्रिंक शामिल हैं।
ये सभी खाद्य पदार्थ पाचन को धीमा कर, अग्नि को कम कर सकते हैं। ऐसे में एक साधारण और सुपाच्य भोजन को अपनी डाइट का हिस्सा बनाएं। जब पाचन क्रिया संतुलित रहती है, तो शरीर सही से कार्य करता है और इम्युनिटी भी बूस्ट होती है, जिससे संक्रमण का खतरा कम हो जाता है।
साइनस में कफ और भारीपन को कम करने के लिए, कमजोर खारे घोल और आसुत जल के साथ रोजाना या दिन में दो बार नेटी पॉट का उपयोग करें। यह म्यूकस मेमब्रेन में चिपके कफ और एलर्जी को दूर करने में मदद करता है।
नेटी पॉट का उपयोग करने के लगभग एक घंटे बाद प्रत्येक नाक में नीलगिरी या कपूर के साथ थोड़ा सा तिल का तेल डालें। इससे बंद नाक को खोलने में मदद मिलेगी, साथ ही नाक और गले के संक्रमण से भी राहत मिलेगी।
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