कभी-कभी सांसों की दुर्गंध के कारण किसी से बात करने में भी झिझक होती है। यह समस्या आम है। खराब ओरल हायजीन, मुंह की ड्राईनेस के अलावा डायबिटीज, लिवर और किडनी की बीमारी के कारण बैड ब्रेथ (bad breath) की समस्या (Halitosis) हो जाती है। यदि शरीर में किसी प्रकार की गंभीर समस्या नहीं है, तो कुछ घरेलू उपाय से सांसों की दुर्गंध की समस्या को दूर (remedies to cure bad breath) किया जा सकता है।
जर्नल ऑफ़ फैमिली मेडिसिन एंड प्राइमरी केयर के स्टडी आलेख के अनुसार, अनजाने में व्यक्ति अपने ओरल हेल्थ को काफी नुकसान पहुंचा देते हैं। स्मोकिंग या कुछ दवाओं के कारण मुंह पर्याप्त लार नहीं बना पाता है। इससे मुंह में ड्राईनेस और सांसों से दुर्गंध आ सकती है। खराब ओरल हायजीन के कारण दांतों में फंसे खाद्य पदार्थ को बैक्टीरिया तोड़ते हैं। इस क्रिया के कारण दुर्गंध आती है। इनके अलावा, टॉन्सिल स्टोन, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रिफ्लक्स डिजीज, मसूड़ों (Gums) की बीमारी जैसे कि ट्रेंच माउथ (मसूड़े की सूजन) और पेरियोडोंटाइटिस (मसूड़े की सूजन) के कारण भी बैड ब्रेथ होता है। मुंह का कैंसर, नाक और मुंह के बीच का कैंसर, नाक और गले या फेफड़ों में संक्रमण, किडनी या लीवर रोग, डायबिटीज भी मुंह के दुर्गन्ध का कारण बन सकता है।
लौंग में मौजूद ईयूजीनोल कंपाउंड सांसों की दुर्गंध को कम करता है। लौंग सांसों की दुर्गंध पैदा करने के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया के विकास को रोकता है। सांसों की दुर्गंध से छुटकारा पाने के लिए (remedies to cure bad breath) दिनभर में 2-3 लौंग चबा सकती हैं।
भारत में सांसों की दुर्गंध से निपटने के लिए पारंपरिक रूप से सौंफ़ का प्रयोग होता आया है। सौंफ़ में मौजूद रोजमेरिक एसिड जैसे फाइटोकेमिकल दांतों के लिए फायदेमंद माना जाता है। यह दांतों को साफ करने के लिए भी जाना जाता है। सांसों से दुर्गंध आने पर एक टी स्पून सौंफ चबाया जा सकता है। इसके अलावा, सौंफ को पानी में उबाल कर इसके पानी से गरारे भी किये जा सकते हैं।
पान चबाने से कई औषधीय लाभ मिलते हैं। यह सांसों की दुर्गंध को रोकता है। सांसों को सुगंधयुक्त बनाता है। पान का फेनोलिक कम्पाउंड मसूड़ों को मजबूत बनाता है और दांतों की रक्षा करता है। सांसों की दुर्गंध को कम करने के लिए भोजन के बाद पान के एक पत्ते को चबा सकती हैं।
इलायची सांसों की दुर्गंध के प्रबंधन के लिए सबसे अच्छे घरेलू उपचारों में से एक है। इलायची का टर्पिनोल कंपाउंड मुंह की दुर्गंध को दूर करने में मदद करता है। एक दो इलायची चबाई जा सकती है। गर्म पानी में इलाइची पाउडर डालकर गरारे करने पर भी फायदा मिल सकता है। इससे सांसों की दुर्गंध से छुटकारा मिल सकता है।
आयुर्वेद के अनुसार तुलसी के कई औषधीय उपयोग हैं। इंडियन जर्नल ऑफ़ आयुर्वेद के अनुसार तुलसी की कुछ पत्तियां चबाने से मुंह में संक्रमण और अल्सर ठीक हो सकते हैं। धूप में सुखाए गए तुलसी के पत्तों के पाउडर का उपयोग दांतों को ब्रश करने के लिए किया जा सकता है। इससे सांसों की दुर्गंध को दूर करने और मसूड़ों के विकारों को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। सांसों की दुर्गंध से छुटकारा पाने के लिए तुलसी की कुछ पत्तियां चबाई जा सकती है।
जर्नल ऑफ़ फैमिली मेडिसिन एंड प्राइमरी केयर के अनुसार, ओरल हाइजीन के लिए कुछ बातों पर रोज ध्यान देना होगा।
दिन में दो बार ब्रश करें।
रोजाना डेंटल फ्लॉस करें।
जीभ को जरूर साफ़ करें।
एंटी बैक्टीरियल माउथवॉश से कुल्ला करें।
खूब पानी पियें ताकि आपका मुंह न सूखे।
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