प्रोसेस्ड फूड के बढ़ते चलन के कारण बच्चों की इटिंग हैबिट्स (eating habits of kids) में तेज़ी से बदलाव आ रहे है। ऐेसे में हेल्दी फूड्स (healthy foods for kids) की जगह पिज्जा, बर्गर और पास्ता ने ले ली है, जिससे बच्चों के शरीर को उच्च मात्रा में पोषण की प्राप्ति नहीं हो पाती है। ऐसे में अगर आप भी बच्चो की सेहत को लेकर चिंतित हैं और किसी हेल्दी विकल्प की तलाश में हैं, तो अलसी के बीज (Benefits of flaxseeds) एक बेहतरीन विकल्प हैं। बच्चों को सेहतमंद बनाने के लिए इसे कई तरीके से आहार में शामिल किया जा सकता है। जानते हैं अलसी के फायदे और इसे कैसे बच्चों के आहार में किया जा सकता है शामिल (Flaxseeds for kids growth)।
इस बारे में डायटीशियन मनीषा गोयल बताती हैं कि बढ़ते बच्चों को कैल्शियम, प्रोटीन और फाइबर की आवश्यकता होती है। इससे न केवल डाइजेशन बूस्ट (flax seeds boost digestion) होता है बल्कि हड्डियों की मज़बूती पर भी उसका असर दिखने लगता है। सॉल्युबल फाइबर (soluble fiber) से भरपूर अलसी के बीज में पोटेशियम और मैग्नीशियम पाया जाता है। इससे शरीर संतुलित रहता है और मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है।
ओमेगा 3 फैटी एसिड (Omega 3 fatty acid) के भी गुण अलसी में पाए जाते हैं, जिससे ब्रेन सेल्स (brain cells) बूस्ट होते हैं। इसके नियमित सेवन से बच्चों की याददाश्त बढ़ने लगती है। इन मेजिकल सीड्स को पाउडर, पेस्ट और लड्डू समेत कई तरीकों से आहार में शामिल किया जा सकता है।
पबमेड सेंट्रल की रिसर्च के अनुसार डाइटरी फाइबर से भरपूर अलसी के बीज में लिग्नान तत्व पाया जाता है। दरअसल, लिग्नान प्लांट बेस्ड पॉलीफेनोलिक कंपाउड है, जिससे शरीर के इम्यून सिस्टम में सुधार आने लगता है। नियमित तौर पर आहार में अलसी के बीज शामिल करने से बच्चे मौसमी संक्रमण के प्रभाव से मुक्त रहते हैं और दिनभर एनर्जी से भरपूर रहते हैं।
अलसी के बीज ओवरऑल हेल्थ के अलावा आंखों के लिए भी फायदेमंद है। स्क्रीन टाइम बढ़ने से बच्चों की आंखों में ड्राईनेस बढ़ जाती है। ऐसे में अलसी में मौजूद ओमेगा 3 फैटी एसिड और डाइटरी फैटी एसिड की मदद से आंखों का रूखापन कम होने लगता है। ओमेगा .3 फैटी एसिड से आंखों की मेइबोमियन ग्लैंडस में नमी बरकरार रहती है और वे अपना कार्य सुचारू रूप से कर पाती हैं।
आहार में अलसी को शामिल करने से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं कम हो जाती है। इसके सेवन से शरीर में बढ़ने वाली ब्लोटिंग, अपच, पेट दर्द और कब्ज से राहत मिल जाती है। इसमें मौजूद सॉल्युबल फाइबर से इरिटेबल बावल सिंड्रोम की समस्या हल होने लगती है और कब्ज से छुटकारा मिल जाता है।
बच्चों के मसल्स और बोन्स को मज़बूत बनाने के लिए अलसी का सेवन करें। इससे शरीर को विटामिन बी कॉम्प्लेक्स और प्रोटीन की प्राप्ति होती है। इसके सेवन से सेल्स और टिशू रिपेयर करने में मदद मिलती है। इसके अलावा अलसी एक एनर्जी बूस्टिंग फूड है।
इसका सेवन करने से शरीर को एंटीऑक्सीडेंटस, प्रोटीन, फाइबर और फैटी एसिड की प्राप्ति होती है। इससे मेंटल ग्रोथ के साथ फिजिकल ग्रोथ में भी मदद मिलती है। इसमें मौजूद कैल्शियम और आयरन से हड्डियों और मांसपेशियों को मज़बूती मिलती है, तो वही फैटी एसिड से ब्रेन सेल्स की ग्रोथ बढ़ जाती है। इसे मॉडरेट ढ़ग से बच्चों के आहार में शामिल किया जा सकता है।
इसे बनाने के लिए 1 कप अलसी के बीज को रोस्ट कर लें। अब 2 से 3 मिनट तक रोस्ट करने के बाद जब वो पॉप होने लगें, तो गैस बंद कर दें। अब उन्हें ग्राइंड करके पाउडर तैयार कर लें। इस पाउडर को इस्तेमाल के बाद फ्रिज में स्टोर कर लें। सप्ताह तक इस पाउडर का प्रयोग करें। इसे दलिया, खिचड़ी, पैन केक्स और फ्रूट प्यूरी में बच्चों को एड करके दे सकते हैं।
कुछ हेल्दी बनाने के लिए फ्लैक्स सीड्स लड्डू (flaxseeds energy balls) तैयार कर लें। इसके लिए 1 कप फ्लैक्स सीड्स को रोस्ट कर लें। अब उसमें नारियल का पाउडर (coconut powder), सीडलेस खजूद और भुनी हुई मूंगफली डालें। इन सभी चीजों को ग्राइंड करके बाद पाउडर तैयार कर लें। अब हाथों से उसके लड्डू तैयार करें। खजूर में मौजूद नेचुरल शुगर इसके स्वाद को बढ़ा देती है।
हेल्दी मील्स के लिए अलसी के बीज को 2 से 3 घंटे पानी में भिगोकर रखने के बाद उसका पेस्ट तैयार कर लें। अब इसे उपमा, ढ़ोकला, इडली और डोसा के बैटर में एड कर सकते हैं। इसके अलावा पैनकेक बैटर में भी इसे एड करके आहार की पौष्टिकता को बढ़ाने में मदद मिलती है। इससे शरीर हेल्दी और एक्टिव बना रहता है।
अन्य रेसिपीज़ के अलावा अलसी को रायते में डालकर भी खाया जा सकता है। अलसी सीड्स को भूनकर ठंडा होने के लिए रख दें। उसके बाद दही को ब्लैंड करके उसमें नमक, काली मिर्च, भुना जीरा पाउडर और बूंदी या खीरे के अलावा अलसी के बीज भी एड कर दें। इससे रायते का स्वाद और पोषण स्तर दोनों में बढ़ोतरी की जा सकती है।